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पेंबा बने भारत चीन वीज़ा विवाद के शिकार

१६ अप्रैल २०१०

राष्ट्रकुल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पेंबा तमांग भारत चीन वीज़ा विवाद के पहले प्रमुख शिकार बने हैं. उन्हें मुंबई के इमीग्रेशन अधिकारियों ने पेपर वीज़ा होने के कारण पेइजिंग जाने वाले विमान में चढ़ने से रोक दिया.

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तस्वीर: picture-alliance/Bildfunk

चीन कश्मीर और अरुणाचल के भारतीयों का वीज़ा पासपोर्ट पर चिपकाने के बदले उन्हें एक अलग पेपर पर वीज़ा देता है जिसे भारत सरकार नहीं मानती. तामांग गुरुवार रात 17 अप्रैल से पेइचिंग में होने वाले अंतरराष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन वर्ल्ड कप में भाग लेने जा रहे थे. विमान पर चढ़ने से रोके जाने के बाद पिस्तॉल शूटर तामांग ने कहा कि उन्हें इस बात का पता नहीं था कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अलग काग़ज पर दिए गए वीज़ा को पिछले नवम्बर से ही अवैध करार दिया है.

तामांग ने पीटीआई से कहा, "मैं पहले तीन बार पेपर वीज़ा पर चीन की यात्रा कर चुका हूं और मुझे पता नहीं था कि सरकार ने उसे अवैध घोषित कर दिया है. अगर मुझे पता होता तो मैं पेपर वीज़ा को स्वीकार ही नहीं करता."

28 सदस्यों वाली वर्ल्डकप टीम के साथ पेइचिंग जा रहे तामांग ने कहा कि उन्हें चेक इन करने के बाद इमीग्रेशन अधिकारियों ने यह कह कर रोक दिया कि मेरा वीज़ा वैध नहीं है. मैंने यह समझाने की कोशिश की कि मैं पहले इस तरह के वीज़ा पर तीन बार यात्रा कर चुका हूं लेकिन उन्होंने कहा कि नए दिशानिर्देश इसकी अनुमति नहीं देते.

यदि चीनी दूतावास तामांग को पासपोर्ट पर चिपकाया जाने वाला नया वीज़ा दे देता है तो वे अभी भी वर्ल्ड कप में भाग ले सकते हैं. उनकी प्रतिस्पर्धाएं 21 और 22 अप्रैल को हैं. विवाद पर टिप्पणी करते हुए नैशनल राइफ़ल्स एसोशिएशन के सचिव राजीव भाटिया ने कहा है कि तमांग के अलावा टीम के अन्य सभी सदस्यों को सामान्य वीज़ा दिया गया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले साल पेपर वीज़ा को अवैध करार देते हुए भारतीय नागरिकों को सलाह दी थी कि यात्रा व्यवस्था करने से पहले वे चीनी दूतावास से पता कर लें कि वीज़ा चिपकाया जाएगा या पेपर वीज़ा की शक्ल में होगा ताकि बाद में उन्हें कोई वित्तीय नुकसान न उठाना पड़े.

रिपोर्ट: पीटीआई/महेश झा

संपादन: राम यादव