400 मौतों के बाद इराकी प्रधानमंत्री का इस्तीफा, संकट बरकरार
२ दिसम्बर २०१९दो महीने के हिंसक प्रदर्शनों के बाद आखिरकार इराकी प्रधानमंत्री अदेल अब्देल माहदी ने इस्तीफा दे दिया, उनका इस्तीफा इराकी संसद ने भी मंजूर कर लिया है. हालांकि उनकी जगह कौन लेगा इस पर भी सवाल बरकरार है. एक सांसद ने कहा कि उनकी जगह कौन लेगा इसका जवाब कानूनी सवालों से घिरा हुआ है. इस्तीफे के बाद भी सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी राजधानी में प्रदर्शन करने पहुंच गए और सुरक्षाबलों की फायरिंग में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई. प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़कों समेत बंदरगाह की तरफ जाने वाले रास्ते को जाम कर दिया. प्रदर्शनकारी की मौत की जांच के लिए विशेष न्यायिक समिति का गठन किया गया है.
इराक में राजनीतिक संकट
चार सांसदों ने बताया कि संसद ने माहदी का इस्तीफा बिना मतदान किए ही मंजूर कर लिया. एक सांसद सरक्वत शम्सिद्दीन ने कहा कि सांसदों ने देश की सर्वोच्च अदालत की कानूनी राय पर काम किया, क्योंकि मौजूदा कानूनी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं हैं. संसद की मंजूरी के बाद स्पीकर मोहम्मद हलबोसी ने इराक के राष्ट्रपति बरहम सालिह से नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने की मांग की है. हालांकि इराक के संविधान के मुताबिक 15 दिनों के भीतर संसद के बड़े समूह को नए प्रधानमंत्री को चुनना होता है, उसके बाद प्रधानमंत्री के पास सरकार गठन करने के लिए 30 दिन होते हैं. अधिकारियों और विशेषज्ञों ने संभावित राजनीतिक संकट को लेकर चिंता जाहिर की है. साथ ही सवाल किया है कि संसद का सबसे बड़ा समूह कौन है जो प्रधानमंत्री का चुनाव करने के लिए अधिकृत है.
इराक में पिछले दो महीने से प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार, सुविधाओं की कमी और दूसरी शिकायतों को लेकर सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. 1 अक्टूबर से अब तक हिंसक प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाबलों की फायरिंग में 400 से अधिक लोग मारे गए हैं. बगदाद के अलावा शिया बहुल इलाकों में भी विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों को लेकर इराक के शीर्ष शिया धर्म गुरु अयातुल्ला अली अल-सिस्तानी ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना की थी. उन्होंने सरकार द्वारा अत्याधिक बल के प्रयोग को लेकर आपत्ति जाहिर की थी साथ ही नई सरकार के गठन की मांग की थी.
पिछले दिनों ही इराक के पवित्र शहर नजफ में प्रदर्शनकारियों ने ईरानी कंसुलेट की इमारत को आग के हवाले कर दिया था. इराक में लोग ना सिर्फ सरकार के इस्तीफे की ही बल्कि बड़े पैमाने पर बदलाव की मांग कर रहे हैं. माहदी ने सरकारी सुधारों को लेकर पैकेज का भी ऐलान किया था लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उसे खारिज कर दिया था.
एए/एमजे (डीपीए, एएफपी)
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