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पाकिस्तान को आईएस का कितना डर

१५ जून २०१६

पेरिस हो या ऑरलैंडो, आईएस हमलों में शामिल होने के दावे कर रहा है, जांचकर्ता हमलावरों और आईएस के रिश्तों को खंगाल रहे हैं तो विश्लेषकों का कहना है कि जिहादी पाकिस्तान में पांव जमाने की कोशिश कर रहे हैं.

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Pakistan Peschawar Selbstmordanschlag
तस्वीर: DW/F. Khan

पाकिस्तान वह देश है जिसे बार बार आईएस के हमलों के साथ जोड़कर देखा जाता है. पाकिस्तान से संबंधित जिहादी ग्रुप के आईएस के साथ संबंधों को बारे में फ्रांस की खुफिया सेवा को जानकारी थी. अप्रैल में ऑस्ट्रिया के जांचकर्ताओं ने कहा कि नवंबर में पेरिस में हुए आतंकी हमलों के सिलसिले में वे एक पाकिस्तानी की जांच कर रहे हैं. इस हमले की भी जिम्मेदारी आईएस ने ली थी. अमेरिका ने इस साल आईएस से जुड़े खोरासान प्रांत को अफगानिस्तान और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन घोषित किया था.

इस्लामाबाद का इंकार

पाकिस्तान की सरकार औपचारिक रूप से देश में आईएस की उपस्थिति से इनकार करती है. विश्लेषकों का कहना है कि जिहादी संगठन की अति हिंसक विचारधारा को भर्ती के औजार के रूप में कुछ सफलता मिली है लेकिन उसे वहां स्थापित उग्रवादी संगठनों से कड़ी चुनौती मिल रही है. वाशिंगटन में पाकिस्तान सेंटर के डाइरेक्टर मार्विन वाइनबाउम कहते हैं, "मेरे विचार में उसे सीमित कामयाबी मिल रही है क्योंकि उसे स्थानीय जिहादी संगठनों के साथ प्रितस्पर्धा करनी पड़ रही है." अमेरिका स्थिति मिडिल ईस्ट फोरम के रिसर्चर जवाद अल तमीमी नहीं मानते कि आईएस में पाकिस्तान को राष्ट्र के रूप में खतरा पहुंचाने की क्षमता है. "मुझे अल कायदा और तालिबान की जगह लेने की उसकी क्षमता पर भी संदेह है."

पाकिस्तान में आईएस के हमले की ज्यादा मिसालें नहीं हैं. 2015 में कराची में एक बस पर उसके हमले में 44 लोग मारे गए थे. हालांकि पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा है कि आईएस की भर्ती नेटवर्क को तोड़ने के लिए सैकड़ों संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "शिक्षित, उत्साहित और बेरोजगार नौजवान पाकिस्तान में आईएस की भर्ती के उम्मीदवार हैं. हमने कई भर्ती सेलों को पकड़ा है." सुरक्षा विश्लेषक मुहम्मद अमीर राणा का कहना है, "उनका फोकस मध्यवर्गीय युवाओं पर है, जो धनी हैं और इस्लामिक स्टेट के ऑपरेशंस को चला सकते हैं. 700 पाकिस्तानियों ने आईएस में शामिल होने के लिए देश छोड़ा है.

दो दर्जन गिरफ्तारियां

इस्लामी संगठनों और सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि आईएस के साथ संबंध के संदेह में कराची में करीब दो दर्जन पाकिस्तानियों को गिरफ्तार किया गया है. अधिकारियों को पाकिस्तान के धनी प्रदेश पंजाब में आईएस के भर्ती अभियान के सबूत मिले हैं और 2014 में गिरफ्तारियां भी की गईं. पिछले साल अधिकारियों ने लाहौर शहर में चार बच्चों की एक मां का पता लगाया जिसके आईएस में भर्ती होने के लिए देश से भागने का संदेह था. उसके परिवार वालों का कहना है कि वह सीरिया में आईएस नियंत्रित इलाके में एक अन्य पाकिस्तानी परिवार के साथ रह रही है. दूसरे लोगों के भी सीरिया, अफगानिस्तान या तुर्की जाने की खबरें हैं.

अफगानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर के कबायली इलाके में आईएस उन उग्रपंथियों को निशाने पर ले रहा है जो वहां पहले से ही सक्रिय हैं. विश्लेषक अल तमीमी का कहना है कि उनके विचार से आईएस ऐसे लोगों की भर्ती की कोशिश कर रहा है जो तालिबान या लश्कर ए तयबा जैसे संगठनों से असंतुष्ट हैं. लेकिन राणा का कहना है कि जिहादियों के बीच जातीय अंतर के कारण उन्हें सफलता नहीं मिल रही है. वाइनबाउम का भी मानना है कि पाकिस्तान में विभिन्न जिहादी संगठनों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण आईएस आने वाले समय में इस्लामाबाद के लिए खतरा नहीं बनने वाला है. लेकिन ऑरलैंडो के हमले के बाद सुरक्षा विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि पाकिस्तान में पैर जमाने में नाकामी अकेले हमलावरों को हमले से नहीं रोक पाएगी.

एमजे/ओएसजे (एएफपी)