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पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सतर्कता जरूरी: मोदी

२८ जून २०१६

भारत का प्रधानमंत्री बनने के दो साल बाद पहली बार नरेंद्र मोदी ने किसी भारतीय टीवी न्यूज चैनल इंटरव्यू दिया. इसमें उन्होंने पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों में सतर्क रवैया रखने की जरूरत पर बल दिया.

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Indien Narendra Modi trifft Nawaz Sharif in Neu-Dheli 26.05.2014
तस्वीर: Reuters

दो करीबी पड़ोसियों पाकिस्तान और चीन से जुड़े सवालों के जवाब देते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने टीवी इंटरव्यू में साफ साफ बात की. अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को विशेष निमंत्रण देकर दिल्ली बुलाने वाले मोदी ने वर्तमान परिस्थितियों में पाकिस्तान के प्रति सतर्क रवैया रखने की जरूरत पर जोर दिया. इस साल की शुरुआत में भारत के पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के तार पाकिस्तानी धरती से जुड़े होने के आरोप के साथ ही दोनों देशों के गर्माते रिश्तों में ठंडापन आता दिखाई दिया है.

मोदी ने "पाकिस्तान में सक्रिय कई तरह की शक्तियों" पर चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि भारत को "हर पल मुस्तैद रहने की" जरूरत है. प्रधानमंत्री ने दोहराया कि हर हाल में भारत का "शांति सर्वोपरि लक्ष्य है. भारत के हितों की रक्षा सबसे महत्वपूर्ण मकसद है."

प्रधानमंत्री बनने के बाद कई बार खुद मोदी पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने में कई जोखिम भरे कदम उठाते दिखे हैं. उन्होंने इंटरव्यू में इस बात पर संतोष जताया कि पाकिस्तान के सीमा पार से भारत में आतंक फैलाने की कोशिशों के बारे में अब विश्व में भी जागरुकता आ चुकी है. उसे सुलझाने में समस्या के बारे में मोदी ने कहा, "सबसे पहली बात तो ये कि पाकिस्तान के साथ एक लक्ष्मण रेखा तय करने की बात किसके साथ की जाए - चुनी हुई सरकार के साथ या बाकी कारकों के साथ."

भारत हमेशा से पाकिस्तान पर कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने में धन और बल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाता आया है. कश्मीर दोनों देशों के बीच बंटा हुआ इलाका है और भारत-पाकिस्तान दोनों ही पूरे कश्मीर पर दावा करते हैं. दोनों देश इस पर कब्जे को लेकर दो युद्ध भी लड़ चुके हैं. कश्मीर जैसे कुछ अनसुलझे मुद्दों के कारण दोनों पड़ोसी चिरप्रतिद्वंदी बने रहे हैं. खासकर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोगों के मारे जाने की घटना के बाद से द्विपक्षीय रिश्तों में काफी खटास आई. भारत इसे पाकिस्तानी आतंकवादियों का काम मानता है.

भारत की विपक्षी पार्टियों ने पाकिस्तान के लिए पीएम मोदी के पास एक व्यापक नीति ना होने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में गंभीरता और वजन की जरूरत है ना कि "ड्रामेबाजी" की.

कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने सरकार की विदेश नीति पर असंतोष जताते हुए उसमें सुसंगतता, साफ रवैए और निरंतरता की कमी बताई. मोदी ने पड़ोसी पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों में हर हाल में शांति बरकरार रखने के लक्ष्य के अलावा एक सवाल के जवाब में यह भी कहा था कि सेना को जिस तरह देना हो "जवाब देने की पूरी आजादी" है.

पड़ोसी चीन के साथ भी भारत की "ढेर सारी समस्याओं" के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने चीनी पक्ष के साथ जारी बातचीत को आगे बढ़ाने की बात कही. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सभी मुद्दों के "सही और परस्पर स्वीकार्य समाधान" ढ़ूंढे जाने का भरोसा जताया. और दोनों देशों के वर्तमान संबंधों को "आम तौर पर अच्छी हालत" में बताया.

सोमवार को ही भारत को मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (एमटीसीआर) की सदस्यता मिली है. जबकि चीन अभी तक इस 34-सदस्यीय समूह में प्रवेश नहीं कर पाया है. भारत इसका 35वां सदस्य देश बना है. इससे पहले एनएसजी में सदस्यता लेने की भारत की कोशिश को चीन का समर्थन ना मिलने के कारण धक्का लगा है.

आरपी/एमजे (पीटीआई,एएफपी)