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पश्चिम बंगाल में पांव पसार रहा है अलकायदा

२१ सितम्बर २०२०

पश्चिम बंगाल के बांग्लादेश की सीमा से सटे मुर्शिदाबाद जिले से अलकायदा के छह संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी से राज्य में इस संगठन की जड़ें जमने के संकेत मिले हैं. केरल से जो तीन लोग गिरफ्तार हुए हैं वह भी इसी जिले के हैं.

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Mamata Banerjee - Indien
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Sarkar

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों के दावे पर भरोसा करें तो ये संदिग्ध आतंकी बंगाल में बैठ कर दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में धमाके की योजना बना रहे थे. इनको पाकिस्तान में बैठे लोगों से निर्देश मिल रहे थे. पाकिस्तान से बड़े पैमाने पर हथियार ड्रोन के जरिए कश्मीर घाटी में पहुंचाने की भी योजना थी. लेकिन कोरोना और लंबे लॉकडाउन की वजह से इन योजनाओं को टाल दिया गया था. मुर्शिदाबाद से गिरफ्तार लोगों में नजमुस साकिब, अबू सूफियान, मईनुल मंडल, लिऊ अहमद, अल मामून कमाल और अतीतुर रहमान शामिल हैं. केरल से गिरफ्तार तीनों संदिग्धों के नाम क्रमशः मुर्शीद हसन, याकूब विश्वास और मुशर्रफ हुसैन हैं. इन गिरफ्तारियों के बाद एक बार फिर बंगाल के आतंकवादियों की सुरक्षित शरणस्थली बनने के आरोप लग रहे हैं.

एनआईए की पूछताछ से पता चला है कि इस गिरोह के सदस्यों के तार पड़ोसी देशों से जुड़े हैं और वहां से उनको पैसे भी मिलते थे. अल मामून कमाल के खाते में पड़ोसी देश से हाल में डेढ़ लाख रुपए भेजे गए थे. एनआईए अधिकारी बताते हैं कि अलकायदा के सदस्य कश्मीर घाटी, दिल्ली और एनसीआर में किसी बड़े हमले को अंजाम देने के लिए पैसे और हथियार जुटाने का प्रयास कर रहे थे. फिलहाल इन संदिग्धों को 24 सितंबर तक एनआईए की हिरासत में भेजा गया है. इन लोगों को दिल्ली ले जाकर केरल से गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों के साथ आमने-सामने बिठा कर पूछताछ की जाएगी.

अलगाववाद का इतिहास

मुर्शिदाबाद जिले के डोमकल के रहने वाले कमाल ने कुछ साल केरल में भी काम किया था. गिरोह के सदस्य उत्तर व दक्षिण बंगाल के कम से कम चार जिलों में युवाओं की भर्ती करने और उनको विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग देने में भी जुटे थे. गिरोह के एक सदस्य अबू सूफियान के घर के नीचे एक भूमिगत सुरंग भी मिली है. जांच एजेंसियों का अनुमान है कि उसे पड़ोसी देश से आने वाले हथियारों के जखीरे को रखने के लिए बनाया गया था. एनआईए के वकील श्यामल घोष बताते हैं, "शनिवार और रविवार को गिरफ्तार सदस्यों से पूछताछ के दौरान एनआईए को कई नई जानकारियां मिली हैं. उनके आधार पर आगे पूछताछ और छापेमारी की जा रही है. जांच एजेंसी की टीमों ने रविवार को भी मुर्शिदाबाद जिले के अलग-अलग इलाकों में छापे मारे. अब तमाम संदिग्ध आतंकियों को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा."

Frauen in einem Dorf im Distrikt Murshidabad im Bundesstaat West Bengalen
बहुत गरीबी है मुर्शिदाबाद के गांवों मेंतस्वीर: DW

वैसे मुर्शिदाबाद और उससे सटे बर्दवान इलाके में आतंकी गतिविधियां कोई नई नहीं हैं. इससे पहले आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के कई सदस्यों को भी इलाके से गिरफ्तार किया जा चुका है. देश के आजाद होने के बाद नवाब बहादुर के शासन वाला मुर्शिदाबाद पहले दो दिनों तक तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में शामिल रहा था. 17 अगस्त को वह भारत में शामिल हुआ. इलाके में अल्पसंख्यकों की आबादी ही ज्यादा है. एनआईए के एक अधिकारी बताते हैं, "इलाके के लोगों में पहले से ही अलगाव की भावना गहरे समाई है. उनको लगाता है कि नवाब के शासन में वह लोग बेहतर स्थिति में थे. लेकिन अब रोजगार की तलाश में जिले से हजारों लोगों को हर साल दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता है. अलकायदा के पांव पसारने की वजह यह है कि लोग दोबारा वहां इस्लामी शासन बहाल करना चाहते थे. उनको लगता है कि इससे उनकी तमाम समस्याएं दूर हो जाएंगी.”

गिरफ्तारों में दो छात्र भी

मुर्शिदाबाद से गिरफ्तार छह लोगों में दो छात्र भी शामिल हैं. इमें 22 साल का नजमुस साकिब डोमकल कालेज में द्वितीय वर्ष का छात्र है. उसके अलावा बीए प्रथम वर्ष का छात्र अताउर रहमान भी गिरफ्तार किया गया है. लेकिन इन दोनों के घरवाले यह मानने को तैयार नहीं हैं कि उनके किसी आतंकवादी संगठन से संबंध हैं. साकिब के पिता नुरूल इस्लाम मौलवी हैं. वह बताते हैं, "मेरा बेटा तो हमेशा अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहता था. वह किसी से मिलता-जुलता नहीं था. वह धार्मिक प्रवृत्ति का युवक था.” लेकिन एनआईए के अधिकारियों का दावा है कि ये लोग विस्फोटक बनाना सीख रहे थे और जल्दी ही हथियारों की डिलीवरी लेने वाले थे. उनके कब्जे से भारी तादाद में बम बनाने की सामग्री और आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं.

सरकारी सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश से सटे होने की वजह से जिले में खासकर मस्जिदों और मदरसों में हाल के दिनों में आतंकियों की सक्रियता काफी बढ़ी है. कई मदरसों पर बरसों से हथियारों और विस्फोटक बनाने की ट्रेनिंग देने के आरोप लगते रहे हैं. बीते कुछ बरसों के दौरान जिले में मदरसों की तादाद भी तेजी से बढ़ी है. किसी बड़े हादसे के बाद सरकारें और खुफिया एजेंसियां कुछ दिनों तक सक्रिय रहती हैं. लेकिन कुछ दिनों बाद फिर पहले वाली स्थिति लौट आती है.

इन गिरफ्तारियों से राज्य की खुफिया एजेंसियों के कामकाज पर तो सवाल पैदा ही हुए हैं, अगले आम चुनावों से पहले विपक्ष को एक मजबूत हथियार भी मिल गया है. इस मुद्दे पर अब राज्यपाल जगदीप धनखड़ समेत विपक्ष ने सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया है. विपक्ष ने मौजूदा परिस्थिति के लिए खुफिया एजेंसियों की नाकामी और राज्य सरकार की तुष्टिकरण की नीति को जिम्मेदार ठहराया है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि पश्चिम बंगाल अवैध बम बनाने वालों की शरणस्थली बन गया है. इससे लोकतंत्र पर खतरा पैदा हो गया है. राज्य की पुलिस राजनीतिक एजेंडा पर चलते हुए विपक्ष को निशाना साधने में व्यस्त है.

Indien - Debasree Chaudhuri und Dilip Ghosh
बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष (फाइल फोटो)तस्वीर: Imago Images/Pacific Press Agency/S. Paul

बीजेपी के निशाने पर ममता सरकार

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष आरोप लगाते हैं, "पश्चिम बंगाल की परिस्थिति बेहद गंभीर और चिंताजनक है. लगता है कि यह राज्य जिहादियों के नियंत्रण में चला गया है. सरकार की सहायता से ऐसी ताकतें तेजी से पांव पसार रही हैं.” घोष का कहना है कि राज्य में पहले भी खागड़ागढ़ जैसे विस्फोटों की लीपापोती के प्रयास हो चुके हैं. बांग्लादेश के आतंकी संगठनों की सक्रियता के सबूत भी सामने आते रहे हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में वोट बैंक की राजनीति के तहत अभियुक्तों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का आरोप है, "राज्य से अल कायदा सदस्यों की गिरफ्तारी से साफ है कि तृणमूल कांग्रेस का एजेंडा लागू करने में जुटी पुलिस और खुफिया एजेंसियां पूरी तरह फेल रही हैं.”

दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत राय ने पलटवार करते हुए इसके लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को जिम्मेदार ठहराया है. उनकी दलील है कि सीमा की सुरक्षा बीएसएफ के जिम्मे है. इससे राज्य सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. केंद्रीय एजेंसियों को इस मामले में राज्य सरकार से सूचना साझा करते हुए सहायता मांगनी चाहिए थी. राय ने राज्यपाल के बयान के लिए भी उनकी आलोचना की है. तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहा है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले साल होने वाले अहम विधानसभा चुनावो से पहले राज्य में अल कायदा की सक्रियता गंभीर चिंता का विषय है. विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "अलकायदा के आतंकियों की गिरफ्तारी पर आरोप-प्रत्यारोप की बजाय राज्य और केंद्र सरकारों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर मिल कर काम करना चाहिए. ऐसा नहीं होने की स्थिति में हमेशा किसी बड़ी वारदात का अंदेशा बना रहेगा."

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