थाइलैंड में राज्याभिषेक दिवस, तनावपूर्ण शांति
५ मई २०१०82 वर्ष के राजा अतुल्यतेज पिछले सितंबर के बाद पहली बार लोगों के सामने आए हालांकि उन्होंने जनता को संबोधित नहीं किया. इस बीच थाइलैंड के प्रधानमंत्री अभिसीत वेज्जाजीवा ने विरोधियों के साथ समझौता करने के लिए पांच शर्ते रखी हैं. लेकिन सरकार विरोधी रेड शर्ट्स केंद्रीय बैंकॉक के व्यावसायिक इलाके से हटने से मना कर रहे हैं और प्रधानमंत्री पर संसद भंग करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. रेड शर्ट्स के नेता नातावूत साइक्यू ने प्रधानमंत्री वेज्जाजीवा के समझौता सुझावों का स्वागत किया है लेकिन उनका कहना है कि प्रधानमंत्री को संसद भंग करने की एक तिथि बतानी होगी, "हम चाहते हैं कि अभिसीत संसद भंग करने की तिथि का एलान करे और इस सिलसिले में बाध्यकारी आश्वासन दें. हमारी बातचीत का नतीजा यह है कि हमें सरकार से एक योजना चाहिए. ख़ासकर संसद को भंग करने के मामले में. जब सरकार इस बारे में अपनी बातचीत खत्म करेगी, तब हम अपने विचार पेश करेंगे."
रेड शर्ट्स के एक और नेता वोरावूत विचाएदीत ने कहा कि सरकार को सारे सुरक्षा बलों को हटा देना चाहिए. और जहां तक चुनाव की तिथि एलान करने का सवाल है, यह काम चुनाव आयोग को करना चाहिए क्योंकि रेड शर्ट्स को नहीं पता है कि वे सरकार पर कितना विश्वास कर सकते हैं.
उधर संसद में डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधि सिरिचोक सोफा का कहना है कि सरकार को संसद भंग करने के दिन पर सोचना होगा और सबसे अच्छा समय तय करना होगा. सिरिचोक ने पत्रकारों से कहा कि थाइलैंड के चुनाव नियम के मुताबिक संसद को चुनाव के दिन से 45 से लेकर 60 दिन पहले भंग करना होता है.
थाइलैंड में राज्याभिषेक दिवस पर विरोधी पक्षों के बीच झड़पे तो नहीं हुईं लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि सितंबर तक दोनों पक्ष सत्ता में आना चाहते हैं. प्रधानमंत्री अभिसीत ने लगभग दो महीने से चल रहे इस संकट को ख़त्म करने के लिए पांच शर्तें रखी हैं जिन पर हर हालत में चुनाव से पहले अमल करना होगा. वेज्जाजीवा की पहली शर्त यह है कि इन राजनीतिक मामलों में थाइलैंड की राजशाही को न घसीटा जाए या इसके 'खिलाफ' कुछ न किया जाए. इसके अलावा वेज्जाजीवा की सरकार ने कहा है कि वह रेड शर्ट्स की सामाजिक अन्याय कम करने की मांग के मुताबिक सुधार लाएगी और हाल के राजनीतिक मामलों की जांच करवाएगी. साथ ही अपदस्थ प्रधानमंत्री थकसिन शिनावत्रा के साथ पांच वर्षों के लिए प्रतिबंधित राजनीतिज्ञों पर से प्रतिबंध हटाने की बात पर सोचा जाएगा और संविधान में भी संशोधन लाए जाएंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादनः महेश झा