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पायलटों को स्किन कैंसर का ज्यादा खतरा

१० सितम्बर २०१४

अमेरिकी रिसर्चरों का कहना है कि नियमित रूप से हवाई जहाज उड़ाने वाले पायलट और केबिन क्रू को त्वचा का कैंसर होने का ज्यादा खतरा होता है.

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तस्वीर: picture alliance/blickwinkel

रिसर्चरों का कहना है कि ऊंचाई पर उड़ने पर वे कुछ ऐसे खतरों का सामना करते हैं जिनका असर धरती पर कम होता है. घंटों हवाई जहाज में रहने वाले पायलट और केबिन क्रू के सदस्य पराबैंगनी किरणों के ज्यादा संपर्क में आते हैं. ये किरणें त्वचा के लिए हानिकारक होती हैं और कैंसर पैदा कर सकती हैं. उन्होंने पाया कि पायलटों को और फ्लाइट में सहायक कर्मचारियों को आम लोगों के मुकाबले यह खतरा दोगुना से ज्यादा होता है. 19 छात्रों द्वारा की गई इस रिसर्च में 266,000 लोगों को शामिल किया गया.

ऊंचाई पर निर्भर

कैंसर होने की आशंका कितनी होगी इसकी दर इस बात पर निर्भर करती है कि हवाई जहाज कितनी ऊंचाई पर उड़ता है. ज्यादा ऊंचाई पर जाने से कॉकपिट की विंडस्क्रीन से पराबैगनी किरणें जहाज के अंदर प्रवेश कर जाती हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की डॉक्टर मार्टिना सानलोरेंजो के मुताबिक यह रिसर्च पेशे से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों और इस काम में लगे लोगों की सुरक्षा पर आधारित है. यह रिपोर्ट अमेरिकी मेडिकल असोसिएशन की डर्मेटोलॉजी पत्रिका में छपी है.

रिसर्चरों के मुताबिक ज्यादातर हवाई जहाज समुद्र तल से 9000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हैं. यह वह ऊंचाई है जहां कैंसर पैदा करने वाली पराबैगनी किरणें दोगुना ज्यादा ताकतवर होती हैं. जब जहाज बादलों की मोटी परत के बीच से गुजरते हैं तो खतरा और भी ज्यादा होता है. बादल करीब 85 फीसदी पराबैंगनी किरणों को वापस जहाज की ओर परावर्तित कर देते हैं.

पायलट और केबिन क्रू के कॉकपिट में मौजूद होने के कारण उन पर खतरा ज्यादा रहने के बावजूद इसे उनके पेशे से जुड़े खतरे के रूप में अब तक नहीं देखा जाता रहा. अमेरिका में 2014 में त्वचा के कैंसर के करीब 76,000 नए मामले सामने आए.

एसएफ/एएम (एएफपी)