1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ध्वनि से होता है खरीदारी का फैसला

१८ अप्रैल २०१६

सुनना हमारी पांच इन्द्रियों में से एक का काम है. जरूरी है कि हम आसपास की आवाजों को सही तरह समझें. अगर ध्वनि ठीक नहीं हुई तो हमें शक होने लगता है. और इसका असर आवाज करने वाली मशीनों को खरीदने के हमारे फैसले पर पड़ता है.

https://p.dw.com/p/1IXr1
Staubsauger
तस्वीर: mmphotographie.de/Fotolia.com

जर्मनी की ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी में ध्वनि विज्ञानी उन आवाजों पर शोध कर रहे हैं, जिन्हें हम सुनते हैं, जिन्हें हम सुनने की उम्मीद करते हैं और जिन्हें नहीं भी सुनते हैं. इन आवाजों का इस्तेमाल मशीनों में होता है और ये आवाजें यह तय करती हैं कि लोग उन्हें खरीदेंगे या नहीं.

वैक्यूम क्लीनर की आवाज खासी जोरदार होती है. साउंड डिजायन का मकसद है ग्राहकों को एक सकारात्मक अहसास देना, ताकि उनका प्रोडक्ट खरीदने का मन करने लगे. साउंड एक्सपर्ट एरकन एलटीनोसोय बताते हैं, "जब हम किसी उत्पाद के साथ संवाद करते हैं, तो हमें एक तरह के फीडबैक की उम्मीद होती है. अगर मैं कॉफी मशीन चलाता हूं तो मैं जानना चाहूंगा कि वह ठीक तरह से काम कर रही है या नहीं. इसलिए जरूरी है कि सही समय पर सही आवाज आए, ताकि हम तक सही संदेश पहुंच सके." हालांकि ऐसी भी मशीनें हैं जो हर वक्त चलती रहती हैं, जैसे कि फ्रिज. उसका शांत रहना ही सही है क्योंकि उसकी आवाज परेशान कर सकती है.

Symbolbild Skoda Octavia
तस्वीर: Skoda

शोर और सुकून भरी आवाज में अंतर

यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला में आवाजों पर शोध होता है. इसके लिए यहां हजारों बोरों में ग्लास वुल भरा है, जो बाहर से आने वाली किसी भी आवाज को सोख लेता है. ध्वनि विज्ञानी यहां केवल वही आवाज सुनते हैं, जिस पर वे शोध करना चाहते हैं. जैसे कि इस वॉटर बाथ में बहुत ही कम कंपन देखने को मिलता है. एरकन एलटीनोसोय कहते हैं, "हमने एक डिश वॉशर का उदाहरण लिया, उन्हें मूल रूप से शांत होना चाहिए." कंपन जितना ज्यादा होगा, मशीन उतना ही ज्यादा शोर करेगी. और ग्राहक ऐसा उत्पाद खरीदना नहीं चाहेंगे. चुंबक और साउंड प्रूफ चीजों का इस्तेमाल कर शोर में कमी लाई जा सकती है. ग्राहकों के लिए जरूरी है कि किचन में मौजूद उपकरण सही और अच्छी ध्वनि पैदा करें. हर उत्पाद के लिए अलग तरह की ध्वनि तैयार की जाती है.

कार में साउंड इंजीनियरिंग

कार खरीदते वक्त कुछ खास आवाजों पर लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा जाता है. आधुनिक गाड़ियों में चार सौ से ज्यादा तरह की आवाजों का इस्तेमाल होता है. इन सब की अलग पहचान होना और कानों के लिए इनका सुखद होना बेहद जरूरी है. साथ ही उन्हें लोगों तक सही सूचना भी पहुंचानी होती है क्योंकि गाड़ी चलाते समय अधिकतर लोग अपनी सुनने की क्षमता पर ही भरोसा करते हैं. एरकन एलटीनोसोय कहते हैं, "अगर हम एक मीडियम साइज कार की बात करें, तो आज कल उनमें करीब 70 इलेक्ट्रिक मोटर लगती हैं और हम ध्वनि विज्ञानियों की जिम्मेदारी है कि हर मोटर की आवाज अलग हो." मिसाल के तौर पर वाइपर को काम करते देखा जा सकता है उसके लिए साउंड की जरूरत नहीं लेकिन खिड़कियों के शीशे ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं ये जानने के लिए हमें आवाज की जरूरत है ड्राइवर का सारा ध्यान सामने की ओर केंद्रित होता है.

Technik Family Hub Refrigerator
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/J. Locher

कार की सीट की टेस्टिंग के दौरान ध्यान में रखना जरूरी है कि सीट की अपहोल्स्ट्री ध्वनि को सोखती है. फ्रीक्वेंसी को तब तक टेस्ट किया जाता है जब तक सही ध्वनि नहीं मिल जाती. सिर्फ ऊंचे ही नहीं, हल्के स्वरों पर भी ध्यान दिया जाता है क्योंकि ग्राहक इन्हें काफी अहमियत देते हैं. साउंड एक्सपर्ट एरकन एलटीनोसोय कहते हैं, "गाड़ियों में डिजाइन की गई कई ध्वनियों का इस्तेमाल होता है ताकि उनके जरिये ड्राइवर के कानों तक सूचना पहुंचाई जा सके. और इससे इंसान और गाड़ी के बीच का संवाद बेहतर हो सके.

प्रयोगशाला में सभी इंद्रियों का एक साथ टेस्ट होता है. सुनने, देखने और महसूस करने की क्षमता एक साथ आंकी जाती है. इस वर्चुअल सड़क पर वैसा ही अनुभव मिल रहा है जैसा किसी स्पोर्ट्स कार में बैठ कर होता है. कार की आवाज सुनकर ग्राहक फैसला करता है कि इसे खरीदना चाहिए या नहीं.

एमजे/ओएसजे