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पाक को कुचल देना चाहते थे मोरारजी

२३ दिसम्बर २०१०

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने तय कर रखा था कि अगर पाकिस्तान परमाणु बम का विस्फोट करता है, तो भारत उसे 'कुचल' देगा. अमेरिकी दस्तावेजों से साफ होता है कि 1979 में मोरारजी किसी समझौते के लिए तैयार नहीं थे.

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तस्वीर: UNI

उस वक्त के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और अमेरिकी राजदूत रिचर्ड एच गोहीन के बीच हुई पूरी बातचीत को सार्वजनिक कर दिया गया है. लगभग 55 मिनट तक चली बातचीत पर अमेरिकी व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल की नजर थी.

दस्तावेज से साबित होता है कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने राजदूत गोहीन के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि औपचारिक समझौते से समस्या का समाधान हो सकता है और परमाणु हथियारों से मुक्त क्षेत्र विकसित करने के फॉर्मूले को भी खारिज कर दिया.

गोहीन ने जब भारतीय प्रधानमंत्री से पूछा कि अगर पाकिस्तान परमाणु हथियार का प्रयोग करता है, तो भारत क्या करेगा. इसके जवाब में मोरारजी देसाई ने कहा, "अगर हमें पता चला कि पाकिस्तान किसी परमाणु बम के विस्फोट की तैयारी में है या उसने किसी बम का विस्फोट किया, तो हम फौरन कार्रवाई करके उसे कुचल देंगे."

दस्तावेज के मुताबिक मोरारजी देसाई ने पाकिस्तान के विदेश सचिव शहनवाज से कहा था कि भारत नहीं चाहता कि पाकिस्तान से रिश्ते बिगड़ें या किसी मामले को लेकर परेशानी हो, लेकिन अगर पाकिस्तान कोई चालबाजी करने की कोशिश करता है, तो "हम उसे कुचल देंगे."

गोहीन ने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा था कि हमने शहनवाज को बताया कि 1965 और 1971 की मिसालें साबित करती हैं कि भारत को अगर उकसाया गया, तो वह फौरन जवाब दे सकता है.

इस घटना के लगभग 20 साल बाद भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया. इसके बाद ही पाकिस्तान की परमाणु ताकत भी दुनिया के सामने आया. गोहीन ने लिखा था कि देसाई ने उनकी बात नहीं मानी कि भारत और पाकिस्तान मिल कर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न करने का समझौता कर लें.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः वी कुमार

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