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दरगाह के दर पर पहुंचीं देसाई, अब अंदर जाना है

वीके/आरपी (पीटीआई)१२ मई २०१६

शनि मंदिर का 400 साल पुराना नियम बदलवाने के बाद अब तृप्ति देसाई हाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश दिलाने में जुटी हैं. इसके लिए गुरुवार को उन्होंने दरगाह के दरवाजे तक पहुंचने में कामयाबी पा ली.

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Ahmednagar Indische Aktivisten demonstrieren für Recht zu beten
तस्वीर: Getty Images/AFP/STR

शनि शिंगणापुर मंदिर के बाद एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई ने हाजी अली दरगाह में भी पूजा कर ली है. गुरुवार सुबह वह दरगाह में गईं और कड़ी सुरक्षा के बीच उन्होंने पूजा की. हालांकि वह वहीं तक जा पाईं जहां तक महिलाओं को जाने की इजाजत है. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि 15 दिन के भीतर अगर महिलाओं को वहां तक जाने की इजाजत ना दी गई जहां तक पुरुष जाते हैं, तो वह आंदोलन छेड़ देंगी.

पूजा करने के बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की नेता देसाई ने कहा कि उनकी लड़ाई महिला अधिकारों के लिए है. उन्होंने कहा, ''दरगाह में मैंने यह दुआ मांगी कि महिलाओं को अंदर तक जाने की इजाजत मिले, जैसा कि 2011 तक होता था.'' देसाई ने बताया कि इस बार पुलिस का सहयोग उन्हें मिला. अगली बार उन्होंने एकदम अंदर दरगाह तक जाने की कोशिश करने की बात भी कही. पिछले महीने भी देसाई ने दरगाह में जाने की कोशिश की थी लेकिन तब उन्हें घुसने नहीं दिया गया था.

गुरुवार को भी वह बस वहीं तक जा पाईं जहां तक अन्य महिलाओं को जाने की इजाजत है. वह चाहती हैं कि महिलाओं को भी वहां तक जाने की इजाजत हो जहां तक पुरुषों को है. इसके लिए उन्होंने दरगाह के ट्रस्ट को चेतावनी भी दे दी है. उन्होंने कहा, ‘'हमने देखा कि महिलाओं को कहां तक जाने दिया जाता है. पुरुष तो दरगाह तक भी जा सकते हैं. 15 दिन के भीतर ट्रस्ट को महिलाओं को भी वहां तक जाने की इजाजत देनी होगी नहीं तो हम आंदोलन करेंगे.''

हाजी अली दरगाह के ट्रस्ट का कहना है कि महिलाओं को एकदम अंदर तक जाने देना इस्लाम के खिलाफ है और वह इस्लामिक नियमों का पालन कर रहे हैं.

तृप्ति देसाई ने इससे पहले शनि शिंगापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के लिए भी आंदोलन किया था. कई दिन चले आंदोलन के बाद आखिरकार कोर्ट के आदेश के बाद वह शनि शिंगापुर मंदिर में जा पाईं. फिर उन्होंने महाराष्ट्र के त्रायम्बकेश्वर मंदिर मे भी प्रवेश किया. इन दोनों जगहों पर प्रवेश पा लेने के बाद अपने साथियों के साथ 28 अप्रैल को देसाई मुंबई की हाजी अली दरगाह पहुंचीं जहां उन्हें रोक लिया गया.

शनि शिंगापुर मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं का प्रवेश 400 साल बाद शुरू हुआ है जिसे तृप्ति देसाई की बड़ी जीत माना जा रहा है.