1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दवा से बेहतर है कसरत

१६ अक्टूबर २०१३

कसरत करना शरीर के लिए सिर्फ अच्छा ही नहीं होता, बल्कि शरीर की जरूरत भी है. बड़ी से बड़ी बीमारी में भी कसरत ही सबसे फायदेमंद दवा है.

https://p.dw.com/p/1A0Uh
तस्वीर: picture-alliance/dpa

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और हावर्ड मेडिकल स्कूल की एक रिसर्च में कहा गया है कि कसरत शरीर पर दवा से भी ज्यादा असर दिखाती है. यहां तक कि दिल की बीमारियों और मधुमेह का भी कसरत से जितनी तेजी से इलाज हो सकता है, उतना किसी दवा से नहीं. यह शोध 3,39,000 लोगों पर किया गया. इन लोगों को दिल का दौरा, स्ट्रोक या मधुमेह की तकलीफ थी. इन सभी बीमारियों को बढ़ती उम्र के साथ जोड़ कर देखा जाता है. यानी जैसे जैसे उम्र बढ़े, कसरत करना उतना ही ज्यादा जरूरी हो जाता है.

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपे इस शोध में कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि कसरत के फायदों के बारे में पहले नहीं पता था, लेकिन पहली बार दवाओं के असर से इसकी तुलना कर के इसके फायदों को सुनिश्चित किया गया है. जिन लोगों पर शोध किया गया, उन में पाया गया कि टाइप टू डायबीटिज के शिकार लोगों के खून में शुगर की मात्रा कसरत करने से ही कम होने लगी. जब दवा से इसकी तुलना की गयी, तो पाया कि दवा लेने वालों में भी मात्रा उतनी ही कम हुई थी.

ऐसे ही नतीजे उन लोगों में भी मिले जिन्हें दिल का दौरा पड़ा था. लेकिन दिल के काम बंद कर देने के मामले में डीयूरेक्टिक दवाओं का असर बेहतर देखा गया. ये ऐसी दवाएं होती हैं जिनसे शरीर में पानी ज्यादा बनता है. इस से खून की गति सामान्य हो पाती है. इन दवाओं का असर कसरत से ज्यादा तेजी से होता है.

रिसर्चरों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, "ऐसे कई मामले हैं जहां दवा थोड़ी ही मदद कर सकती है. ऐसे मामलों में मरीजों को समझना होगा कि व्यायाम उनकी सेहत पर कितना असर कर सकता है." रिसर्च में सुझाव दिया गया है कि दवा बनाने वाली कंपनियां जब दवा को टेस्ट करें, तो केवल प्लासीबो से ही नहीं, कसरत से भी उसकी तुलना करें.

दरअसल किसी भी दवा को बनाने के बाद उस पर टेस्ट किया जाता है कि वह कितनी असरदार है. इसके लिए दो ग्रुप बनाए जाते हैं. एक ग्रुप को दवा दी जाती है और दूसरे को चीनी की गोली. लोगों को नहीं बताया जाता कि उन्हें कौनसी गोली दी गयी है. इसके बाद उन पर हो रहे असर पर ध्यान दिया जाता है. यदि दवा सही असर करती है, तभी उसे बाजार में लाया जाता है. किसी को दवा के नाम पर चीनी की गोली दे कर उसके असर को देखना प्लासीबो कहलाता है. रिसर्चरों का कहना है कि जिस तरह प्लासीबो को जांचना अनिवार्य है, ऐसा ही कसरत के साथ भी किया जाना चाहिए.

पर साथ ही यह चेतावनी भी दी गयी है कि मरीज केवल कसरत को ही इलाज ना समझ लें और डॉक्टर की बताई दवा को भी नियमित रूप से लेते रहें. तो हो सकता है कि आईंदा जब आप डॉक्टर से मिलें तो वह दवा की पर्ची पर सुबह शाम दवा के साथ साथ सुबह शाम कसरत भी लिख दें.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया (डीपीए)

संपादन: एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें