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पेंटागन को क्यों नहीं मिल पा रहा नया प्रमुख

१२ जुलाई २०१९

इतिहास में सबसे लंबे समय तक बिना प्रमुख के रहे पेंटागन को अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस के इस्तीफे के बाद से अब तक नया मुखिया ना मिल पाने का क्या कारण है.

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Washington Pentagon Luftaufnahme
तस्वीर: Reuters/Y. Gripas

पिछले दिसंबर में जब रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने पद छोड़ा था तो किसी ने ये नहीं सोचा था कि उनकी जगह भरने में इतना लंबा समय लग जाएगा. खुद मैटिस को अधिक से अधिक दो महीने में पद भर लिए जाने की उम्मीद थी. दो महीने का वक्त भी तब लंबा समय लग रहा था. लेकिन अब सात महीने बीतने के बाद भी अमेरिका के पास अपने आने वाले रक्षा मंत्री के रूप में कोई पक्का नाम नहीं है. जबकि इस वक्त अमेरिका ईरान के साथ तीखे विवाद में उलझा है और बीते दिनों में कई बार हिंसक संघर्ष के हालात बनते बनते बचे हैं.

पेंटागन को मुखिया तो नहीं ही मिला है साथ ही उप रक्षा मंत्री पद का नाम भी अब तक तय नहीं है. इसके अलावा पेंटागन के कई वरिष्ठ सैन्य और नागरिक पदों पर भी नियुक्तियां लटकी हुई हैं. हाल के सालों में ऐसा कभी भी देखने को नहीं मिला था. नेतृत्व का स्तर इस तरह खाली रहना अब अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को असहज करने लगा है. इनमें से कइयों को अनिश्चितताओं के इस दौर में सरकार के एक इतने अहम धड़े का इस तरह खाली पड़ा होना खटक रहा है.

पूर्व रिपब्लिकन सीनेटर और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के समय रक्षा मंत्री रह चुके विलियम कोहेन कहते हैं कि अमेरिका के सहयोगियों के साथ साथ उसके विरोधी भी देश के रक्षा संस्थानों में इससे ज्यादा स्थायित्व दिखाने की उम्मीद करते हैं. समाचार एजेंसी एपी से बातचीत में उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि "एक साल के भीतर अगर आप तीसरी बार एक अस्थायी प्रमुख को लाते हैं तो जाहिर है कि इससे कामकाज में व्यर्थ की रूकावटें आती हैं."

हाल ही में आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के प्रमुख और रिपब्लिकन सीनेटर जिम इनहोप ने भी कहा, "हमें पेंटागन में सीनेट के समर्थन वाला नेतृत्व लाने की जरूरत है, और वो भी बहुत जल्दी." राष्ट्रपति ट्रंप के साथ कई नीतियों को लेकर मतभेद उभरने के बाद मैटिस ने दिसंबर 2018 में पद छोड़ दिया था. इन विवादित मुद्दों में ट्रंप का सीरिया से अमेरिकी सेनाओं को निकाले जाने का फैसला भी शामिल था, जिससे मैटिस सहमत नहीं थे.

पेंटागन में इस स्तर का संकट पहले कभी नहीं देखा गया है. इससे पहले अब तक केवल दो बार ही ऐसा हुआ था कि पेंटागन को कोई अस्थाई प्रमुख मिले. इस बार सबसे लंबे खिंच गए नेतृत्व संकट में अब तक दो अस्थाई प्रमुख बदले जा चुके हैं. इससे पहले की किसी भी सरकार में कभी दो अस्थाई प्रमुख नहीं हुए हैं.

पेंटागन को अपने पूर्ववर्ती रक्षा मंत्रियों द्वारा स्थापित नीतिगत ढांचे के भीतर काम करना होता है. सीधे तौर पर स्थाई प्रमुख ना होने से उस पर बहुत असर नहीं पड़ता. विशेषज्ञ बताते हैं कि जिस बात पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है वह है कि रक्षा नीति में कोई नयापन नहीं आ पाता और दूसरा यह कि कम शक्तियों के साथ काम कर रहे अस्थाई प्रमुख को व्हाइट हाउस के साथ समन्यवयन में समस्या आती है.

बाहर से भीतर की उथलपुथल के बावजूद अमेरिका अपनी रक्षा नीतियों पर सफलता से चलता दिखा है. एक तरफ तो सेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सब कुछ नियंत्रण में होने के दावे किए जा रहे हैं. इस बीच, ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के उपाध्यक्ष पद पर जिस नए अधिकारी जॉन हाइटन को लाए जाने की चर्चा चल रही थी, उस पर यौन दुराचार के आरोप लगे हैं. यह अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य पद पर होता है.

नौसेना अपने खुद के नेतृत्व संकट में घिरी है. एक अगस्त से जिस एडमिरल विलियम मोरन को सीनेट ने टॉप पद के लिए चुना था, उन्होंने अचानक रिटायर होने का फैसला ले लिया.

आरपी/एए (एपी)

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