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नुकसान भी पहुंचाता है रिफाइंड ऑयल

१५ अप्रैल २०१६

वनस्पति तेल का लंबी उम्र से कोई लेना देना नहीं है. और कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाए, तो मरने का खतरा भी ज्यादा है. हजारों लोगों पर शोध के बाद यह बात सामने आई है.

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तस्वीर: Fotolia/SunnyS

टेलीविजन पर रिफाइंड ऑयल के तमाम विज्ञापन आते हैं. किसी में कहा जाता है कि यह दिल का ख्याल रखता है, किसी में कहा जाता है कि इसमें फलां है, जो सेहत के लिए बहुत की अच्छा है. लेकिन अमेरिका में 9,400 लोगों पर हुए वैज्ञानिक शोध में अलग ही बातें सामने आई हैं.

शोध के मुताबिक वनस्पति तेल कॉलेस्ट्रॉल कम कर सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दिल की बीमारी नहीं होगी या उम्र बढ़ेगी. इससे पहले यह दावा किया गया कि वनस्पति, बीज, मेवों से निकाले तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड फैट होता है. यह एनिमल फैट के मुकाबले सेहत के लिए ज्यादा अच्छा होता है. इसी वजह से लोगों को घी, मक्खन या क्रीम की जगह मक्का, सोयाबीन, सरसों या जैतून का तेल इस्तेमाल करने को कहा जाता है, वह भी रिफाइंड तेल.

इस दावे की जांच गोल्ड स्टैंडर्ड स्ट्डीज ने अपने शोध में की. शोध का विषय था कि अलग अलग प्रकार का भोजन और वसा, सेहत व लंबी उम्र पर कैसा असर डालते हैं. रिसर्च की अगुवाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और नॉर्थ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी के डॉक्टर क्रिस्टोफर रामस्डेन ने की. उनके मुताबिक, "सच यह है कि जिन लोगों ने कॉलेस्ट्रॉल बहुत घटाया, उनकी मौत का खतरा कम नहीं बल्कि ज्यादा था." रिसर्च में यह पता चला कि कॉलेस्ट्रॉल कम होने का मतलब यह नहीं है कि आप लंबा जिएंगे.

शोध के लिए 1968 से 1973 के बीच के सात अस्पतालों के आंकड़े लिए गए. उन्हें समूह में बांटा गया. मक्खन या क्रीम में पका खाना खाने वालों को मक्के का तेल इस्तेमाल करने को कहा गया. टेस्ट के अंत में पता चला कि एनिमल फैट की जगह वनस्पति तेल खाने वालों का कॉलेस्ट्रॉल लेवल 14 फीसदी गिरा. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. वैज्ञानिकों ने सेरम कॉलेस्ट्रॉल नापा. इसमें ट्राईग्लिसेरॉइड्स, एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल और एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल शामिल हैं. अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक टोटल सेरम कॉलेस्ट्रॉल 180 एमजी/डीएल के नीचे होना चाहिए.

2015 में मारे गए लोगों की विसरा रिपोर्ट की जांच करने के बाद पता चला कि कॉलेस्ट्रॉल में 30एमजी/डीएल की गिरावट आते ही मौत का खतरा 22 फीसदी बढ़ जाता है. अगर गिरावट 60 एमजी/डीएल हुई तो खतरा दोगुना हो जाता है.

ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ रिसर्चर डॉक्टर लेनर्ट वीरमैन के मुताबिक इस विषय पर और ज्यादा शोध की जरूरत है. उनका कहना है कि लोगों को इस शोध के नतीजों पर ध्यान देना चाहिए. यानि वनस्पति तेल के साथ अक्सर कम मात्रा में घी या मक्खन भी लिया जा सकता है. इसके अलावा बहुत सारी सब्जियां, फल, अनाज, सी फूड, कम वसा वाला मांस, अंडे, फली, बीज, मेवे और सोया प्रोडक्ट खाने चाहिए.

ओएसजे/आईबी (रॉयटर्स)