1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दिल्ली में सड़क पर झगड़ा, मैनेजर की मौत

१२ जनवरी २०११

भारत की राजधानी नई दिल्ली में सड़क पर बेरहमी का मामला फिर सामने आया. दो गाड़ियां मामूली रूप से आपस में भिड़ गईं. इसके बाद दोनों चालकों का झगड़ा शुरू हो गया और बड़ी कार में सवार पायलट ने मैनेजर को कुचल दिया.

https://p.dw.com/p/zwTG
तस्वीर: AP

दिल्ली के पॉश इलाके खान मार्केट में रात करीब एक बजकर 40 मिनट पर जेट एयरवेज के पालयट विकास अग्रवाल और एक इटैलियन रेस्तरां के मैनेजर राजीव जौली विल्सन की कारें आपस में टकरा गईं. इसके बाद फोर्ड आइकन पर सवार विकास अग्रवाल और आई-10 चालक विल्सन का झगड़ा शुरू हो गया.

एक चश्मदीद के मुताबिक, ''फोर्ड आइकन ने आई-10 को टक्कर मारा. इससे विल्सन बेहद नाराज हो गए और कार रोककर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए फोर्ड आइकन सवार चालक को मारने लगे. फोर्ड आइकन पर सवार विजय अग्रवाल काफी देर का कार में ही रहे और फिर उन्होंने अचानक गाड़ी निकालने की कोशिश की. इस दौरान विल्सन फुटपाथ और कार के बीच फंसकर गिर गए. अग्रवाल की कार का टायर विल्सन के पेट को रौंदता हुआ आगे बढ़ गया.''

मौके पर मौजूद एक अन्य चश्मदीद परमीत मेहता के मुताबिक, ''मौके पर बहुत भीड़ हो गई थी. सड़क पर गिरे विल्सन छटपटा रहे थे.'' रोड पर हैवानियत का ऐसा नजारा पेश करने के बाद पायलट ने गाड़ी समेत भागने की कोशिश की लेकिन भीड़ ने उसे दबोच लिया. पास में ही खड़ी पुलिस की वैन मौके पर पहुंची और अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया.

अग्रवाल पर लापरवाही से गाड़ी चलाने और लोगों की जान खतरे में डालने के मुकदमा दर्ज किया गया है. यह सामान्य सी धाराएं हैं जिनमें आसानी से जमानत मिल जाती है. अग्रवाल पर हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है. लेकिन दिल्ली पुलिस के नई दिल्ली रेंज के ज्वाइंट कमिश्नर धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, ''बुधवार को हम तीन डॉक्टरों से पोस्टमार्टम करावाएंगे. कारों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वाकई में क्या हुआ. अगर संतुष्टि नहीं हुई तो अग्रवाल के खिलाफ कड़ी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा.''

पुलिस यह मान रही है कि अग्रवाल विल्सन को पांच मीटर तक घसीटते हुए लेकर गए. लेकिन अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि अग्रवाल ने भागने की कोशिश की. सड़क हादसों के मामलों में अक्सर भागने वाले आरोपी के खिलाफ अदालत सख्त रुख अपनाती है. इसके उलट हादसा होने के वाबजूद पीड़ित की मदद करने या वहीं रहने वाले आरोपी कोर्ट से कुछ रियायत पा जाते हैं.

दिल्ली में रोड रेज का यह पहला मामला नहीं है. राजधानी के कई कोनों में आए दिन लोग सड़क पर झगड़ते हुए खून खराबे पर उतारू हो जाते हैं. हर साल ऐसे दो या तीन मामले भी आते हैं जब सड़क के झगड़े में किसी एक की जान चली जाती है. पुलिस और सरकार इन पर फिक्र जताती है. इस मामले से पता चलेगा कि इस फिक्र को पुलिस सख्त कार्रवाई करके तवज्जो देती या नहीं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन