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दिल्ली में वायु प्रदूषण से हालात गंभीर

१८ अक्टूबर २०१७

दिल्ली में वायु प्रदूषण फिर बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. प्रदूषण बोर्ड ने बदरपुर पावर प्लांट को मार्च 2018 तक बंद कर दिया है.

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Indien Smog in Neu Delhi
तस्वीर: imago/Hindustan Times

दीवाली के समय दिल्ली में वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच जाता है. एक तरफ पटाखों का धुआं होता है तो दूसरी तरफ खेतों में अलाव जलाने से पैदा हुआ धुआं. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में पटाखों की बिक्री पर रोक तो लगा दी लेकिन दिल्ली से सटे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के इलाकों में अलाव जलाने का काम जारी है. इसके चलते बुधवार को दिल्ली दुनिया की सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाली राजधानी बन गयी.

एनवायर्मेंट पॉल्यूशन बोर्ड के मुताबिक बुधवार को दिल्ली की हवा में प्रति घन मीटर 200 माइक्रोग्राम PM2.5 प्रदूषक तत्व दर्ज किये गये. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की सेफ लिमिट से 8 गुना ज्यादा है. 25 माइक्रोग्राम को सेफ लिमिट माना जाता है.

बोर्ड के चैयरमैन भूरे लाल कहते हैं, "मुश्किल परिस्थिति कड़े कदम और उपाय मांगती है और हर बार सर्दियों में दिल्ली बेकाबू हो चुके वायु प्रदूषण का सामना करती है." सर्दियों में ठंडी हवा प्रदूषक तत्वों को नीचे ही रोक लेती है. विज्ञान की भाषा में इस प्रक्रिया को इनवर्जन कहा जाता है.

बोर्ड ने अब दिल्ली के बदरपुर पावर प्लांट को मार्च तक बंद करने के फैसला किया है. कोयले से चलने वाले इस पावर प्लांट से 700 मेगावॉट बिजली मिलती है. लेकिन प्रदूषण को काबू में करने के लिए इसे बंद कर दिया गया है. वैसे भी जुलाई 2018 से भारत बहुत ज्यादा प्रदूषण करने वाले जैविक ईंधन से दूर जाने का प्लान बना चुका है. प्रदूषण बोर्ड ने डीजल जेनरेटरों के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगा दी है.

2016 में दीवाली के वक्त दिल्ली में पीए2.5 का स्तर 778 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया. यह स्तर क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस, लंग कैंसर और दिल की कई बीमारियां पैदा करता है. 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे ने दुनिया भर के 1,600 देशों में से दिल्ली को सबसे ज्यादा दूषित करार दिया था. इसी साल की शुरुआत में अमेरिका के दो हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूटों के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण के कारणों हर साल लाखों अकाल मौत मर रहे हैं.

(क्यों छाती है धुंध की चादर)

ओएसजे/एके (एएफपी)