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धरती पर जीवन की शुरुआत के दावे को चुनौती

१८ अक्टूबर २०१८

2016 में जब ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर 3.7 अरब साल पहले जीवन शुरू होने के सबूत दिए तो इसे बहुत अहम माना गया. अब इसे भी चुनौती दे दी गई है. वैज्ञानिकों ने इसे लेकर कुछ सबूत भी पेश किए हैं.

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Australien Beweise für das früheste Leben auf der Erde
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. J. Brown

इस बारे में एक रिसर्च रिपोर्ट नेचर पत्रिका में छापी गई है. ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने अपने सबूतों के आधार पर जीवन की शुरुआत को करीब 22 करोड़ साल पीछे धकेल दिया था. इससे मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश की कोशिशों पर भी असर पड़ा. ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड में आदिम चट्टानों के विश्लेषण के आधार पर अपना सिद्धांत दिया. अब रिसर्चरों की एक टीम ने दावा किया है कि जिन संरचनाओं को सूक्ष्मजीवी गतिविधियों का सबूत माना गया था, वास्तव में वे भूवैज्ञानिक तरीके से भूमिगत ताप और दबाव से बनाए गए थे.

सच्चाई इस बात पर निर्भर करती है कि कोन की आकृति की जो संरचनाएं दिखाई गईं, वो प्राकृतिक रूप से बनी स्ट्रोमेटोलाइट (छिछले पानी पर सूक्ष्मजीवों के जरिए बनने वाली परतदार चट्टानी संरचना) थीं या नहीं. इस संरचना से पहले ऑस्ट्रेलिया में 3.45 अरब साल पुराने स्ट्रोमेटोलाइट के मिलने की पुष्टि हुई थी. धरती पर जीवन पहले पहल कब शुरू हुआ इसकी जानकारी उसके उद्भव और विकास को समझने के लिए जरूरी है.

कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अबिगेल ऑलवुड और उनके साथियों ने विवादित संरचनाओं का विश्लेषण किया है. वैज्ञानिकों ने उसके रासायनिक संयोजन और झुकाव पर भी रिसर्च की.

इन संरचनाओं का थ्रीडी व्यू देखने के बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे कि कथित जीवाश्म में अंदरूनी परतें नहीं हैं, जो स्ट्रोमेटोलाइट की पहचान होते हैं. ज्यादा करीब से देखने पर पता चला कि कोन जैसी संरचनाएं बिल्कुल वैसी ही हैं जैसी कि कुछ करोड़ साल पहले प्राकृतिक बदलाव यानी मेटामॉर्फसिस के कारण बनी संरचानएं थीं.

इसके अलावा चट्टान में सूक्ष्मजीवों की गतिवधियों के कारण पैदा होने वाले रासायनिक कण भी नहीं मिले. ऑलवुड की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "हमारा मानना है कि मौजूदा सबूत इस बात का समर्थन नहीं करते कि इन संरचनाओं को 3.7 अरब साल पुराने स्ट्रोमेटोलाइट माना जाए." उनकी रिसर्च अभी जारी है और इसने मंगल पर मौजूद चट्टानों की संरचनाओं में जीवन की तलाश कर रहे वैज्ञानिकों को भी सतर्क कर दिया है. 

पेरिस के इंस्टीट्यूट दे फिजिक दू ग्लोब से जुड़े जिओमाइक्रोबायोलॉजिस्ट मार्क वान जूलेन का कहना है कि सबूतों के फिर से आकलन मानने लायक हैं और ऑस्ट्रेलियाई स्ट्रोमेटोलाइट को पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत का सबूत माने जाने के लिए दोबारा कोशिश करनी होगी. उन्होंने नेचर पत्रिका में अपनी प्रतिक्रिया दी है, "इन पर्यवेक्षणों ने चट्टानों के तोड़ मरोड़ के बारे में मजबूत सबूत दिए हैं और इस तरह से इन संरचनाओं की अजैविक व्याख्या की है."

2016 की खोज में शामिल ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने अभी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

एनआर/आईबी (एएफपी)

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