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धर्म गुरूओं पर विश्वास

२५ सितम्बर २०१३

पिछले सप्ताह प्रश्नोलॉजी में हमने आपसे पूछा था कि क्या भारत में धर्मगुरुओं का क्रेज कम हुआ है? इस विषय पर मिले हमें आपसे ढेर सारे जवाब, कुछ दिलचस्प जवाब पढ़िये यहां...

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Hindu devotees and onlookers gather for a procession ahead of the Kumbh Mela in Allahabad on January 10, 2013. The Kumbh Mela, which is scheduled to take place in the northern Indian city in January and February 2013, is the world's largest gathering of people for a religious purpose and millions of people gather for this auspicious occasion. AFP PHOTO/Sanjay KANOJIA (Photo credit should read Sanjay Kanojia/AFP/Getty Images)
तस्वीर: Sanjay Kanojia/AFP/Getty Images

जब धर्माधिकारी अधर्म के रास्ते पर चल पड़े तो धर्म ज्ञान की राह कौन दिखायेगा, इन्ही बातों के कारण लोगों का क्रेज धर्मगुरुओं से कम हुआ है: सचिन सेठी

आसाराम, नित्यानंद, निर्मल जैसे "बाबाओं" पर इतने गंभीर आरोप लगने के बाद जैसे इनके समर्थन में प्रदर्शन हुआ उससे तो यही लगता है कि इनका क्रेज कम नहीं हुआ: सावन सुमेघ

भारत की धर्मांन्ध जनता के बीच 'आसाराम प्रकरण' के कारण इन धर्मगुरुओं की लोकप्रियता में कुछ कमी आई है परन्तु अभी भी अन्धविश्वास की जड़ें यहां काफी गहरी हैं: राजेंद्र आर्य

यहां धर्मगुरुओं का क्रेज कम नहीं हुआ है पर धर्मगुरुओं के प्रति आत्मविश्वास में कमी जरूर आयी है. इसका मुख्य कारण कुछ ऐसे बनावटी धर्मगुरु पैदा होना है जो धर्म के नाम पर गलत और मनघढ़ंत बातों का प्रचार प्रसार करते हैं: फ़िरोज़ अख्तर अंसारी

मेरे ख्याल से भारत में धर्मगुरुओं की क्रेज कम हो रही है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है देश की युवा पीढ़ी, जो बाबा लोगों को ज्यादा नहीं मानते. पुराने जमाने में लोग धर्मगुरु लोगों की सेवा में अपना सारा जीवन समर्पित करते देते थे. धर्मगुरूओं के पास न घर होता था न ही कोई आश्रम, जो कुछ भी उन्हें मिल जाता था उसी में गुजारा करते थे. लेकिन आज हालात बिल्कुल इसके विपरीत है. अगर धर्मगुरुओं के दर्शन करने हैं तो फर्स्ट क्लास, सेकेंड क्लास टिकट लेकर दर्शन करने पड़ते हैं. करोड़ों की जायदाद संभालने वाले बाबा लोगों के व्यवहार की वजह से लोगों का उन पर विश्वास कम हो रहा है… और यही सच है: वसुंधरा शेखर

भारत में धर्म सबसे संवेदनशील विषय है. प्रत्येक धर्म में महान चिन्तक विचारक हुए हैं जिन्होंने समाज को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास किया है. वर्तमान में तथाकथित कुछ धर्मगुरुओं ने इसे व्यापार और अर्थोपार्जन का साधन मानकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ किया है: पुष्पेंद्र यादव

धर्म और भारत एक सिक्के की दो बाजू हैं. धर्म धर्मगुरुओं द्वारा ही चलता है. आज के विकसित हो रहे भारत में नये-नये तौर-तरीकों से धर्म में भी नयी-नयी बुनियादें आ रही है. इन्हीं बुनियादों के साथ धर्मगुरुओं की संख्या एवं क्रेज भी बढती जा रही है. जैसे हाथ की पांचो उंगलियां समान नहीं होती वैसे ही कुछ ढोंगी धर्मगुरु भी हैं जो लोगों को अंधश्रद्धा के नाम पर ठगते रहते हैं और कुछ धर्मगुरु ऐसे भी होते है जो मनुष्य का सही में जीवन उद्धार करते है, पर अंत में तो लोगो की अंधश्रद्धा के कारण इन ढोंगी गुरुओं का क्रेज तो बढ़ता ही जायेगा: साहिल पटेल

जिस प्रकार लोहे को चुम्बकीय आकर्षण होता है, ठीक उसी प्रकार भारत में लोग धर्मगुरु की ओर आकर्षित हैं. एक धर्मगुरु का क्रेज कम हुआ तो दूसरे धर्मगुरु का क्रेज अपने आप बढ़ जाता है: संदीप जावले

भारत में कुछ भी हो जाये पर धर्मगुरुओं का क्रेज कभी भी खत्म नहीं हो सकता. यहां पर कुछ दिनों के बाद हर कोई सब कुछ भूल के इन्ही दोषी बाबाओं को फिर से पूजेगा. यहां अन्धविश्वास अपने चरम पर है. सीधे शब्दों में कहें तो चमत्कार को नमस्कार है: मधु सिंह

गुरु के बिना ज्ञान मिलना मुश्किल है चाहे वह धर्म के हो या किसी और के. आज भी धर्मगुरु का क्रेज उतना ही है क्योंकि सभी को आध्यात्मिकता की जरूरत रहती है जिसका सही ज्ञान धर्मगुरु दिला सकते हैं, पर अभी इतने सारे अच्छे और बुरे धर्मगुरु के बीच हम किसको चुनते हैं उसके ऊपर हमारा अध्यात्मिक स्तर तय होता है: बोसमिया तेजस

आज हमारे देश में ऐसे हजारों धर्मगुरु सक्रिय हैं जो करोड़ों-अरबों रुपयों के मालिक हैं और जिनका नेटवर्क देश-विदेश में फैला हुआ है. काम, क्रोध, मोह, लोभ के वशीभूत इन तथाकथित संत-महात्माओं के मायाजाल को जनता जब तक नहीं समझेगी, तब तक समाज में धर्मगुरुओं का क्रेज बना ही रहेगा: चुन्नीलाल कैवर्त

बिल्कुल भी नहीं हुआ है और न ही होगा. जब तक लोग अंधविश्वास पर भरोसा करना बंद नहीं करेंगे तब तक ढोंगी बाबाओं का यह क्रेज खत्म नही होने वाला. हमारे अंधविश्वास के कारण ये बाबा लोग फायदा उठाते हैं. एक बात ध्यान रखे कि किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते: सौरव मुखर्जी

भारत में धर्मगुरुओं का क्रेज कम नही हुआ है. पहली बात तो यह है ऐसे कोई क्रेज होता भी नहीं है क्योंकि भारत में हिन्दू धर्म के गुरु व संत साधुओं को जनता पैसे दान देती है और मेरे विचार में डॉयचे वेले जी आज का जमाना साधु संतों का नहीं है, कलियुग है. जब सतयुग था उस जमाने में संत थे. भारतीय समाज में धार्मिक गुरुओं, मौलवी या अन्य धर्मगुरुओं को जनता खुद दान के तौर पर रुपये देती है. इन धार्मिक गुरूओं का कोई क्रेज नही है: कृपाराम कागा

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी