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पाक-चीन परमाणु करार का विरोध करेगा अमेरिका

१६ जून २०१०

अमेरिकी सरकार ने चीन व पाकिस्तान के बीच होने वाले असैनिक परमाणु समझौते का विरोध करेगी. चीन पाकिस्तान में दो परमाणु संयंत्र लगाना चाहता है. अमेरिका का कहना है कि एनएसजी की बैठक में इसका विरोध किया जाएगा.

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तस्वीर: AP

अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता अंतरराष्ट्रीय निर्देशों का उल्लंघन करता है. अंतरराष्ट्रीय नियमों के हिसाब से उन देशों को परमाणु सामग्री का निर्यात नहीं किया जा सकता जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हों या फिर उनके संयंत्र अंतरराष्ट्रीय परमाणु संरक्षण नियमों के अधीन नहीं आते हों.

वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक पाकिस्तान और चीन के बीच ये समझौता अगले सप्ताह 46 देशों वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक के पहले हो सकता है. अगले सप्ताह न्यूज़ीलैंड में एनएसजी की बैठक होनी है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गॉर्डन डुगुएड ने कहा, "अमेरिकी सरकार ने चीन से फिर कहा है कि अमेरिका ये चाहता है कि चीनी सरकार पाकिस्तान के साथ उस सीमा तक ही सहयोग करे, जो चीन की परमाणु अप्रसार प्रतिबद्धता से मेल खाती हो." अमेरिका की फॉरेन पॉलिसी मैगज़ीन के मार्क हिब्स ने पत्रिका के नए संस्करण में लिखा है कि इन दो देशों के बीच समझौते से परमाणु उपकरणों और परमाणु सामग्री के व्यापार के अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होता है.

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चश्मा में चीन का राष्ट्रीय परमाणु कॉर्पोरेशन दो परमाणु संयंत्रों के लिए आर्थिक मदद कर रहा है. वॉशिंगटन पोस्ट ने चीन के हवाले से लिखा है कि ये सौदा चीन के 2004 में एनएसजी में शामिल होने से पहले का है क्योंकि वह पाकिस्तान में पहले से ही दो परमाणु संयंत्र को बनाने का काम कर रहा था.

अमेरिका का कहना है कि उन दोनो संयंत्रों के अलावा 2004 से चीन जो भी अतिरिक्त सहायता पाकिस्तान को दे रहा है उस पर एनएसजी की सहमति ज़रूरी है.

चीन ने पहले अमेरिका और भारत के बीच असैनिक परमाणु समझौते का विरोध किया था और कहा था कि ये वैश्विक परमाणु अप्रसार संधि को नज़रअंदाज़ करता है लेकिन फिर बहुत संभव है कि अमेरिका के दबाव में आकर चीन ने एनएसजी में भारत-अमेरिकी परमाणु समझौते को सहमति दे दी थी.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह