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फिर भाग रहे हैं म्यांमार से रोहिंग्या

२८ अगस्त २०१७

म्यांमार के राखीन में जारी हिंसा में अब तक सौ से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है. जान बचाकर भागते हजारों रोहिंग्या के बांग्लादेश पहुंचने के कारण वहां भी प्रशासन परेशान है.

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Myanmar Kämpfe Flucht Rohingyas nach Bangladesch
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Moe

म्यांमार की नेता आंग सान सू ची ने रोहिंग्या लड़ाकों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने रखाइन प्रांत में घरों को आग लगा दी और बाल सैनिकों का हिंसा में इस्तेमाल किया. इन आरोपों से रोहिंग्या उग्रवादियों ने साफ इनकार किया है. उत्तरी रखाइन में बहुत सारे रोहिंग्या रहते हैं.

वहीं पड़ोसी बांग्लादेश को म्यांमार से बड़ी तादाद में पहुंच रहे रोहिंग्या लोगों के कारण परेशानी हो रही है. एक तरह से राज्यविहीन माने जाने वाले रोहिंग्या अल्पसंख्यकों को म्यांमार बांग्लादेश से आये अवैध आप्रवासी मानता है. कई सालों से प्रताड़नाएं और सरकारी पाबंदियां झेल रहे रोहिंग्या मोटे तौर पर हिंसा से बचे रहे. लेकिन बीते अक्टूबर से उनके खिलाफ इक्का दुक्का हिंसक झड़पों की खबरें आती रही हैं. म्यांमार में रोहिंग्या विद्रोहियों ने सुरक्षा बलों पर हमले किये जिसके बाद म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान छेड़ दिया. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि इस दौरान बड़े स्तर पर सामूहिक हत्याएं भी हुईं.

Myanmar Kämpfe Genzsoldaten in Bangladesch
बार्डर गार्ड बांग्लादेश के सदस्य कॉक्स बाजार इलाके में निगरानी करते हुए. तस्वीर: Reuters/M. P. Hossain

हाल ही में रखाइन में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है. इनमें 80 से अधिक रोहिंग्या उग्रवादी बताये जाते हैं. इलाके के हजारों निवासी हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी बांग्लादेश की ओर भागे जबकि बौद्ध और हिंदुओं ने वहीं के शहरों और मठों में शरण ली है. बड़ी संख्या में रोहिंग्या लोग पड़ोसी देशों म्यांमार और बांग्लादेश के बीच बहने वाली नाफ नदी को पार कर बांग्लादेश पहुंच रहे हैं.

सरकारी पक्ष और रोहिंग्या दोनों ही एक दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते रहते हैं लेकिन इन गांवों और इलाकों तक पहुंचना मुश्किल होने के कारण इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है. रोहिंग्या विद्रोही गुट ने अपने ट्विटर अकाउंट से वीडियो संदेश जारी कर सरकार को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है और अपनी कार्रवाई को स्वरक्षा के लिए जरूरी बताया है.

ईसाई गिरजे के प्रमुख पोप फ्रांसिस ने "रोहिंग्या भाइयों" को प्रताड़ित किये जाने की निंदा की है. मई में वैटिकन ने म्यांमार के साथ राजनयिक संबंध बहाल किये थे और इस साल के अंत में पोप के म्यांमार दौरे पर जाने की योजना है.

आरपी/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)