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पाकिस्तान ने रक्षा बजट बढ़ाया

६ जून २०१०

पाकिस्तान ने 2010-11 के लिए अपने रक्षा बजट को बढ़ाकर 442.2 अरब रुपये कर दिया है. पिछले साल के मुकाबले रक्षा बजट में 17 फीसदी की वृद्धि की गई है. पाकिस्तान सरकार ने आम बजट को आम आदमी का बजट बताया है.

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पाकिस्तान सेना का चरमपंथियों से है सामनातस्वीर: AP

"बजट एक नजर में" दस्तावेज के मुताबिक रक्षा मामलों और सेवाओं के लिए 442.2 अरब रुपये आवंटित किए गए हैं. इस बारे में अभी ज्यादा ब्यौरा मौजूद नहीं है. वैसे वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख ने संसद को बताया कि 2010-11 के लिए 3,259 अरब रुपये का बजट तैयार किया गया है.

पिछले वित्त वर्ष में पाकिस्तान सरकार ने रक्षा बजट के लिए 342.9 अरब रुपये तय किए थे. इसके बाद साल के शुरू में चरमपंथियों के खिलाफ अभियान और भारत की तरफ से मौजूद खतरे से निपटने के लिए आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 35 अरब रुपये अलग से दिए गए. सरकार ने हाल ही में सशस्त्र सेनाओं के जवानों का वेतन भी बढ़ाया है. इसके अलावा उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में शामिल सैनिकों को अतिरिक्त भत्ते दिए गए हैं. पारंपरिक रूप से पाकिस्तान भारत को देख कर अपना रक्षा बजट तैयार करता रहा है. हालांकि वित्तीय मुश्किलों का सामना कर ही पाकिस्तान सरकार को रक्षा खर्च और विकास व कल्याणकारी कामों पर होने वाले खर्च के बीच एक संतुलन कायम करना पडा है.

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री शेख ने कहा, "हमें ऐसे हालात का सामना करना पड़ रहा है जहां हमारी सेना, अर्धसैनिक बलों, पुलिस और सुरक्षा बलों को अपनी जान गंवानी पड़ी रही है. उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में मिली कुछ कामयाबियों के बावजूद सुरक्षा स्थिति अभी पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आई है." पिछले तीन साल में पाकिस्तान में बम धमाकों और आत्मघाती हमलों में 3,400 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.

विकास के कामों के लिए बजट में 766.5 अरब रुपये का प्रावधान किए गया है. वहीं सरकारी कर्मचारियों का वेतन पचास फीसदी बढ़ेगा और कम आमदनी वाले लोगों को टैक्स में छूट दी जाएगी. शेख ने कहा, "आम लोगों को केंद्र में रखकर यह बजट बनाया गया है. सरकार आम आदमी को जो राहत पैकेज दे सकती है, वह है महंगाई कम करना, क्योंकि इसी की मार सबसे ज्यादा पड़ती है." उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीतियों की बदौलत मुद्रास्फीति पर लगाम कसी जा रही है और देश में आर्थिक स्थिरता भी आ रही है. 1 अक्तूबर से पाकिस्तान में टैक्स सुधार लागू हो जाएंगे.

पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने माना कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार बिजली की किल्लत और रोजगार के अवसर पैदा करने जैसी समस्याओं से निपटने में नाकाम रही है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मांगी गई मदद का भी जिक्र किया. पाकिस्तान ने 2008 में मुद्रा का दरवाजा खटखटाया और उसे बढ़ती महंगाई और घटते मुद्रा भंडार की समस्या से निपटने के लिए 11.3 अरब डॉलर का ऋण मिला जो जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन