1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नारायणन कृष्णन सीएनएन के 'हीरो ऑफ द ईयर'

२९ अक्टूबर २०१०

गरीब और बेघर लोगों को खाना खिलाने की मुहिम शुरू करने वाले हिंदुस्तानी रसोइए नारायणन कृष्णन को सीएनएन ने हीरो ऑफ द ईयर चुना है. अमेरिकी टीवी चैनल यह अवॉर्ड उन लोगों को देता है जो रोजमर्रा के काम से दुनिया बदल रहे हैं.

https://p.dw.com/p/Ps5H
तस्वीर: picture-alliance/dpa

सीएएन की पैनल के सुझाए दुनिया भर के 10 हजार लोगों की लिस्ट से चुने टॉप के 10 लोगों में भारत के नारायणन कृष्णन भी हैं. इस लिस्ट के टॉप टेन में रहे दूसरे नामों में हर रोज 4 लाख बच्चों को मुफ्त में खाना खिलाने वाले स्कॉटलैंड के मैग्नस मैकफार्लेन, कंबोडिया में लैंड माइन हटाने के काम में जुटे बाल सैनिक अकी रा और नेपाली लड़कियों की खरीदफरोख्त और शोषण रोकने के लिए काम करने वाली अनुराधा कोइराला भी हैं. सीएनएन के पैनल में मोहम्मद अली और रिचर्ड ब्रैन्सन जैसे सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. सीएनएन 25 नवंबर को नारायणन कृष्णन और सबसे ऊपर रहे 10 लोगों के नाम का आधिकारिक एलान करेगा.

कृष्णन ने 2003 में अक्षय नाम से अपना मुनाफा न कमाने वाला ट्रस्ट शुरू किया. 29 साल के कृष्णन अब तक भारत के एक करोड़ से ज्यादा लोगों को सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना खिला चुके हैं. कृष्णन के मेहमान गरीब बेघर लोग होते हैं जो खुद अपना पेट नहीं भर सकते. इन में बहुत से ऐसे बुजुर्ग भी हैं जिनके घरवालों ने उन्हें छोड़ दिया है. सीएनएन ने नारायणन के बारे में कहा है, "पूरे साल गरीबों और बेघर लोगों को खाना खिलाकर कृष्णन ने भारत का मान बढ़ाया है."

कृष्णन एक बेहतरीन रसोइए हैं और बेहतरीन खाना बनाने के लिए अवॉर्ड भी जीत चुके हैं. कृष्णन को स्विट्जरलैंड के फाइव स्टार होटल ने शानदार नौकरी का ऑफर भी दिया. पर यूरोप में नौकरी पर जाने से पहले घर आए कृष्णन के इस सफर ने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी. सीएनएन से कृष्णन ने कहा, "मैंने एक बहुत बूढ़े इंसान को अपने ही घर के कूड़े से खाना ढूंढते देखा. मुझे बहुत तकलीफ हुई और फिर मैंने अपने लिए अलग रास्ता चुन लिया." हफ्ते भर के भीतर नारायणन ने नौकरी छोड़ दी और सबसे पहले उस बूढ़े इंसान के खाने का इंतजाम किया. इसके बाद से कृष्णन हर उस इंसान को खाना खिलाने में जुट गए जो मानसिक रूप से कमजोर, गरीब और बेघर है. ऐसे लोग जो खुद अपना ख्याल नहीं रख सकते कृष्णन की मदद से अपना पेट भरते हैं.

दान में मिली एक वैन से नारायणन की टीम हर रोज 125 मील का सफर तय करती है और हर रोज 400 लोगों को कृष्णन खुद अपने हाथ का बनाया शाकाहारी खाना खिलाते हैं. अगर भूखा शख्स ज्यादा कमजोर हो तो वह अपने हाथ से खिलाते भी हैं. अपनी कमाई के केवल एक लाख रुपये से काम शुरु करने वाले कृष्णन को हर रोज के लिए करीब 15 हजार रुपये की जरूरत होती है. उनके पास जो दान में रकम आती है उससे केवल 22 दिन का ही खर्च चल पाता है. पैसों की कमी के कारण बेघर लोगों के लिए अक्षय आवास बनाने का काम भी रोकना पड़ा. रोजमर्रा की जिंदगी में भी कृष्णन को इस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ता है लकिन लोगों को खिलाकर उन्हें मजा आ रहा है.

सीएनएन के अवॉर्ड के लिए टीवी दर्शक भी वोटिंग कर रहे हैं. इस साल की लिस्ट में टॉप पर रहे सभी 10 प्रतिभागियों को 25000 अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार मिलेगा. लॉस एंजेलिस में सितारों से सजी एक शानदार शाम को इन्हें यह सम्मान दिया जाएगा. इसके अलावा 10 में से सबसे ज्यादा वोट पाने वाले हीरो ऑफ द ईयर को 1 लाख अमेरिकी डॉलर दिए जाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी