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प्यासे भारत को पानी पिलाते कुएं

१४ अक्टूबर २०१६

राज्य सरकार के करोड़ों रुपये लगाने के बाद भी चेन्नई प्यासा रहता था. तभी रेनवॉटर हारवेस्टिंग के चैंपियन शेखर राघवन आए और शहर को तृप्त कर गए. शेखर राघवन के साथ डॉयचे वेले की बातचीत.

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Indien Brunnenbau
तस्वीर: The Rain Center

डॉयचे वेले: रिचार्ज कुआं क्या है?

शेखर राघवन (निदेशक, रेन सेंटर, चेन्नई): रिचार्ज कुआं क्या है, ये जानने से पहले हमें रेनवॉटर हारवेस्टिंग (आरडब्ल्यूएच) को समझना होगा, खासकर शहरी इलाकों में. इसके जरिये बरसात का पानी जमा कर नगरपालिका वाली सप्लाई को स्थिर किया जाता है. साथ ही बाहरी और भूजल स्रोतों को भी टिकाऊ रखा जाता है.

शहरों में खासकर बहुत छोटे स्तर पर, इसके दो आयाम है: पहला बारिश के पानी को प्लास्टिक के टब या किसी और टैंक में तुरंत इस्तेमाल के लिए जमा करना, दूसरा बारिश के पानी को जमीन के भीतर डालना, ताकि भूजल का स्तर ठीक बना रहे, इसी को भूजल स्रोत की रिचार्जिंग कहा जाता है.

जब जमीन का बड़ा इलाका खाली और खुला रहा होगा तब ये अपने आप हो जाता था, बरसात का पानी रिसकर जमीन में समा जाता था. अब ऐसा नहीं होता, इसीलिए हमें कुएं बनाकर कृत्रिम रूप से पानी रिचार्ज करना पड़ रहा है.

अगर कुएं अच्छे ढंग से डिजायन किये जाएं और बनाए जाएं तो शहरी इलाकों में इनसे काफी मदद मिल रही है तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में यह साबित हो चुका है. चेन्नई में पूरे शहर में भूजल का स्तर 20 फुट ऊपर आ गया है. चेन्नई अब प्यासा शहर नहीं है.

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चेन्नई में रेन सेंटर के खुदवाए कई कुएंतस्वीर: The Rain Center

भूजल का स्तर इतना उठाने के लिए कितने कुओं की जरूरत पड़ी?

सरकार ने इसे सभी घरों के लिए अनिवार्य कर दिया, नए और पुराने सभी के लिए. सबको अपने घर के दायरे में एक या एक से ज्यादा रिचार्ज कुआं बनाना था. लोग अब अपनी रोजमर्रा की जरूरतें आराम से भूजल से पूरी कर सकते हैं.

ये कुएं कितने गहरे हैं?

बारिश के पानी को नीचे तक पहुंचाने के लिए काफी गहरे कुएं की जरूरत पड़ती है. लेकिन गहराई जमीन और मिट्टी की क्वालिटी पर भी निर्भर करती है. रेतीली मिट्टी बढ़िया रहती है, जबकि चिकनी मिट्टी उतनी फायदेमंद नहीं है. पथरीली जमीन तो इसके लिए बिल्कुल भी फिट नहीं है.

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तस्वीर: The Rain Center

क्या इन्हें बनाना मुश्किल है?

मुश्किल तो नहीं है लेकिन थोड़ा दिमाग लगाना पड़ता है और एक खास समुदाय के लोगों को ही इन्हें बनाने की ट्रेनिंग मिली है. वर्षा जल को जमीन में नीचे तक पहुंचाने के लिए काफी गहरे कुएं की जरूरत पड़ती है. बारिश से कितना पानी मिलता है, यह भी देखा जाता है. इसी के आधार पर कुएं का संकरापन और उसकी गोलाई तय की जाती है. हम गड्ढे में पीवीसी पाइप और सीमेंट के छल्ले डालते हैं, ताकि कुआं ढह न जाए.

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तस्वीर: The Rain Center

क्या रिचार्ज कुएं और जगहों पर भी लोकप्रिय हो रहे हैं?

ये भारत के कुछ दूसरे राज्यों तक भी पहुंच चुके हैं. कई देश भी इसे अपने यहां आजमाना चाहते हैं. हमारा रेन सेंटर भूजल को रिचार्ज करने वाले कॉन्सेप्ट को दुनिया भर के रेतीले तटों वाले शहरों तक पहुंचाना चाहता है. तंजानिया के मेहमान में खासी उत्सुकता ले रहे हैं, वे इसे अपने यहां करना चाहते हैं.

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तस्वीर: The Rain Center