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पाकिस्तानी जेल में भूखा अमेरिकी नायक

२९ नवम्बर २०१२

अमेरिका उन्हें बड़ा नायक मानता है और पाकिस्तान उतना ही बड़ा खलनायक. इन दोनों की लड़ाई में डॉक्टर शकील अफरीदी दी जेल की चक्की पीस रहे हैं और वो भी भूखे पेट. अफरीदी ने ही बताया था बिन लादेन का पता.

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तस्वीर: dapd

ओसामा बिन लादेन की तलाश में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की मदद करने वाली पाकिस्तानी डॉक्टर ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी है. एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से संबंध रखने के आरोप में शकील अफरीदी जेल में है.

शकील अफरीदी ने जेल में उनके रहने की खराब हालत के विरोध में यह भूख हड़ताल शुरू की है. इसी साल मई में उन्हें 33 साल के जेल की सजा हुई. माना जाता है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी की मदद करने के बदले उन्हें यह सजा मिली है. उनसे मिली जानकारी को आधार बना कर ही अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. इस घटना से पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में काफी तनाव आ गया.

Pakistan Pressekonferenz Zafeer Ahmed zu Shakil Afridi
तस्वीर: dapd

उत्तर पश्चिमी शहर पेशावर के जेल अधिकारियों का कहना है कि अफरीदी को अलग कमरे में रखा गया है और न तो उन्हें किसी से मिलने की इजाजत है न ही फोन करने की. यह सजा उन्हें सितंबर में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू के कारण मिली है. पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक जेल अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "इंटरव्यू में डॉ शकील अफरीदी ने देश की शीर्ष खुफिया एजेंसी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए इसके बाद जेल अधिकारियों ने उन्हें उनके वकील और परिवार से मिलने पर रोक लगा दी. विरोध में डॉ शकील ने अनिश्चित काल के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी."

सितंबर में इंटरव्यू देने के बाद जब अधिकारियों ने जांच की तो पता चला कि अफरीदी ने गार्ड को रिश्वत दे कर उसके मोबाइल फोन का इस्तेमाल पत्रकारों, परिवार के लोगों और दोस्तों से बात करने में किया. पता चला कि उन्होंने कुल 58 बार फोन किए. इसके बाद जेल के छह गार्डों को निलंबित कर दिया गया. अफरीदी के परिवार का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. अफरीदी के वकील समीउल्ला अफरीदी का कहना है, "उन्हें हम लोगों से या उनके भाई और परिवार से नहीं मिलने दिया जा रहा. वह एक इंसान हैं और जाहिर है कि वो इतने निराश हो चुके हैं कि भूख हड़ताल शुरू कर दी है."

40 साल के डॉ अफरीदी को अमेरिका नायक बताता है. 2011 में उनसे मिली जानकारी के बाद ही अमेरिकी सेना लादेन को मिटा सकी. अफरीदी लादेन का पता लगाने के पहले से ही कई सालों से सीआईए के साथ काम कर रहे थे. वह सीआईए को पाकिस्तान के कबायली इलाकों में आतंकवादियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी देते रहे. बिन लादेन को मारने के लिए हुआ हमला पाकिस्तान की सेना के लिए एक शर्मनाक घटना थी. इससे यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि क्या पाकिस्तान सेना जान बूझ कर आतंकवादियों को पनाह देती है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तो यहां तक कह दिया कि अगर पाकिस्तान से पूछ कर कार्रवाई की जाती तो बिन लादेन वहां से भागने में कामयाब हो जाता.

एनआर/ओएसजे(रॉयटर्स)

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