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दोस्तों से दूर करता फेसबुक

९ अक्टूबर २०१०

फेसबुक की लत लोगों को दोस्तों से दूर ले जा रही है. वैज्ञानिक रिसर्च में सामने आया है कि दोस्तों को अपने बारे में जानकारी देने के लिए फेसबुक अपडेट करने के चक्कर में लोग दोस्त गंवा रहे हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

कुछ खास न होने पर भी कुछ न कुछ कहने की आदत लोगों के रिश्तों में दरार ला रही है. ये बात सामने आई है लंदन के कोलोराडो यूनिवर्सिटी के डेनेवर बिजनेस स्कूल की रिसर्च में. रिसर्च के दौरान 1500 फेसबुक अकाउंट की पड़ताल कर ये जानने की कोशिश की गई कि कौन सी चीज लोगों को उनके ऑनलाइन दोस्तों से दूर ले जा रही है. ऑनलाइन दोस्तों से दूर जाने की इस प्रक्रिया को डिफ्रेंडिंग कहते हैं. इसमें सदस्य अपनी फेसबुक दोस्ती को खत्म करके अपने अकाउंट से दोस्त का नाम हटा देते हैं.

रिसर्च में पता चला है कि 50 करोड़ सदस्यता वाले इस सोशल नेटवर्किंग साइट के लिए सबसे बड़ा गुनाह है बोरिंग होना. किसने नाश्ते में क्या खाया, किसी का पसंदीदा पॉपस्टार कौन है, किसी काम को करने में कितना वक्त लगा इन सबके बारे में जानकारियां लोगों को बोझिल करती हैं और वो डिफ्रेंडिंग के विकल्प चुनने लगते हैं. इतना ही नहीं फेसबुक पर बहुत ज्यादा सक्रियता, राजनीति और धर्म के बारे में ज्यादा बातचीत, हर मामले में अपनी राय देना, नस्ली भेदभाव वाले बयान और कठोर बयानबाजी भी लोगों को बुरी लगती है नतीजा दोस्ती का खात्मा.

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दूरियां बढ़ाता फेसबुकतस्वीर: facebook.com

रिसर्च के मुताबिक दोस्ती तब भी टूट जाती है जब मां बाप बच्चों के बारे में ज्यादा जानकारी रखने लगते हैं या फिर असल जिंदगी में अलग हो चुके लोग अपने ऑनलाइन रिश्तों को भी खत्म करने का फैसला कर लेते हैं. ऑनलाइन दोस्ती खत्म करने वालों में 57 फीसदी लोगों ने ऑनलाइन गलतियों को इसकी वजह माना जबकि 27 फीसदी लोग वास्तविक जिंदगी में हुई गड़बड़ियों को इसकी वजह बताते हैं.

रिसर्च करने वाली कोलोराडो यूनिवर्सिटी की क्रिस्टोफर सिबोना बताती हैं कि लोगों को अब आपके पसंदीदा ब्रांड के बारे मे की गई 100वीं कमेंट के बारे में कोई दिलचस्पी नहीं. सिबोना के मुताबिक, "समाज में ध्रुवीकरण करने वाले मुद्दों जैसे कि धर्म और राजनीति के बारे में बातचीत भी दोस्ती में दरार डालती है. कहा जाता है कि ऑफिस की पार्टियों में धर्म और राजनीति की चर्चा नहीं करनी चाहिए. यही बात ऑनलाइन रिश्तों में भी लागू होती है." सिबोना ये भी कहती हैं कि आमतौर पर ऑनलाइन दोस्ती का टूटना लोगों को दुखी नहीं करता.

सिबोना के मुताबिक नौकरी देने वाला शख्स फेसबुक पर दिए गये बयानों के असर में आकर नौकरी ढूंढने वालों की छवि अपने मन में बना सकता है. नौकरी देने वाले लोग आजकल फेसबुक प्रोफाइल पर निगाह रखते हैं. सावधानी इसलिए भी जरूरी है. रिसर्च करने वाले इस बात पर तो बहुत समय खर्च करते हैं कि दोस्ती कैसे हुई लेकिन इस बात पर कम ही लोगों का ध्यान होता है कि दोस्ती टूटी कैसे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः उ भट्टाचार्य

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