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भगत सिंह की चमक

१७ फ़रवरी २०१४

फैसलाबाद में भगत सिंह का घर और स्कूल संवारा जाएगा. इसके लिए आठ करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है. पाकिस्तान के अधिकारियों के मुताबिक फैसलाबाद के लोगों को अपनी माटी के बेटे पर गर्व है.

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तस्वीर: AP

जिला समन्वयक अधिकारी नूरुल अमीन मेंगल योजना की जानकारी देते हुए कहते हैं, "हमने आजादी की लड़ाई के हीरो भगत सिंह के घर और स्कूल के जीर्णोद्धार के लिए आठ करोड़ रुपये की मंजूरी दी है." काम इस साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद फैसलाबाद म्यूजियम और नेशनल लाइब्रेरी से भगत सिंह का सामान लाकर घर और स्कूल में रखा जाएगा.

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को फैसलाबाद जिले के बंगा गांव में हुआ. उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई. लेकिन अब गांव की हालत खस्ता है. अमीन मेंगल कहते हैं, "इस रकम से भगत सिंह के गांव का भी विकास किया जाएगा, वहां अभी पीने का पानी नहीं मिलता और ड्रेनेज सिस्टम भी खराब है."

जिला समन्वयक अधिकारी के मुताबिक इस योजना से लोग खुश हैं, "फैसलाबाद के लोग इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि भगत सिंह उनकी मिट्टी के बेटे थे."

सरकार की कोशिश है कि भगत सिंह के गांव को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. उम्मीद है कि लाहौर से 150 किलोमीटर दूर बंगा गांव में भविष्य में भारतीय पर्यटक आना चाहेंगे. अमीन मेंगल कहते हैं, "सिंह का गांव ननकाना साहिब से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर है. यह सिख पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण हो सकता है."

बंगा गांव की आबादी 5,000 है. यहीं भगत सिंह के पुरखों का दोमंजिला मकान है. फिलहाल मकान मालिक एडवोकेट इकबाल विर्क हैं. अमीन मेंगल के मुताबिक जिला प्रशासन एडवोकेट विर्क से मकान खरीदने की कोशिश करेगा.

कभी भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान से भगत सिंह का गहरा वास्ता रहा है. 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी भी अपने ही इलाके में दी गई. ब्रिटिश हूकूमत ने उन्हें लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी थी.

अक्टूबर 2012 में पाकिस्तान ने फव्वारा चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक करने का फैसला किया, हालांकि बाद में कुछ आपत्तियों की वजह से प्रशासन ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

ओएसजे/एजेए (पीटीआई)