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नैनों से ओझल हो रही है नैनो

२८ दिसम्बर २०१०

दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो से 1.2 की अरब आबादी वाले भारत में एक नया बाजार तैयार होने की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन सच्चाई इन उम्मीदों से कोसों दूर है. कार की ब्रिकी में रिकॉर्ड गिरावट आई.

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कहां गया नैनोतस्वीर: UNI

दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी नैनो को तीन साल पहले पेश करते हुए टाटा समूह के प्रमुख रतन टाटा ने कहा, "हम भारत के लोगों को नई तरह का ट्रांसपोर्ट मुहैया कराने की दहलीज पर खड़े हैं." भारत में टू व्हीलर चलाने वालों के लिए चार पहियों वाली खाड़ी का सपना साकार करने की बात करने वाली टाटा की इस पहल की तुलना हेनरी फोर्ट के प्रयासों से की गई जिन्होंने मॉडल टी के जरिए अमेरिकी कार बाजार में क्रांति ला दी.

लेकिन नैनो की किस्मत भंवर में फंस कर रह गई है. पिछले महीने नैनो की ब्रिकी बेहद निराश करने वाली रही. पूरे महीने में सिर्फ 509 कारें ही बिक सकी हैं. बिक्री के ये आंकड़े एक साल पहले के मुकाबले 85 फीसदी कम हैं जो भारत के बढ़ते कार बाजार में बेहद निराश करने वाले हैं. पांच सीटर नैनो बाजार में लखटकिया कार के रूप में उतरी लेकिन वह अपने शुरुआती जलवे को कायम रखने में पूरी तरह नाकाम रही. जिन लोगों ने शुरू में बुकिंग कराई, उन तक कार पहुंचने में भी काफी समय लग गया.

Indien Flash-Galerie Automobilindustrie Auto Tata in Bombay
तस्वीर: AP

नैनो के बाद भारत की सबसे सस्ती कार अल्टो है जिसे मारुति सुजुकी बनाती है. नवंबर में 33,000 अल्टो कारें शोरूम से निकल कर सड़क पर आईं. अल्टो की कीमत नैनो से लगभग दोगुनी है. नैनो को ट्रैक पर लाने के लिए टाटा ने इस महीने टाटा नैनो हैप्पीनेस गारंटी नाम की एक स्कीम पेश की है जिसमें कार की वांरटी को 18 महीने से बढ़ा कर चार साल किया जा रहा है. साथ ही मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ 99 रुपये में दिया जा रहा है.

असल में नैनो की मुश्किलें सड़क पर आने से पहले ही शुरू हो गईं. पश्चिम बंगाल में तीखे विरोध के बाद सिंगूर से नैनो के कारखाने को गुजरात ले जाना पड़ा. इसकी वजह से पहली एक लाख कारों को बनाने में काफी देर हुई. हाल में नैनो की छवि को उस वक्त भी धक्का लगा जब भारतीय टीवी चैनलों पर कई बार नैनो के इंजन में आग लगती दिखाई दी. मुंबई में फॉर्ट्यून्स इक्विटी ब्रोकर्स के महांतेश शबरद कहते हैं, "सुरक्षा को लेकर कार की क्वॉलिटी चिंता का विषय है."

नैनो का दाम एक लाख से बढ़कर एक लाख 37 हजार हो जाना भी एक बड़ी समस्या है और इस कीमत में एसी की लागत शामिल नहीं है. एसी वाली नैनो कार तो सड़क पर एक लाख 60 हजार खर्च करने के बाद ही उतरती है. यानी जिस एक लाख की कीमत को लेकर इतना शोर मचाया गया, वहीं अब नैनो के लिए मुश्किल बन रही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल