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किताब और कानून

१४ फ़रवरी २०१४

हिन्दू धर्म पर लिखी गई अमेरिकी लेखिका की किताब भारत से वापस लेने के बाद पेंग्विन ने इस पूरे विवाद के लिए भारतीय कानून को जिम्मेदार ठहराया है. इस फैसले से अभिव्यक्ति के अधिकार पर बहस छिड़ गई है.

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KP Saxena Schriftsteller Indien
तस्वीर: Suhail Waheed

मशहूर प्रकाशक पेंग्विन ने 2009 में छपी पुस्तक "हिन्दूः एक वैकल्पिक इतिहास" पर चल रहे विवाद को अदालत से बाहर सुलझा लिया. लेकिन इसके बाद से प्रकाशक पर आरोप लग रहे हैं कि उसने मुट्ठी भर लोगों के दबाव में आकर किताब वापस लेने का फैसला कर डाला. इस पर पेंग्विन इंडिया का कहना है कि उस पर "किसी भी दूसरी संस्था की ही तरह जिस देश में वह काम कर रहा है, वहां के कानून का पालन करने की बाध्यता है." प्रकाशक का कहना है, "चाहे वे कानून कितने ही सीमित और असहनशील क्यों न हों."

एक बयान जारी कर पेंग्विन ने कहा, "हमारे ऊपर इस बात का नैतिक दबाव भी रहता है कि अपने कर्मचारियों को किसी तरह की धमकी से बचाएं." अमेरिकी विद्वान वेंडी डोनिगर की किताब को भारतीय बाजार से वापस लेने के बाद पेंग्विन पर बुद्धिजीवी वर्ग ने हमला किया है. एक कट्टरवादी हिन्दू संगठन के दबाव में आकर इस किताब को बाजार से हटाने का फैसला किया गया है. हालांकि किताब 2009 में पहली बार छपी और इसे भारत में पुरस्कृत भी किया जा चुका है.

Buchcover The Hindus An Alternative History
किताब पर विवादतस्वीर: Penguin

निराश लेखिका

डोनिगर ने इस फैसले पर "गहरा गुस्सा और निराशा" जताई है लेकिन साथ ही उन्होंने पेंग्विन का भी पक्ष लिया है और कहा है कि वह प्रकाशक की मुश्किलें समझ सकती हैं. लगभग तीन दशक से धर्मशास्त्र पढ़ा रहीं शिकागो यूनिवर्सिटी की डोनिगर कहती हैं कि उन्हें इस बात की चिंता है कि फैसले के बाद भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर बुरा असर पड़ेगा.

भारतीय लेखिका और बुकर पुरस्कार से सम्मानिक अरुंधति रॉय ने इस मुद्दे पर पेंग्विन से पूछा है कि "जब न तो फतवा था, न प्रतिबंध, यहां तक कि अदालत का फैसला भी नहीं था" तो उसे क्यों गुफा में छिपना पड़ा. रॉय ने अपने ही प्रकाशक पेंग्विन को लिखे एक खुले खत में कहा, "जल्द ही आपके दफ्तर के बाहर प्रदर्शन होंगे. लोग अपनी बात कहेंगे."

शिक्षा बचाओ आंदोलन नाम की हिन्दूवादी संस्था ने नई दिल्ली की अदालत में किताब के खिलाफ सिविल और आपराधिक मुकदमा दर्ज किया, जिसमें दावा किया गया कि किताब में तथ्यात्मक गलतियां हैं और साथ ही इसमें हिन्दू धर्म की मान्यताओं पर भी आघात किया गया है.

पेंग्विन ने अपने बयान में भारतीय कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपराधिक धाराओं के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जिसकी वजह से कानून तोड़े बगैर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बचाए रखना मुश्किल है, "हम समझते हैं कि इसकी वजह से भारत में किसी भी प्रकाशक के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर बना कर रखना मुश्किल होगा."

भारत में किताबों पर पाबंदी और फतवों का लंबा इतिहास रहा है. इससे पहले भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी के किताब 'सैटेनिक वर्सेज' पर भी भारत में पाबंदी लग चुकी है. इससे पहले जोसेफ लेलेवेल्ड की किताब पर भी भारत में 2011 में हंगामा हो चुका है, जिसमें दावा किया गया था कि महात्मा गांधी समलैंगिक थे. गुजरात सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी है.

एजेए/ओएसजे (एएफपी, एपी)