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नई राहों पर आजाद भारत

१५ अगस्त २०१५

भारत अपनी आजादी की 68वीं सालगिरह ऐसे समय में मना रहा है जब विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच मतभेद रिकॉर्ड पर हैं. दूसरी ओर राजनीतिक संघर्षों के बीच कुछ राज्यों ने स्वतंत्र आर्थिक नीति बनाने का रास्ता अख्तियार कर लिया है.

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तस्वीर: Reuters/A. Abidi

भ्रष्टाचार , सांप्रदायिकता और जातिवाद को देश की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सवा सौ करोड़ की टीम इंडिया के साथ मिलकर विकास के अमृत से इन समस्याओं को मिटाएगी और देश को आजादी दिलाने वाले महापुरूषों के सपने साकार करेगी. मोदी ने 69 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से अपने संबोधन में ऐसे श्रेष्ठ, समृद्ध और स्वाभिमानी भारत के निर्माण का संकल्प व्यक्त किया जिसमें गरीब संतुष्ट हो, महिला सशक्त हो, युवा स्वावलंबी हो और बुजुर्ग सकुशल हो.

यह चुनौती आासन नहीं लेकिन भारत इसके लिए नए रास्तों की तलाश में लगा है. जब संसद में पिछले दिनों सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के सांसद भूमि सुधार और जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण कानून पर बहस के बदले इस्तीफे की मांग करने और एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे थे, महाराष्ट्र की सरकार प्रांत में 5 अरब डॉलर के निवेश के लिए दो महीने से ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन के साथ सौदेबाजी में लगी थी. यह सौदा धनी राज्यों की ताकत और वहां निवेश करने में विदेशी कंपनियों की दिलचस्पी दिखाता है.

हालांकि राज्यों के प्रभावी मुख्यमंत्रियों द्वारा निवेशकों को आकर्षित करने की परंपरा नई नहीं है. पहले भी राज्यों के करिश्माई नेता राष्ट्रीय निवेशकों को अपने यहां लाते रहे हैं या जैसा कि पश्चिम बंगाल का उदाहरण दिखाता है भगाते रहे हैं. लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार राज्यों ने अपनी किस्मत अपने हाथों में ले ली है. केंद्र सरकार इस प्रक्रिया को प्रोत्साहन भी दे रही है और राज्यों को केंद्रीय सुधार की बाधाओं से निकलने और निवेशकों के लिए प्रतिस्पर्धा करने को प्रोत्साहित कर रही है. इसने निवेशकों को आश्वस्त किया है, रोजगार के लिए लालायित राज्यों को नई संभावना दी है. लेकिन इसका फायदा मुख्यतः सत्ताधारी बीजेपी शासित राज्य ही उठा रहे हैं.

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तस्वीर: UNI

फॉक्सकॉन के साथ हुए समझौते से पहले जनरल मोटर्स ने भारत में एक अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है. यह निवेश मुख्य रूप से महाराष्ट्र में स्थित प्लांट के विस्तार पर खर्च होगा. ओडिशा में मुश्किलों का सामना करने वाली दक्षिण कोरिया की स्टील निर्माता पोस्को ने भी महाराष्ट्र में एक भारतीय पार्टनर के साथ मिलकर एक स्टील प्लांट खोलने की घोषणा की है. भारत के सबसे बड़ी कार कंपनी मारूति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा है कि राज्यों को निवेश को आसान बनाने के कदम उठाने होंगे, यह उनके अधिकार क्षेत्र में है.

विपक्षी कांग्रेस पार्टी और प्रांतों में शासन कर रही क्षेत्रीय पार्टियों तथा बीजेपी के बीच सुधारों पर उत्पन्न टकराव के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा की स्थिति उत्पन्न करने से पिछड़े राज्यों पर अपनी नीतियां बदलने और ढांचागत संरचना और निवेश का माहौल बनाने का दबाव बढ़ेगा. प्रधानमंत्री मोदी कुछ मुख्यमंत्रियों को अपने साथ विदेश दौरे पर ले जाकर उन्हें अपने यहां निवेश लाने की संभावना दे रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार फॉक्सकॉन के प्रमुख टेरी गू के साथ महाराष्ट्र के मुक्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की मुलाकात मोदी के चीन दौरे के समय हुई थी, जब गू ने उन्हें अपनी एक फैक्टरी दिखाई थी. अब गू को वैट से दीर्घकालीन छूट, सौर ऊर्जा बनाने की इजाजत और वित्तीय ट्रांसफर में मदद का आश्वासन दिया गया है.

प्रधानमंत्री मोदी केंद्र और राज्यों के रिश्तों में नया अध्याय लिख रहे हैं. पिछले साल का अधिकतर समय जमीन के अधिग्रहण को आसान बनाने के अपने प्रयास में विपक्ष का विरोध झेलने वाले मोदी ने फैसला किया है कि अब प्रांत विकास के लिए जमीन पाने के लिए खुद अपने कानून बना सकेंगे. भारत की अर्थव्यवस्था में आधा योगदान देने वाले दस प्रांतों ने कहा है कि वे जमीन की खरीद बिक्री को आसान बनाने वाले कानून बनाना चाहते हैं. उनमें से ज्यादातर का नेतृत्व बीजेपी की सरकारें कर रही हैं.

राज्यों की पहल पर होने वाले इस विकास में जोखिम भी हैं. इसका बड़ा हिस्सा गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे उन इलाकों को जा सकता है जहां पहले से ही औद्योगिक विकास हो रहा है. यूबीएस के गौतम छौछरिया कहते हैं कि मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे कुछ प्रांतों ने पिछले सालों बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन समान विकास पर दांव लगाना मुश्किल है. देश में कुछ औद्योगिक क्लस्टर बन चुके हैं और कोई भी निवेशक उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकता.

एमजे/आईबी (रॉयटर्स, वार्ता)