दहशत में फ्रांस
एक ओर ट्रेड यूनियन की हड़तालें, दूसरी ओर हूलिगंस की हिंसक हरकतें और अब पुलिस अधिकारी की छुरा मारकर हत्या. फ्रांस अराजकता जैसे हालातों के बाद उलझन और दहशत में है.
पस्त हाल
नवंबर में पेरिस में हुए आतंकी हमलों के बाद फ्रांस का सारा प्रशासन सुरक्षित तरीके से फुटबॉल यूरोकप कराने में लगा है. लेकिन ऐसा नहीं लगता कि उसे कोई कामयाबी मिली है.
परेशान देश
एक कथित आईएस समर्थक द्वारा पुलिस अधिकारी और उसके पार्टनर की हत्या ने फ्रांस को एक बार फिर सकते में डाल दिया है. देश परेशान है कि इस समस्या से निबटे कैसे.
मचा हड़कंप
मैच से पहले इंगलैंड और रूस के हूलिगनों की आक्रामक हरकतों ने दिखाया कि सुरक्षा अधिकारी अत्यंधिक दबाव में हैं और हिंसक फैन्स को काबू में रखने का बूता उनमें नहीं है.
सुधारों का विरोध
यूरोकप शुरू होने के ठीक पहले सरकार ने नए सख्त आर्थिक सुधारों की घोषणा की. ट्रेड यूनियनों ने मेहमान होने की मर्यादा को दरकिनार करते हुए हितों की रक्षा का फैसला किया.
भारी बेरोजगारी
फ्रांस में बेरोजगारी की दरें काफी ऊंची हैं. 2015 के अंत में देश के 10.6 प्रतिशत लोग बेरोजगार थे जबकि युवाओं के बीच बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा है. उनकी तादाद करीब 25 प्रतिशत है.
अंधेरा भविष्य
देश के उपमहानगरों में युवा बेरोजगारी का असर विदेशी मूल के युवाओं पर सबसे ज्यादा है. मौकों और सुरक्षित भविष्य के अभाव में उनमें से बहुत से आतंकवाद की ओर मुड़ रहे हैं.
घैर्य का इम्तहान
पिछले सालों में फ्रांस इस्लामी आतंकवाद के गढ़ के रूप में उभरा है. इस समय में हुए कई बड़े आतंकी हमलों ने देशवासियों के धैर्य, सहिष्णुता और सहनशीलता की परीक्षा ली है.
बेहतरी का दबाव
फ्रांस पर साथियों की ओर से भी आर्थिक सुधारों का दबाव है. विकसित देशों का संगठन ओईसीडी उससे श्रम बाजार में ढील देने और सरकारी खर्च में कटौती करने की मांग कर रहा है.