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तिब्बत के लिए दूसरी मुहिम

Anwar Jamal Ashraf४ जून २०१४

चीन से अलग होने की मुहिम को नए सिरे से शुरु करने के लिए निर्वासन में रह रहे तिब्बती सरकार नेता इस हफ्ते दलाई लामा से मिल रहे हैं. इस मुहिम के लिए मीडिया अभियान भी शुरू किया जाएगा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत के धर्मशाला शहर में तिब्बती नेता निर्वासन में रह रहे हैं. दलाई लामा बार बार कह चुके हैं कि उन्हें चीन से स्वतंत्रता नहीं, बल्कि स्वायत्तता चाहिए. इस बात को बेहतर ढंग से समझाने के लिए वे एक वेबसाइट शुरू करेंगे और सोशल वेबसाइटों से भी अपनी बात रखेंगे. वे "बीच का रास्ता" निकालना चाहते हैं.

तिब्बतियों का मानना है कि चीन उनके धर्म और संस्कृति में दखल दे रहा है. इस मुद्दे को लेकर तिब्बतियों का लंबे वक्त से चीन के साथ संघर्ष चल रहा है. 2009 के बाद से करीब 100 तिब्बतियों ने इस मामले को लेकर आत्मदाह कर लिया है.

Tibet Demo in Dharamsala 10.03.2014
तिब्बत को लेकर धर्मशाला में हुआ एक प्रदर्शनतस्वीर: UNI

आत्मदाह न करें

तिब्बतियों के निर्वासित सरकार के सूचना मंत्री डिक्की छोयांग का कहना है, "हमने तिब्बतियों से अपील की है कि वे आत्मदाह न करें और हम चीनी सरकार से अपील करते हैं कि वे तिब्बतियों की बात सुनें और उनके खिलाफ दमनकारी कार्रवाई न करें." उन्होंने कहा, "हम अभियान चलाना चाहते हैं, जिससे साबित कर सकें कि इस मसले का समाधान मुमकिन है."

तिब्बत को चीन देश का हिस्सा बताता है. उसका दावा है कि उसने इलाके में आर्थिक विकास किया है. वह दलाई लामा पर भी सवाल उठाता आया है. दलाई लामा ने 1959 में नाकाम विद्रोह किया था, जिसके बाद उन्हें तिब्बत से भाग कर भारत जाना पड़ा. वह तब से वहीं रह रहे हैं. इस बीच उन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है.

बीजिंग ने 2010 तक दलाई लामा के प्रतिनिधि से बात की है. लेकिन इसके बाद यह सिलसिला टूट गया. वह निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगे से भी बात करने को राजी नहीं. दलाई लामा ने 2011 में राजनीतिक पदों से इस्तीफा दे दिया है. सांगे ने हालांकि अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की है लेकिन उनमें दलाई लामा वाला करिश्मा नहीं है.

Barack Obama empfängt den Dalai Lama
दलाई लामा से मिले राष्ट्रपति ओबामातस्वीर: picture-alliance/dpa

दलाई लामा का करिश्मा

हालांकि दलाई लामा ने सार्वजनिक जीवन से अलग होने का फैसला किया है. फिर भी गुरुवार को होने वाले कार्यक्रम में वह खास तौर पर शिरकत करेंगे. धर्मशाला में होने वाले इस आयोजन को लेकर तिब्बती ज्यादा से ज्यादा प्रचार करना चाहते हैं.

सांगे जिस "बीच के रास्ते" की बात करते हैं, अमेरिका भी उसकी तरफदारी करता है. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फरवरी में जब दलाई लामा से मुलाकात की थी, तो उन्होंने इस पर हामी भरी थी. हालांकि इस मुलाकात से चीन काफी नाराज हुआ था.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में आधुनिक तिब्बती विषय के प्रोफेसर रॉबी बार्नेट का कहना है कि जब से दलाई लामा रिटायर हुए हैं, इस मुद्दे पर बात आगे नहीं बढ़ पाई है. बार्नेट का कहना है कि तिब्बती नेता अपने आलोचकों को शांत करने में नाकाम रहे हैं. ये आलोचक तिब्बत की पूर्ण स्वतंत्रता की बात करते हैं. उनका कहना है, "बात को हमेशा से संभव है लेकिन इसका सकारात्मक नतीजा तभी निकल सकता है, जब बातचीत करने वाले में अद्भुत क्षमता हो और तिब्बती पक्ष धैर्य रख सके और चीनी प्रशासन अपने रवैये को नरम करने के लिए तैयार हो."

चीन ने 2002 से 2010 के बीच दलाई लामा के दूत से नौ दौर की बातचीत की है. लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला और बाद में यह टूट गई. बार्नेट का कहना है कि तिब्बतियों को यह अच्छी तरह पता है कि उनके पास सीमित समय है क्योंकि दलाई लामा 78 साल के हो चुके हैं, "मुद्दा यह है कि तिब्बतियों का आंदोलन दलाई लामा के बाद कैसे चलेगा और बीजिंग की ताकत बढ़ने के साथ क्या वह उनसे बातचीत के लिए राजी भी होगा."

एजेए/एएम (एएफपी)