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प्रदूषण पर भारतीय अदालत सख्त

२८ नवम्बर २०१४

भारत में पर्यावरण प्राधिकरण ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के मामले पर सरकार की खिंचाई की है. इसका कहना है कि प्रदूषण हर दिन बदतर होता जा रहा है और इससे निपटने के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है.

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तस्वीर: AP

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया है कि 15 साल से पुरानी सभी गाड़ियों को दिल्ली की सड़कों से हटा लिया जाए. इसके अलावा राज्य सरकार की बसों में पर्यावरण जांच और एयर प्यूरीफायर के इंतजाम देखे जाएं.

हर रोज 1000 नई गाड़ी

पर्यावरणविदों ने इस कदम का स्वागत किया और कहा कि नीति निर्माण करने वाले दिल्ली की 1.7 करोड़ की आबादी को नजरअंदाज कर रहे हैं. दिल्ली में सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट के उप महानिदेशक चंद्रभूषण का कहना है, "दिल्ली के प्रदूषण पर प्राधिकरण के कदम का हम स्वागत करते हैं. दिल्ली की फिजा जहरीली होती जा रही है. लेकिन इसके साथ नए मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. मिसाल के तौर पर हर रोज दिल्ली की सड़कों पर 1000 नई गाड़ियां उतर रही हैं."

उनका कहना है, "कानूनी तौर पर सरकार को प्राधिकरण की बात माननी होगी." प्राधिकरण ने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार इससे निपटने से जुड़ी कोई योजना नहीं पेश कर पाई.

प्राधिकरण का कहना है, "कोई ठोस कदम नहीं सुझाया गया है, जिससे दिल्ली में प्रद्षण पर नियंत्रण किया जा सके. यहां खास तौर पर गाड़ियों और खुले में प्लास्टिक तथा दूसरी चीजों को जलाने से प्रदूषण फैल रहा है. इस बात में कोई दो राय नहीं कि दिल्ली (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर बद से बदतर होता जा रहा है."

दुनिया में सबसे बदतर

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दिल्ली दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है, जहां की हवा में पीएम2.5 की मात्रा सबसे ज्यादा है. इस साल दुनिया भर के 1600 शहरों में इसकी जांच की गई थी. पीएम2.5 वायु में फैले खतरनाक कण होते हैं. इन बारीक कणों का आकार बहुत छोटा होता है और इनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है. इनकी वजह से दमा, फेफड़ों का कैंसर और हृदय रोग हो सकते हैं. ये खून में भी फैल सकते हैं.

दिल्ली के अधिकारियों ने विश्व स्वास्थय संगठन की रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली की हालत चीन की राजधानी बीजिंग से भी खराब है. बीजिंग में आम तौर पर गहरे धुएं और धूल की चादर पसरी रहती है, जिससे स्वास्थ्य को भारी खतरा हो सकता है.

भारतीय प्राधिकरण ने एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता की अपील पर अपने निर्देश जारी किए हैं. इसका कहना है, "यह संवैधानिक और वैधानिक कर्तव्य है कि अधिकारी और मंत्री लोगों को स्वच्छ वायु में सांस लेने की परिस्थिति प्रदान करें."

एजेए/ओएसजे (एएफपी)