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दुर्घटनास्थल पर तनाव और अफरातफरी

१६ नवम्बर २०१०

क्रंकीट की दीवारों के ढहे हिस्से, चारों तरफ तनाव और अफरातफरी. राहत एजेंसियों के साथ मदद में जुटे लोग, घायलों को मलबे से बाहर निकालने की जद्दोजहद. लक्ष्मीनगर में इमारत ढहने के बाद यहां लोगों में मायूसी और नाउम्मीदी है.

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तस्वीर: Mohamad Tajik

पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर के ललिता पार्क इलाके में चार मंजिला इमारत के ढहने की घटना रात करीब आठ बजे हुई. दुर्घटना के समय करीब 100 लोग इमारत में मौजूद थे. फायर ब्रिगेड, पुलिस और दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए हैं और राहत कार्य में हाथ बंटा रहे हैं. उनकी प्राथमिकता मलबे को हटा कर घायलों को बाहर निकालने की है और इस काम में स्थानीय लोग भी मदद कर रहे हैं.

एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ियों के जरिए घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. लक्ष्मी नगर में राहत कार्य को देख रहे दिल्ली फायर ब्रिगेड के चीफ आरसी शर्मा ने कहा है कि मलबे से लोगों को निकालने का काम रात भर जारी रखा जाएगा. घायलों को लाल बहादुर शास्त्री और लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल ले जाया गया है. इस हादसे में 34 लोगों की मौत हुई है जबकि 60 से ज्यादा घायल हुए हैं.

चारों तरफ कंक्रीट, और मलबा फैला पड़ा है. लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने और मलबे को हटाने के लिए लोग हाथों का सहारा ले रहे हैं. दुर्घटनास्थल के आसपास बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए हैं और मलबे से किसी व्यक्ति के जीवित बाहर निकाले जाने पर तनाव में भी उनके चेहरे पर संतोष का भाव आ जाता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक घटना के शुरुआती घंटों में न तो इलाके में बिजली थी और राहत कार्य में मदद के लिए क्रेन भी नहीं पहुंची.

दिल्ली के वित्त मंत्री एके वालिया ने कहा है कि मॉनसून के दौरान भारी बारिश हुई जिसके चलते पुरानी इमारत की नींव में दरार पड़ गई. इलाके में यमुना का पानी भी भर गया था और कुछ लोगों का कहना है कि इमारत के बेसमेंट में अब भी पानी मौजूद है. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि इतनी बड़ी इमारत कुछ ही मिनटों में ढह गई. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि इमारत में एक और मंजिल खड़ी करने का काम चल रहा था और उसी दौरान यह घटना हुआ. घायलों में अधिकतर मजदूर हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एन रंजन