1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

तेजाब फेंकने वाले को मिला मृत्युदंड

आरपी/एमजे (एएफपी)९ सितम्बर २०१६

भारतीय अदालत ने एक महिला पर तेजाब हमला कर उसकी हत्या करने के आरोप में अभियुक्त को मृत्युदंड की सजा सुनाई है. इस फैसले को एसिड अटैक जैसे जघन्य अपराध के मामले में मील का पत्थर माना जा रहा है.

https://p.dw.com/p/1JzKO
Indien - Mutter des Säureattentäters Ankur Panwar nach dessen Verurteilung
दोषी अंकुर पवार की मां को सांत्वना देती उनके पक्ष की वकाल.तस्वीर: Imago

प्रीति राठी नाम की एक लड़की के ऊपर तेजाब फेंकने वाले शख्स अंकुर पवार को मुंबई के एक अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है. उस हमले से प्रीति गंभीर रूप से जख्मी हुई थी कि उसके तड़प तड़प कर जान दे दी. एसिड अटैक और हत्या का दोषी करार दिया गया अंकुर पवार लड़की से जलता था और उसके प्रेम प्रस्ताव को अस्वीकार करने पर उसने लड़की पर जानलेवा हमला कर दिया.

24 साल की प्रीति पर सल्फ्यूरिक एसिड फेंकने वाले अंकुर ने यह अपराध मुंबई में मई 2013 में अंजाम दिया. मूल रूप से दिल्ली का रहने वाला अंकुर पहले प्रीति का पड़ोसी रह चुका था. नर्स की नौकरी करने के लिए प्रीति को मुंबई पहुंचे कुछ ही दिन हुए थे. इस हमले में प्रीति का चेहरा जल गया और तमाम अंग फेल हो गए और एक महीने बाद उसने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया. अंकुर पवार खुद मैनेजमेंट ग्रैजुएट था और जलन के चलते वह लड़की का करियर खराब करना चाहता था.

Indien - Vater und Bruder des Säureattentatopfers Preeti Rathi
प्रीति के पिता और भाई ने अदालत के फैसले पर संतोष जताया.तस्वीर: Imago

प्रीति के मामले की पैरवी करने वाले वकील उज्जवल निकम ने कहा, "अंकुर पवार को मृत्युदंड मिला है. मैंने अदालत को राजी किया कि एसिड अटैक का मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है." एसिड अटैक केस में पहली बार किसी दोषी के मृत्युदंड मिला है.

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि केवल अत्यंत विरले मामलों में ही मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है. भारत में अब भी यह सजा दी जाती है जबकि पिछले साल भी चार देशों, फिजी, मेडागास्कर, सूरीनाम और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो ने मृत्युदंड को पूरी तरह खत्म कर दिया है. मृत्युदंड पर रोक लगाने वाले अब दुनिया भर में 102 देश हैं.

आपराधिक आंकड़ों के अनुसार, केवल 2015 में भारत में करीब 300 एसिड अटैक के मामले सामने आए. विशेषज्ञ मानते हैं कि असली मामले इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं. इन हमलों के कारण जान चले जाने के मामले आम नहीं हैं लेकिन पीड़ित को जीवन भर के लिए शारीरिक और मानसिक चोट और सामाजिक भेदभाव से जूझना पड़ता है. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की खुलेआम बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए थे. कड़ाई से लागू ना होने के कारण आज भी एसिड खरीदना बहुत आसान है.