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समाज

पुरुष ही पहले क्यों बोलें, "आई लव यू"

१७ दिसम्बर २०१८

बदलते दौर में प्यार करने की परिभाषाएं बदल रही हैं और प्यार के इजहार की परंपरा भी टूट रही है. इंटरनेट ने मोहब्बत की दुनिया को कितना बदला है जानिए.

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Symbolbild Herz Valentinstag Liebe Amor
तस्वीर: Fotolia/zorana

अब तक प्यार में इजहार करने का झंडा ज्यादातर पुरुष ही थामे रखता है. लेकिन अब महिलाओं में ऑनलाइन प्यार तलाशने का चलन बढ़ा है. मुखर हो रहीं महिलाएं आगे बढ़कर पुरुषों से प्यार का इजहार करने से भी नहीं हिचकिचा रही हैं.

कुछ बरस पहले तक भारत में ऑनलाइन डेटिंग को अच्छा नहीं समझा जाता था, लेकिन अब यह एक ट्रेंड बन गया है. एक अनुमान के मुताबिक, अब हर पांच में से एक रिलेशनशिप ऑनलाइन शुरू हो रहा है.

यही वजह है कि ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स की बाढ़ आ गई है. अमेरिका और यूरोप में स्टैब्लिश कई बड़ी डेटिंग कंपनियां भारत में कारोबार खड़ा कर रही हैं. इसी में से एक है, 'बम्बल' जिसमें हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने भी निवेश किया है.

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'बम्बल' डेटिंग ऐप को महिला प्रधान ऐप कहा जा रहा है, जिसकी अपनी वजहें हैं. इसका जवाब देते हुए इसकी को-फाउंडर व्हाइटनी वोल्फ कहती हैं, "ऑनलाइन डेटिंग को लेकर खासतौर पर महिलाओं में हमेशा से थोड़ा-सा संशय रहता है. इसलिए भारत में महिला सशक्तीकरण के मोटो के साथ ऐप को लॉन्च किया गया है." दुनिया भर में 'बम्बल' का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 4.5 करोड़ से अधिक है.

डेटिंग ऐप अब किस तरह महिला प्रधान हो रहे हैं? इसका जवाब देते हुए नारीवादी कार्यकर्ता गीता यथार्थ कहती हैं, "बम्बल ने डेटिंग ऐप के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. इस डेटिंग ऐप में महिलाओं की सुरक्षा और कंफर्ट को ध्यान में रखकर कई बेहतरीन फीचर्स तैयार किए गए हैं. मसलन, इस ऐप पर महिलाएं ही सबसे पहले पहल कर सकती हैं. अगर किसी लड़के को किसी लड़की की प्रोफाइल पसंद भी आ गई, तो वह उसे मैसेज नहीं कर पाएगा. फोटो डाउनलोड नहीं कर पाएगा, किसी तरह की ऑनलाइन स्टॉकिंग तो भूल ही जाइए."

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वह कहती हैं, "बम्बल की तरह अब कई और महिला प्रधान डेटिंग ऐप शुरू हो सकते हैं, क्योंकि अब भारतीय महिलाएं संकोच के आवरण से बाहर निकलकर हर चीजों में हाथ आजमा रही हैं." 'टिडर', 'जुस्क', 'बम्बल', 'हैपन', 'मैच', 'वन्स', 'हिज', 'हगल', 'द लीग', 'चैपी', 'प्लेंटी ऑफ फिश', 'लेस्ली', जैसी दर्जनभर से अधिक डेटिंग वेबसाइट्स हैं, जहां बड़ी तादाद में महिलाएं प्यार की तलाश में हैं.

ऑनलाइन डेटिंग का यह फैशन पश्चिमी देशों से होता हुआ भारत पहुंचा है. सबसे पहला डेटिंग ऐप 1995 में शुरू हुआ, जिसका नाम 'मैच डॉट कॉम' था. इसके बाद 2000 में 'ई-हार्मनी' और 2002 में 'एश्ले मैडिसन' शुरू हुआ, जिन्होंने ऑनलाइन डेटिंग का शुरुआती क्रेज शुरू किया. साल 2012 में 'टिंडर' लॉन्च हुआ, जो पहला डेटिंग ऐप था, जिसमें स्वाइप की सुविधा थी.

मार्च, 2014 तक टिंडर पर दुनियाभर में रोजाना करोड़ों जोड़ों के मैच हो रहे थे. साल 2014 में ही टिंडर की को-फाउंडर व्हाइटनी वोल्फ ने बम्बल शुरू किया, जो महिला प्रधान डेटिंग ऐप है. 

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'बम्बल' ने अपनी वेबसाइट पर टैगलाइन लिखी है, "बंबल पर महिलाएं पहले कदम बढ़ाती हैं. हम आपके लिए मैदान तैयार कर रहे हैं और डेटिंग के तरीके बदल रहे हैं. हमारा मानना है कि रिश्तों की शुरुआत सम्मान और समानता के साथ होनी चाहिए."

'वू डेटिंग' एप द्वारा हाल ही में कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, इस तरह की ऑनलाइन डेटिंग ऐप पर महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिक भेदभाव बहुत ज्यादा है. 'क्वाट्र्ज इंडिया' के मुताबिक, 20,000 शहरी लोगों पर किए गए सर्वे से पता चलता है कि भारत में डेटिंग ऐप पर महिलाओं की तुलना में पुरुष तीन गुना अधिक हैं.

इस बारे में गीता कहती हैं, "अगले 10 सालों में महिला, पुरुषों में यह अंतर कम होने जा रहा है, क्योंकि इस दौरान दोगुनी रफ्तार से महिलाएं ऑनलाइन डेटिंग ऐप का रुख करेंगी, जो इस खाई को बहुत हद तक मिटा देगा."

रीतू तोमर/आईएएनएस

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