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निबाली ने जीता टूअर दे फ्रांस

२८ जुलाई २०१४

दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल रेस इस बार ब्रिटेन में शुरू हुई और तब पिछले दो बार के विजेता भी ब्रिटेन के थे. लगा कि इस बार भी कोई ब्रिटिश ही बाजी मारेगे, लेकिन इटली के निबाली ने ऐसे पैडल मारे कि खिताब उनकी साइकिल पर आ गिरा.

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तस्वीर: Reuters

आखिरी यानि 21वें चरण तक निबाली ने काफी बढ़त बना ली थी, लिहाजा जब उन्हें चैंप्स एलीजी के पोडियम पर चढ़ने का मौका मिला, तो उनके हाथ में पहले से तैयार बयान था, "यह मेरे लिए सबसे अच्छा लम्हा है. मुझे कभी नहीं लगा था कि इतना अच्छा महसूस हो सकता है. यह अद्भुत है." हालांकि यह चरण जर्मनी के मार्सेल किटेल ने जीता.

फिनिश लाइन पार करते ही 29 साल के निबाली अपनी पत्नी और बच्चे के पास गए और उन्हें चूम लिया. उन्होंने खुशी के इस पल को उन्होंने अपनी टीम अस्ताना सहित सबके साथ बांटा, "यह सफलता मैं अपनी पत्नी राचेल और बेटी एमा के साथ साझा करना चाहता हूं." उनका कहना था कि वह इतने भावुक कभी नहीं हुए थे.

कभी फ्रांस की परिधि साइकिल से नाप देने के लिए शुरू की गई इस रेस में अब 21 चरणों में 3500 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है. इसके अलग अलग चरण आम सड़कों से मैदानी रास्तों और पर्वतों से होकर गुजरते हैं. तीन हफ्ते चलने वाली रेस को पूरा करने वाले बिरले साइक्लिस्ट ही होते हैं.#bb#

पिछले दो बार से ब्रिटेन के साइक्लिस्ट क्रिस फ्रूम और ब्रैडले विगिंस ने यह मुकाबला जीता था. हालांकि इस बार ब्रिटेन के स्काई टीम के साइकिल सवार पूरे दम खम में नजर नहीं आ रहे थे. टूअर दे फ्रांस कुछ साल पहले उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब इसके सबसे कामयाब खिलाड़ी अमेरिका के लांस आर्मस्ट्रांग को डोपिंग का दोषी पाया गया और उनके जीते हुए सात खिताबों को निरस्त कर दिया गया. मजेदार बात यह थी कि उस जमाने में दूसरे नंबर पर रहने वाले साइक्लिस्ट भी डोपिंग के दोषी पाए गए और आखिरकार आयोजकों ने फैसला किया कि इन सात बार के खिताब किसी को भी नहीं दिए जाएंगे.

इस टूअर में आर्मस्ट्रांग के अलावा स्पेन के साइकिल सवार सबसे ज्यादा सफल रहे हैं. मिगुएल इंडूरियान ने यह टूअर पांच बार और हाल के दिनों में अल्बर्टो कोन्टाडोर ने दो बार खिताब जीता है.

एजेए/ओएसजे (एएफपी)