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दुनिया करे सवाल, तो मोदी क्या जवाब दें

५ अक्टूबर २०१६

भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक मोर्चे पर जैसे ही तनाव में थोड़ी सी कमी आई है, वैसे ही दिल्ली के सियासी गलियारों का पारा बढ़ गया है. और मोदी विरोधियों की तोपें प्रधानमंत्री की तरफ नजर आ रही हैं.

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Indien Ministerpräsident Narendra Modi
तस्वीर: UNI

हफ्तों तक चली गरमागर्मी के बीच भारत और पाकिस्तान ने कहा है कि उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने एक दूसरे से संपर्क किया है और दोनों पक्ष नियंत्रण रेखा पर तनाव को घटाने पर सहमत हुए हैं. वरना अभी तक तो सबक सिखाने, मुंहतोड़ जबाव देने और हर तरह के हालात का मुकाबला करने से नीचे बात ही नहीं हो रही थी.

पहले उड़ी हमला और फिर उसके बाद भारत के ‘सर्जिकल स्ट्राइक' के मुद्दे पर देश एकजुट नजर आ रहा था, लेकिन अब वहां अलग आवाजें सुनाई देने लगी हैं. भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दावे को न तो पाकिस्तान ने माना है और न ही नियंत्रण रेखा के पास निगरानी करने वाले संयुक्त राष्ट्र के अमले ने. लेकिन अब भारत में भी इस दावे पर सवाल उठाए जा रहे हैं और सबूत मांगे जा रहे हैं.

हालांकि सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और संजय निरुपम और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भारत में सोशल मीडिया पर पहले ही गद्दार करार दिए जा चुके हैं. सरकार के दावे पर सवाल उठाने का नफा नुकसान तो राजनेता जानें, लेकिन अब मामला सियासी अखाड़े में पहुंच गया है तो सियासी दावपेंच तो चलाए ही जाएंगे.

सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान के इनकार को दुष्प्रचार कह कर खारिज करना भारत के लिए आसान था, लेकिन अब देश के भीतर से उठ रहीं ऐसी आवाजें क्या अनसुनी की जा सकती हैं? हालांकि उड़ी हमले में 19 सैनिकों की मौत के बाद जनता में जिस कदर रोष है, उसे देखते हुए सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना मोदी विरोधियों के लिए जोखिम भरा सौदा साबित हो सकता है. क्योंकि यहां बात सिर्फ सरकार या फिर भारतीय जनता पार्टी की नहीं है, बल्कि इस दावे के साथ सेना की विश्वसनीयता भी जुड़ी है.

इस तरह के मुद्दे कूटनीतिक सतह पर अपने तरीके से संभाले जा सकते हैं, लेकिन जब ये सियासी तू तू मैं मैं का हिस्सा बन जाए तो बात कहीं और पहुंच जाती है. केजरीवाल का बयान पाकिस्तान में पहले ही बड़ी सुर्खी बन चुका है.

हालांकि इस तरह की बातें कूटनीतिक मोर्च पर भारत के रुख को कमजोर करेंगी, ऐसा नहीं लगता है. हां, इससे भाजपा को हमलावर होने का एक और मौका मिला है. उड़ी हमले के बाद बहुत से हताश लोगों और खास कर मोदी समर्थकों में सर्जिकल स्ट्राइक की खबर से नए जोश का संचार हुआ है. कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री को बधाई देने वाले होर्डिंग भी लगवा दिए हैं. ऐसे में उस पर सवाल उठाने वालों को भाजपा जनता की नजर में गुनहगार साबित करने की पूरी कोशिश करेगी. लेकिन मोदी विरोधियों की तरफ से भी उतना ही जोरदार पलटवार होने की उम्मीद है. हो सकता है कि आने वाले दिनों में दोनों तरफ से बयानों के वार हों. लेकिन कोई बात नहीं. सरहद की जंग से बयानों की जंग बेहतर है. इससे दिमाग की दही हो सकती है, लेकिन जान को कोई खतरा नहीं है.

ब्लॉग: अशोक कुमार