दो रोटी के लिए तरसते वेनेजुएला के लोग
२८ जनवरी २०१९एलिजाबेथ पिनेडा वेनेजुएला की राजधानी काराकस में रहती हैं. वह सचिव पद से रिटायर हुईं और अब 18,000 बोलिवर प्रतिमाह की पेंशन पर गुजर बसर करती हैं. सुनने में 18,000 बोलिवर भले ही बड़ी रकम लगे, लेकिन यह मात्र छह अमेरिकी डॉलर हैं. एलिजाबेथ दो लोगों के साथ एक कटोरा मीट सूप साझा करती हैं. इसका बिल आता है 1.50 अमेरिकी डॉलर. यानी चार कप सूप में एक महीने की पेंशन खत्म. वेनेजुएला में महंगाई इस हद पर पहुंच चुकी है.
देश का एक तबका और विपक्षी पार्टियां 35 साल के नौजवान खुआन गुआइदो के समर्थन में खड़ी हो चुकी हैं. राष्ट्रपति निकोला मादुरो को चुनौती देते गुआइदो खुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं. अमेरिका और जर्मनी समेत कई पश्चिमी देश गुआइदो का समर्थन कर चुके हैं. वहीं रूस और चीन बाहरी देशों से वेनेजुएला में दखल न देने की अपील कर रहे हैं.
राजनीतिक तौर पर कई घटनाएं एक साथ एलिजाबेथ पिनेडा के सामने घट रही हैं. वह राष्ट्रपति निकोला मादुरो से तंग आ चुकी हैं, "सरकार अपने बुरे फैसलों और शर्मनाक हरकतों से हमारा और ज्यादा दम घोंटेगी." एलिजाबेथ घर चलाने के लिए ज्योतिष का काम भी करती हैं. वह दावा करती हैं कि मादुरो जल्दी और शांति से नहीं जाने वाले हैं. अर्थशास्त्री इस बात पर सहमत हैं कि अमेरिका समर्थित गुआइदो और मादुरो के बीच राजनीतिक संघर्ष जितना लंबा चलेगा, उतना ही ज्यादा खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ेगा. मादुरो को सेना का समर्थन हासिल है. वहीं गुआइदो को सेना से तख्तापलट की उम्मीद है.
वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है. इस भंडार की कमान मादुरो के हाथ में है. लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते मादुरो शायद ही इस भंडार का फायदा उठा सकें. 25 जनवरी 2018 को अमेरिका के संघीय रिजर्व ने कुछ दिशा निर्देश जारी किए. इन दिशा निर्देशों के बाद मादुरो विदेशों से होने वाली आय का ना के बराबर लाभ उठा सकेंगे. वेनेजुएला का 1.2 अरब डॉलर का स्वर्ण भंडार भी बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरी में है. फेडरल रिजर्व के फैसलों के बाद मादुरो इसका इस्तेमाल भी नहीं कर सकेंगे.
यूरोपीय संघ ने मादुरो से कहा है कि अगर उन्होंने आठ दिन के भीतर नए चुनावों का एलान नहीं किया तो ईयू गुआइदो को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दे देगा. अगर ऐसा हुआ तो वेनेजुएला का तेल उत्पादन काफी हद तक ठप पड़ जाएगा. 2.9 करोड़ की आबादी वाले देश में महंगाई पहले ही आसमान छू रही है. देश में खाने की किल्लत भी हो रही है.
न्यूयॉर्क के टोरिनो कैपिटल के चीफ इकोनोमिस्ट फ्रांसिस्को रोड्रिगेज कहते हैं, "अगर मादुरो सत्ता में रहते हैं तो वेनेजुएला मानवीय त्रासदी का सामना कर सकता है." रोड्रिगेज वेनेजुएला की तुलना 2011 के लीबिया से करते हैं. 2011 में ओबामा प्रशासन ने लीबिया सरकार की संपत्तियां सीज कर दी थी. अमेरिका के कड़े फैसलों के चलते लीबिया का तेल उत्पादन 70 फीसदी गिर गया. 1990 के दशक में कुवैत पर हमले के बाद इराक पर ऐसे ही प्रतिबंध लगाए गए थे. हालांकि तब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मशविरा किया गया था.
मादुरो को अब भी उम्मीद है कि चीन और रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसकी मदद करेंगे. ये दोनों देश सुरक्षा परिषद में ऐसे प्रतिबंधों को वीटो अधिकार से रोक देंगे.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के ये दांव पेंच एलिजाबेथ पिनाडो की समझ से परे हैं. वह कहती हैं, "पहले तो हमें खाने के लिए रोटी मिलनी चाहिए, पीने के लिए पानी मिलना चाहिए. इस स्थिति से बाहर निकलना ही हमारा इनाम होगा. वेनेजुएला की 90 फीसदी आबादी गरीबी की चपेट में है. 2014 में गरीब आबादी की संख्या करीब 48 फीसदी थी. चार साल के भीतर यह तकरीबन दोगुनी हो चुकी है. अप्रैल 2013 से मादुरो देश के राष्ट्रपति हैं.
(जहां टमाटर के लिए खर्च करने पड़ें पांच लाख)
ओएसजे/आईबी (एपी, डीपीए)