1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

प्लास्टिक से लड़ता गैबॉन का हीरो

३१ मार्च २०१६

दुनिया भर में हर साल प्लास्टिक की खपत लगातार बढ़ रही है. 2014 में 31.1 करोड़ मैट्रिक टन प्लास्टिक बनाया गया. ये प्लास्टिक पृथ्वी का दम घोंटने लगा है.

https://p.dw.com/p/1INKv
Videostill vom DW Video Gabun: Making money with waste
तस्वीर: DW

1976 तेज रफ्तार होते औद्योगीकरण के साथ कंपनियों और ग्राहकों की आदतें भी बदलने लगी. प्लास्टिक का उपयोग आम जिंदगी में बढ़ने लगा. लेकिन उस वक्त दुनिया भर के कुछ ही देशों में प्लास्टिक का उत्पादन होता था. वह भी करीब 5 करोड़ मैट्रिक टन.

प्लास्टिक का अंबार

धीरे धीरे प्लास्टिक कारखानों या मशीनों के बजाए आम जिंदगी में आने लगा. कार्बन के इस संयोजित रूप ने स्टील, लकड़ी और कई तरह के भारी कच्चे माल की जगह ले ली. आज हमारे आस पास की करीब 50 फीसदी चीजें प्लास्टिक से बनी हुई हैं. हार्ड प्लास्टिक तुलनात्मक रूप से ज्यादा आसानी से रिसाइकिल हो जाता है. लिहाजा यह बिक भी जाता है. लेकिन असली मुश्किल पॉलिथिन या बोतल बनाने वाले प्लास्टिक से खड़ी हुई. 40 साल पहले की तुलना में आज प्लास्टिक का उत्पादन 6 गुना बढ़ चुका है. और इस्तेमाल के बाद कचरा बनता प्लास्टिक पर्यावरण में जहर घोल रहा है. अक्सर कचरे को सही तरीके से नहीं निबटाया जाता.

गैबॉन का हीरो

पश्चिम अफ्रीका का गैबॉन भी प्लास्टिक कचरे की गंभीर समस्या झेल रहा है. लेकिन एक युवा उद्यमी देश को संकट से बाहर निकलने की राह दिखा रहा है. लांबारेने शहर के निवासी फिर्मिन मकाया ने अपने शहर को प्लास्टिक से बचाने के लिए ग्लोबल सर्विसेज नाम की संस्था शुरू की. हफ्ते में कई बार वह अपने कर्मचारियों के साथ शहर के अलग अलग इलाकों में जाते हैं और वहां जमा कचरे को अलग करते हैं. जैविक कचरा गुलाबी बैग में डाला जाता है और प्लास्टिक नीले बैग में.

फिर्मिन लोगों और नगर प्रशासन को जागरूक भी कर रहे हैं. वे कहते हैं, "दुर्भाग्य से यहां के लोगों को अपना कूड़ा सड़क पर फेंकने की आदत है. बहुत से लोगों को समझ में ही नहीं आता कि वे कचरे को अलग करने और रिसाइक्लिंग के बारे में क्यों सोचें. इसलिए हमें उन्हें बार बार इसके महत्व के बारे में बताना पड़ता है. सिर्फ यहां के निवासियों को ही नहीं बल्कि नगर प्रशासन के अधिकारियों को भी."

सालों से छोटा सा शहर लांबारेने कचरे की बड़ी समस्या झेल रहा है. तमाम विकासशील देशों की तरह गैबॉन में भी कचरा प्रबंधन सिर्फ कागज पर ही मजबूत दिखता है. अपने शहर की बुरी हालत जब देखी नहीं गई तो फिर्मिन माकाया ने खुद कदम उठाया. 37 वर्षीय उद्यमी ने कचरा जमा करने की अपनी कंपनी खोल ली, एक दफ्तर लिया और 8 तगड़े लोगों की एक टीम बनाई. अब वे शहर के हीरो हैं.

मदद की दरकार

शुरुआती पूंजी की मदद से खरीदे गए कंपनी के दो थ्रीव्हीलर शहर के बाहरी इलाके में बने गार्बेज सेंटर पर कूड़ा पहुंचाते हैं. यहां कचरे को जलाया जाता है. ग्लोबल सर्विसेज के कर्मचारियों के लिए यह सबसे मुश्किल काम है. मकाया भी मानते हैं कि इसका कोई और टिकाऊ इलाज खोजना होगा, "ये कतई अच्छा नहीं है, न तो यहां काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए और न ही पर्यावरण के लिए जिसे हम बचाना चाहते हैं."

अब मकाया अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट के अगले चरण पर काम कर रहे हैं. वे लांबारेने के जंगल में एक रिसाइक्लिंग प्लांट लगाना चाहते हैं. उनकी योजना प्लास्टिक कचरे को रेत के साथ मिलाकर सीमेंट जैसी ईंट बनाने की है. इसका इस्तेमाल रोड बनाने में किया जा सकेगा. उन्होंने जमीन खरीद ली है, लेकिन प्लांट लगाने के लिए धन कम पड़ रहा है. एक प्रोड्यूसर मकाया को सस्ती रेत देने को तैयार हो गया है. पर्यावरण और लोगों के लिए ये अच्छी खबर है.

एमजे/ओएसजे