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पेड़ों को बचाने में लगा एक रेडियो

२४ नवम्बर २०१०

पिछले ढाई साल से इंडोनेशिया की राजधानी जाकार्ता का एक रेडियो स्टेशन लोगों को उनके आने वाले कल खतरे से आगाह कर रहा है. ग्रीन रेडियों नाम का यह रेडियो स्टेशन अपने पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुकता बढ़ाना चाहता है.

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तस्वीर: AP

इंडोनेशिया 17000 से भी ज्यादा छोटे बडे द्वीपों से बना हुआ है. क्योंकि यह द्वीप भूमध्य रेखा के दोनों तरफ बसे हुए हैं. ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु की वजह से वहां दुनिया के सबसे बडे वर्षावन इलाके भी हैं. इसीलिए इन वनों की रक्षा करना पूरी दुनिया के जलवायु के लिए भी जरूरी है. इंडोनेशिया में प्रयास हो रहे हैं ताकि लोगों के अंदर पर्यावरण संरक्षण की भावना जगाई जा सके.

Ausbruch Vulkan Gunung Merapi Indonesien Insel Java Oktober 2010
तस्वीर: AP

इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता. यहां 80 लाख लोग रहते हैं. जाकार्ता इस बात का प्रतीक है कि किस तरह से इंडोनिशिया की बढ़ती आबादी ने अपनी जरूरतों के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है. पहले वर्षावन को काटकर खेत बनाए गए, फिर नदियों में लोगों और उद्योगों का गंदा किया पानी शामिल हुआ और पूरे शहर में कूड़े कचरे के ढेर जिनके कारण बीमारियां फैल रही हैं. पिछले ढाई साल से जाकार्ता का रेडियो स्टेशन लोगों को उनके आने वाले कल खतरे से आगाह कर रहा है. ग्रीन रेडियों नाम का यह रेडियो स्टेशन अपने पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुकता बढ़ाना चाहता है. नीता रोशिता ग्रीन रेडियो की निर्देशक हैं. वह बतातीं हैं, "हम हमारे श्रोताओं से अपील करते हैं कि वह पर्यावरण की रक्षा करें. हम जाकार्ता में लोगों के अंदर एक अलग तरह के लाइफस्टाइल विकसित करना चाहते हैं."

नीता रोशिता का मानना है कि लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है. वह बतातीं हैं कि पिछले सालों में कई गुना ज्यादा बार बाढ़ आई थी और वर्षा वन के खत्म होने से कई प्रजातियां भी विलुप्त होने के कागार पर हैं. जकार्ता जैसे बडे शहरों में प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने की समस्याएं पैदा हो रही हैं. नीता कहतीं हैं, "इस वक्त ग्रीन थिंकिंग यानी पर्यावरण के बारे में सोच विचार करना लोकप्रिय है. हमारे सामने अब चुनौती यह है कि हम इस तरह की भावना को बनाए रखें. हमें आनेवाले 5 सालों के अंदर इस सोच को सभी लोगों के दिमाग में बसाना है. मेरा डर है कि यह सिर्फ ट्रेंड बनकर न रह जाए."

Vulkan Merapi Indonesien Flash-Galerie
तस्वीर: picture alliance/AFP Creative

ग्रीन रेडियो सभी व्यापारिक स्टेशनों की तरह ही ज्यादातर म्यूज़िक ही ब्रॉडकास्ट करता है. लेकिन लोगों के मनोरंजन के अलावा गीतों के बीच बीच कभी किसी पर्यावरण संरक्षक के साथ बातचीत पेश करता है या कभी किसी कार्यकर्ता के प्रॉजेक्ट के बारे में बताया जाता है. लोगों के बीच ग्रीन रेडियो बहुत लोकप्रिय है और इसलिए उसे खूब विज्ञापन भी मिलते हैं. नीता रोशिता बतातीं हैं कि वह खासकर वर्षावन के नष्ट होने की वजह से बहुत ही चिंतित हैं. इस वक्त दुनिया के 10 फीसदी वर्षावन इंडोनेशिया में हैं. लेकिन हर साल 28 लाख हेक्टेयर हमेशा के लिए नष्ट हो रहे हैं. इस रफ्तार को नहीं रोका गया तो 2012 तक सुमात्रा, बोर्नियो और सुलावेसी द्वीप पर वर्षा वन खत्म हो जाएंगे. सिर्फ पापुआ द्वीप पर वर्षा वण बचा रहेगा. कूमी नायडू ग्रीनपीस गैरसरकारी संगठन के लिए काम करते हैं. वह बताते हैं, "वर्षा वन दुनिया की जलवायु के लिए बहुत ही जरूरी हैं क्योंकि वे कॉर्बन डाइऑक्साइड को कम करते हैं. अगर हम इन वनों को नहीं बचाएंगे तो प्राकृतिक आपदा का खतरा बढ़ेगा.

ग्रीन रेडियो अपने श्रोताओं से कहता है कि वह वर्षावन में एक पेड़ को गोद ले लें. इसी तरह पुराने पेड़ों को नष्ट होने से बचाया ही नहीं जाता है बल्कि नए पेड़ भी लगाए जाते हैं. ग्रीन रेडियो का कहना है कि उसके प्रयासों से माउंट गेडे नेशनल पार्क में 12 000 नए पेड़ लगाए गए हैं. कई किसानों का मानना है कि पेड़ों की वजह से जमीन भी ज्यादा पैदावर बन गई है. मुसलिह किसान हैं और ग्रीन रेडियों ने उन्हें और उनके परिवार को एक प्रॉजेक्ट के तहत पेड़ों को जलाने या काटने के विकल्प सुझाए हैं. औज मुसलिह कहते हैं, "यदि हमारे पहाड़ों पर कोई पेड़ नहीं होगा तो बाढ़ का खतरा बढ़ेगा, हमे इससे बचना है."

अब मुसलिह कई दूसरे किसानों के साथ पेड़ों की रक्षा में लगे हैं. उन्हें इस काम के लिए कुछ पैसा भी मिलता है. पर यह तो बाद की बात है. सबसे पहली चीज तो यह है कि उन्होंने इस काम की अहमियत को समझा.

रिपोर्टः एजेंसियां/निखिल रंजन

संपादनः वी कुमार

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