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पत्रकार हत्याकांड पर उठते सवाल

१६ नवम्बर २०१२

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने बांग्लादेशी पत्रकार सागर सरोवर और पत्नी रुनी सरोवर की हत्या की धीमी जांच पर अफसोस जताया है. और अपील की है कि उनके बेटे से पूछताछ रोकी जानी चाहिए.

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तस्वीर: DW

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने इस बात की निंदा की है कि रैपिड एक्शन बटालियन की विशेष अपराध शाखा अप्रैल से जांच कर रही है और पिछले दो महीने से वह सागर और रुनी सरोवर के छह साल के बेटे से पूछताछ कर रही है. हत्या की जानकारी पत्रकार दंपती के बेटे मेघ ने ही दी थी.

संस्था ने एक बयान जारी कर अपील की है कि देश के सबसे आक्रामक पुलिस बल की यह पूछताछ तुरंत रोकी जानी चाहिए. पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने कहा, "माता पिता की हत्या के कारण पहले से ही सदमा झेल रहे बच्चे से बार बार वही पूछना गैरकानूनी और अमानवीय है और सामान्य बुद्धि से बाहर की बात है. हम गृह मंत्री मुहिउद्दीन खान आलमगीर से अपील करते हैं कि वह मामले में दखल दें और तुरंत इस पूछताछ को रोकें. रैपिड एक्शन बटालियन को इस मामले की जांच करनी ही नहीं चाहिए. इसके लिए शुरू से ही एक विशेष कमेटी का गठन होना चाहिए था."

प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद को संबोधित करते हुए संगठन ने कहा, "आपने सही कहा था कि सरकार हर बेडरूम के आगे एक संतरी नहीं बिठा सकती. लेकिन नागरिकों की रक्षा करना आपका कर्तव्य है और उन लोगों का सुनियोजित संरक्षण भी आपको खत्म करना चाहिए जो पत्रकारों के खिलाफ अपराध करते हैं."

परेशान बच्चा

छह साल के मेघ से आरएबी मुख्यालय में टीवी कैमेरे के सामने पूछताछ की जा रही है. बांग्लादेश के ब्लॉगर अबू सूफियान लिखते हैं कि इस पूछताछ की खबर ने पूरे देश को स्तब्ध कर के रख दिया है. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक मेघ पहले से ही सदमे में है.

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मेघ के अंकल ने बताया कि 31 अक्टूबर से मेघ से पूछताछ की जा रही है. उत्तारा में आरएबी के मुख्यालय में उससे करीब तीन घंटे पूछताछ की गई. बच्चे के डॉक्टरों ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि ज्यादा पूछताछ का बुरा असर बच्चे के मस्तिष्क और मन पर पड़ सकता है.

आरएबी के प्रवक्ता ने इसे पूछताछ नहीं बताया. उन्होंने दलील दी कि मेघ पहले भी यहां आ चुका है और 31 अक्टूबर को बच्चे के चाचा साथ में थे. हालांकि उसके चाचा ने कहा कि बार बार पूछे जा रहे सवालों के कारण मेघ परेशान हो रहा था.

मासरंग टीवी के न्यूज एडिटर सरोवर और एटीएन बांग्ला की वरिष्ठ रिपोर्टर रूनी की 11 फरवरी 2011 की रात जब हत्या हुई तो गृह मंत्री शाहारा खातून ने वादा किया कि हत्यारे 48 घंटे के अंदर पकड़ लिए जाएंगे. लेकिन नौ महीने के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया.

नए गृह मंत्री मुहिउद्दीन खान आलमगीर ने नौ अक्टूबर को सात संदिग्धों की गिरफ्तारी की घोषणा की जिसका पत्रकारों और मृतक के परिवारजनों ने अविश्वास के साथ स्वागत किया. उनका मानना है कि यह असली हत्यारे को बचाने के लिए किया गया एक तरीका है.

बांग्लादेशी सरकार की इसलिए भी आलोचना की जा रही है कि हत्या के समय मिले डीएनए सबूतों को पहले अमेरिका भेजा गया क्योंकि बांग्लादेशी सरकार के पास के कोई डेटाबेस नहीं है.

रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स की प्रेस स्वतंत्रता सूची में बांग्लादेश 179 देशों में 129 वें नंबर पर है जो दिखाता है कि वहां पत्रकारों के जीवन को गंभीर खतरा है.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल