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पानी समझौते पर पंजाब को सुप्रीम कोर्ट का झटका

१० नवम्बर २०१६

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार के 2004 के उस फैसले को असंवैधानिक बताया है जिसमें उसने सतलुज-यमुना जल समझौते को रद्द कर दिया था.

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Indien Fluss Yamuna
तस्वीर: dapd

सतलुज-यमुना लिंक नहर केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पंजाब के खिलाफ आने के बाद प्रांतीय कांग्रेस पार्टी अध्‍यक्ष और लोकसभा सांसद कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने लोकसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे दिया है. उनके साथ-साथ पंजाब कांग्रेस के सभी विधायकों ने भी इस फैसले के विरोध में इस्‍तीफा दिया है.

राज्य की बादल सरकार ने गुरुवार शाम छह बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है. अमरिंदर सिंह ने अकाली दल पर पंजाब के हित में काम ना करने का आरोप लगाया है. लेकिन दूसरी ओर अकाली नेता और उप मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह बादल ने कहा है कि वे किसी और राज्य को पंजाब से पानी की एक बूंद भी नहीं देने देंगे.

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले आया सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकता है. 2004 में पंजाब सरकार ने इस समझौते को रद्द कर पड़ोसी राज्यों के साथ नहरों का पानी साझा करने का समझौता तोड़ दिया था.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट ऐक्ट 2004 "असंवैधानिक" था और पंजाब को ऐसा "एकतरफा" निर्णय लेकर पड़ोसी राज्यों से नहरों के पानी के बंटवारे को रोकने का कोई अधिकार नहीं था.

2004 में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब की कांग्रेस सरकार ने यह कानून बनाया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कैप्टेन सिंह ने अमृतसर की अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया है. केंद्र सरकार पहले ही साफ कर चुकी थी कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी. मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई. पानी को साझा करने का यह समझौता पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर के बीच था.

आरपी/एमजे (पीटीआई)