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प्रदूषण रोकने की दिल्ली सरकार की पहल

७ दिसम्बर २०१५

प्रदूषण से परेशान दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों को कम करने के फैसले का पर्यावरण संरक्षण ग्रुपों ने समर्थन किया. सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने भी दिल्ली सरकार की योजना का समर्थन किया है.

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Indien Smog Symbolbild
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Schmidt

पिछले हफ्ते दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि पहली जनवरी से सम-विषम नंबरों वाली गाड़ियों वैकल्पिक दिनों पर चला करेंगी. विषम नंबर से खत्म होने वाली गाड़ियों को सोमवार, बुधवार और शुक्रवार पर सड़क पर उतरने की अनुमति होगी तो सम नंबर गाड़ियां मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को चल सकेंगी. भारत की उच्च अदालतें प्रदूषण पर सरकारों की नकेल कसती रही हैं. इस बार चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा कि वे बस से कोर्ट जाने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि सभी को समस्या के समाधान में योगदान देना चाहिए और दूसरे जजों को भी इसमें शामिल होने की अपील की.

पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में रहना गैस चैंबर में रहने जैसा है. पेरिस में चल रहे जलवायु सम्मेलन ने मामले पर सरगर्मी इसलिए भी बढ़ा दी कि दूसरे शहर पर्यावरण समस्याओं के लिए क्या कर रहे हैं, उस पर रिपोर्टिंग बढ़ गई है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि इस योजना को पहले कुछ हफ्तों के लिए लागू किया जाएगा और अगर लोगों को इससे मुश्किल होती है तो इसे रोक दिया जाएगा.

दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने, कोयले से चलने वाले बीजलीघर को बंद करने और धूल को कम करने के लिए सड़कों की सफाई करने की घोषणा की है.

विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की है. पिछले चुनावों से पहले दिल्ली में सरकार चलाने वाली कांग्रेस पार्टी ने केजरीवाल सरकार की योजना को अव्यावहारिक बताते हुए कहा है कि इससे आम लोगों को परेशानी होगी. प्रधानमंत्री मोदी की बीजेपी ने भी दिल्ली सरकार की पहलकदमी की आलोचना की है.और योजना के आलोचक अभी से मुश्किलों की फेहरिश्त बना रहे हैं.

लेकिन पर्यावरण पहलकदमी को आम लोगों का समर्थन मिल रहा है. सोशल मीडिया पर इस मौके का फायदा लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए भी किया जा रहा है.

भारत की राजधानी की हवा को दुनिया के प्रमुख शहरों की सबसे खराब हवाओं में माना जाता है. विश्व संगठन की 1600 शहरों की सूची में इसका स्थान सबसे खराब है. दिल्ली की सड़कों पर हर दिन 85 लाख गाड़ियां चलती हैं और हर दिन उसनें 1400 नई कारें जुड़ जाती हैं. दिल्ली की अब तक की कई सरकारें शहर की हवा को साफ करने में विफल रही हैं. चीन में कई शहरों ने भीड़ और प्रदूषण को रोकने के लिए कार नंबरों पर सीमाएं लगाई हैं, लेकिन भारत में यह पहला मौका है कि इस तरह का कोई कदम उठाया जा रहा है.

पर्यावरण संगठनों ने दिल्ली सरकार की निजी कारों पर कंट्रोल करने की योजना की सराहना की है, लेकिन साथ ही कहा है कि इस पर अमल करना मुश्किल होगा. दिल्ली स्थित विज्ञान और पर्यावरण केंद्र सीएसई के कार्यकारी निदेशक अनुमिता रायचौधुरी ने दिल्ली सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, "शहर के पास और कोई विकल्प नहीं था, जहां हर घंटे वायु प्रदूषण से होने वाली वीमारियों के चलते एक मौत हो रही है और हर तीसरे बच्चे का फेफड़ा ठीक नहीं है."

ग्रीनपीस के सुनील दहिया ने कहा है कि इस कदम से दिन में प्रदूषण का स्तर कम होगा, लेकिन उन्होंने समस्या के निदान के लिए दीर्घकालिक समाधानों की जरूरत पर जोर दिया.

एमजे/ओएसजे (डीपीए, पीटीआई)