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यहां हाथी घोड़े पर आते हैं बैलेट बॉक्स

१६ अप्रैल २०१९

सुमात्रा के लोगों तक हाथियों के जरिए बैलेट बॉक्स पहुंचाने से लेकर पापुआ के वोटरों को विद्रोहियों से बचाने तक, इंडोनेशिया हरसंभव कोशिश में है कि एक दिन में संपन्न होने वाला चुनाव सफल रहे.

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Indosien Wahlurnen in Sumatra
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mayuddin

वोटर भले ही इतनी बड़ी संख्या में हैं लेकिन उनके पास वोट डालने के लिए महज आठ घंटे का वक्त होगा. चुनाव आयोग के सामने भारी बरसात, वोटरों की जालसाजी और साइबर हमले की भी चुनौती है. इतना भी शायद कम था जो भारत और अमेरिका के बाद तीसरे बड़े लोकतांत्रिक देश ने राष्ट्रपति, संसदीय और स्थानीय चुनाव एक ही दिन कराने का फैसला कर लिया. ज्यादा वक्त नहीं बीता जब देश सैन्य समर्थित तानाशाह के चंगुल में था पर अब तो हर तरफ लोकतंत्र का ही चर्चा है. चुनाव आयोग के प्रमुख आरिफ बुदीमान ने हाल ही में पत्रकारों और राजनयिकों के एक जलसे में कहा, "यह एक बड़ा देश है. हम अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे लेकिन इस साल हम लोग बहुत व्यस्त हैं."

Indonesien Wahlwerbung
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/F. Lisnawati

चुनाव आयोग के प्रमुख सचमुच कोई मजाक नहीं कर रहे थे. अधिकारी कार्डबोर्ड के बैलेट बॉक्स लोगों तक पहुंचाने के लिए हाथियों से लेकर मोटरबाइक, स्पीडबोट और विमान तक का सहारा ले रहे हैं. इनकी सुरक्षा के लिए हथियारबंद सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. करीब 4,899 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले द्वीपसमूहों के कोने कोने तक उन्हें बैलेट बॉक्स पहुंचाने हैं. यहां सैकड़ों जातीय गुट और अलग अलग भाषा बोलने वाले लोग हैं.

सुमात्रा के आचेह प्रांत में हाथियों पर बैलेट बॉक्स आए हैं तो जावा द्वीप के सुदूर दक्षिणपूर्वी इलाकों के समुदायों तक बैलेट बॉक्स पहुंचाने के लिए घोड़ों की मदद ली गई है. तेमपुएर्जो सब डिस्ट्रिक्ट के पुलिस प्रमुख सुरार्तांतो ने कहा, "बरसात के दिनों में रास्ता कीचड़ में सना होता है तो ऐसे में चुनाव सामग्री ले जाने के लिए हम घोड़ों का इस्तेमाल करते हैं."

Indosien Wahlurnen in Sumatra
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mayuddin

पहले बैलेट बॉक्स धातु के होते थे लेकिन अब उन्हें हल्के कार्डबोर्ड से बनाया जाता है. थोड़ा बहुत पानी इन पर गिरे तो कोई नुकसान नहीं होता लेकिन जाहिर है कि इन्हें बाढ़ के पानी में नहीं डाला जा सकता. पिछले हफ्ते ही भारी बरसात के कारण जकार्ता के पास एक गोदाम में रखे सैकडों बैलेट बॉक्स खराब हो गए. इन बक्सों के भीतर बैलेट पेपर को सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक के थैले लगाए गए हैं.

इस बार के चुनाव में 2,45,000 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जो एक रिकॉर्ड है. मौजूदा राष्ट्रपति जोको विडोडो के सामने पूर्व जनरल प्राबोवो सुबियांतो की चुनौती है. मतदान बुधवार सुबह शुरू होगा जिसके लिए 8 लाख से ज्यादा बैलेट स्टेशन बनाए गए हैं. लाखों की तादाद में चुनाव कर्मी और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. सुदूर पूर्व के पापुआ इलाके में लंबे समय से उग्रवाद पनप रहा है. बीते साल दिसंबर में पर्वतीय इलाके के एक सरकारी ठेकेदार के एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों को विद्रोहियों ने अपना निशाना बनाया. पिछले साल ही स्थानीय चुनाव के लिए चुनाव सामग्री पहुंचाए जाने के दौरान भी हिंसा भड़क उठी जिसमें कई पुलिसकर्मी और चुनाव अधिकारियों की मौत हो गई.

Indosien Wahlurnen in Sumatra
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mayuddin

पापुआ में हथियारबंद विद्रोही ही चुनाव के लिए अकेली चुनौती नहीं हैं. इसकी सीमा न्यू पापुआ गिनी से लगती है जो अब एक स्वतंत्र देश है. खनिज से भरे इस हिस्से के मतदाता एक सामुदायिक वोटिंग सिस्टम में वोट देते हैं, जिसे "नोकन" कहा जाता है. इस सिस्टम में गांव का मुखिया लोगों के वोट जमा करता है और फिर बैलेट बॉक्स पर अपने समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है. यहां सीधे मतदान अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती और सिरदर्द है जो ज्यादातर नाकाम हो जाती है. यही वजह है कि अधिकारी इसी सिस्टम से वोट कराते हैं हालांकि इसमें जालसाजी की बड़ी गुंजाइश रहती है.

यहां वोटों की खरीद भी बड़ी आम बात है. पापुआ के चुनाव आयोग के प्रमुख थियोडोरस कोसाय कहते हैं, "आमतौर पर मतदाता ऐसे उम्मीदवार को चुनते हैं जो उनके गांव या परिवार का हो. इसके साथ ही अकसर यह भी होता है कि जितने वोट डाले जाते हैं वो समूह में बनी सहमति से कम होते हैं, जिसके कारण धोखाधड़ी होती है."

Indonesien Jakarta - Kampaqne von  Joko Widodo und Ma'ruf Amin bevor Wahl
जकार्ता की चुनावी सभा में जुटी भीड़तस्वीर: DW/R. Akbar Putra

दसियों लाख चुनाव अधिकारियों का प्रशिक्षण एक और बड़ी चुनौती है क्योंकि बहुत से लोग पहली बार चुनाव करा रहे हैं. हर स्टेशन के कुछ लोग प्रशिक्षित होते हैं और उन्हीं पर बाकी लोगों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी होती है.

उम्मीदवारों की तादाद इतनी ज्यादा है कि उनके बारे में वोटरों को जानकारी देना भी बड़ा सिरदर्द है. इससे मुक्ति पाने के लिए एक मोबाइल ऐप भी बनाया गया है जिसके जरिये लोग उम्मीदवारों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं. विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी होने की भी शिकायत की है और वोटिंग में बाधा डालने के लिए साइबर हमलों की आशंका भी जताई जा रही है. आरोप लग रहे हैं कि इनके पीछे चीन या रूस का हाथ हो सकता है. हालांकि चुनाव आयोग ने इनकी पुष्टि नहीं की है. आयोग का कहना है कि वे इंडोनेशियाई भी हो सकते हैं या फिर किसी और देश के भी.

एनआर/ओएसजे(एएफपी)

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