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तुर्की का दोहरा खेल

२७ जुलाई २०१५

आतंकी संगठन आईएस पर तुर्की के हमलों का यूरोपीय मीडिया ने स्वागत किया, लेकिन प्रतिबंधित कुर्द संगठन पीकेके पर तुर्की के हमलों के बाद खतरे की घंटी बजने लगी है क्योंकि अब तक कुर्द लड़ाके ही आईएस को जमीन पर टक्कर दे रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/AA/Veli Gurgah

जर्मन शहर वुपरथाल से प्रकाशित दैनिक वेस्टडॉयचे साइटुंग ने तुर्की के हवाई हमलों को अपनी समीक्षा का विषय बनाया है. अखबार लिखता है, "आईएस पर हमले के साए में तुर्की के राष्ट्रपति एरदोवान सीरिया और इराक के कुर्द इलाकों में फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिसकर्मियों पर हमले और पीकेके के द्वारा शांति प्रक्रिया को रोकने की वजह से उन्हें जनता का समर्थन मिला है. उनके दोहरे खेल को अमेरिका की भी सहमति मिली है जिसने कहा है कि आतंकी लक्ष्यों पर हमला करना अंकारा का अधिकार है. तात्पर्य कुर्दों से है, खिलाफत के (पूर्व) दोस्तों से नहीं."

बर्लिन से प्रकाशित दैनिक बर्लिनर साइटुंग ने तुर्की के हमलों पर टिप्पणी करते हुए लिखा है,"अमेरिका यदि पीकेके और इसके साथ आईएस के खिलाफ प्रतिरोध के एक पाए पर हमलों को उचित ठहराता है तो घबराकर कहना होगा कि वही गलती फिर मत दुहराओ. हवाई हमलों से आईएस पर जीत हासिल नहीं की जा सकती, भले ही अंकारा की सरकार उसमें मदद करे. सीरिया के कुर्द अमेरिकी थलसैनिकों के रूप में आईएस के खिलाफ संघर्ष का मुख्य बोझ उठा रहे हैं. उनके साथ जुड़े पीकेके पर हमलों को सहना तुर्की को रास्ते पर लाने के लिए छोटी रियायत नहीं है."

वियना के दैनिक डी प्रेसे ने आईएस और पीकेके के ठिकानों पर तुर्की के हवाई हमलों पर टिप्पणी की है. अखबार लिखता है, "यह एक डील जैसा लगता है. अंकारा आईएस विरोधी गठबंधन को मजबूत करेगा, यदि अमेरिका कुर्दों के मामले से दूर रहे. अमेरिका के लिए आईएस के विरुद्ध लड़ाई की प्राथमिकता है. हालांकि अब तक वे कुर्द मिलिशिया से सहयोग करते रहे हैं. अब तुर्की की बारी है. कोई आश्चर्य नहीं कि तुर्की के पास ज्यादा सैनिक ताकत है, उसके साथ आईएस को चोट पहुंचाई जा सकती है. तुर्की की सरकार क्या सचमुच आईएस के खिलाफ संघर्ष के लिए तैयार है, यह समय बताएगा. अब तक पीकेके उसका मुख्य दुश्मन था, आईएस नहीं."

वियना के ही दैनिक स्टांडार्ड ने तुर्की के हवाई हमलों की समीक्षा करते हुए लिखा है, "अंकारा किसी को संदेह में नहीं रहने दे रहा कि उसके रणनैतिक हित कहां हैं. इस्लामिक स्टेट के खिलाफ गठबंधन में तुर्की की भूमिका बढ़ाने के साथ साथ तुर्की की हवाई सेना पीकेके के ठिकानों पर भी हमला कर रही है. पीकेके की करीबी सीरिया की पीवाईडी पार्टी को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि वह आईएस के खिलाफ तुर्की के हमलों से फायदा उठा सकता है और तुर्की की सीमा से लगे इलाके में अपना नियंत्रण आराम से पुख्ता कर सकता है."

एलसास के दैनिक ल अलसास ने तुर्की की बमबारियों पर लिखा है, "कुर्दों पर एक हमला ताकि विशाल तुर्की के समर्थकों को शांत किया जा सके. इस्लामिक स्टेट (आईएस) पर हमला ताकि अमेरिका के साथ मेलमिलाप हो सके और कट्टरपंथी होने की छवि को खत्म किया जा सके. तुर्की के राष्ट्रपति सख्त कदम उठा रहे हैं, लेकिन यह रणनीति रेचेप तय्यप एरदोवान के खिलाफ मुख्य आरोप में कोई बदलाव नहीं ला रहा, उनकी संशयपूर्ण नीति. सवाल यह कि उनका सबसे खतरनाक दुश्मन कौन है? यदि हम अंकारा की पिछले 30 साल की नीतियों को देखें तो जवाब साफ है, ये कुर्द हैं और खसकर पीकेके के समर्थक."

एमजे/आईबी (एएफपी)