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फेसबुक पोस्ट ने ली तीन की जान

२८ जुलाई २०१४

पाकिस्तान में हिंसा के कारण अहमदी समुदाय की एक महिला और उसकी दो नातियों की मौत हो गई. फेसबुक पर एक बहस के बाद ये हिंसा शुरू हुई. आरोप था कि बहस में इस्लाम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई.

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तस्वीर: Arif Ali/AFP/Getty Images

पुलिस के मुताबिक यह हादसा गुजरांवाला शहर में हुआ जो इस्लामाबाद के दक्षिणोत्तर में करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है. मामला तब शुरू हुआ जब दो युवा आपस में बहस करने लगे. इनमें से एक अहमदी समुदाय का था और उस पर आरोप लगाए गए कि उसने फेसबुक पर इस्लाम के खिलाफ कुछ टिप्पणी की है.

एक पुलिस वाले ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया, "बहस के बाद करीब 150 लोग पुलिस स्टेशन आए और आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की. पुलिस भीड़ को संभालने में और उनसे बातचीत करने में लगी थी. तभी दूसरी भीड़ ने अहमदियों के घर पर हमला करना और उन्हें जलाना शुरू कर दिया." फेसबुक पोस्ट करने वाले युवक को हल्की चोटें आईं लेकिन हिंसा में एक महिला और दो छोटे बच्चे मारे गए. इनमें से एक बच्ची सात साल की थी और एक उससे भी छोटी थी.

अहमदिया समुदाय के प्रवक्ता सलीम उद दीन ने कहा कि यह हाल के दिनों की सबसे घातक घटना रही है. चार साल पहले अहमदियों के खिलाफ हिंसा में 86 लोग मारे गए थे. पुलिस का कहना है कि उन्होंने हिंसा रोकने की कोशिश की, लेकिन सलीम उद दीन बताते हैं, "पुलिस खड़े हो कर देख रही थी कि सब कुछ जल रहा है. पहले घर और दुकाने लूटीं गईं फिर घरों को जला दिया गया."

Ahmadiyya Minderheit in Pakistan
पाकिस्तान में अहमदिया समुदायतस्वीर: Getty Images

पाकिस्तानी कानून के मुताबिक अहमदिया समुदाय के सदस्य मुस्लिमों की तरह इबादत नहीं कर सकते और अपने पूजा स्थान को मस्जिद नहीं कह सकते. अहमदी खुद अपने को मुसलमान मानते हैं लेकिन पैगंबर मुहम्मद के बाद आए एक दूसरे पैगंबर को मानते हैं. 1984 में पाकिस्तान में पारित कानून के बाद से उन्हें धर्मभ्रष्ट माना जाता है.

पाकिस्तान में इस बीच ईशनिंदा के आरोप बढ़ते जा रहे हैं. पिछले साल 68 ऐसे मामले दर्ज किए गए और इस साल करीब 100 लोगों पर ईशनिंदा के आरोप लगे हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसके जरिए आरोप लगाने वाले अपनी निजी शिकायतों के लिए बदला लेने की कोशिश करते हैं या आरोपी की जायदाद हड़पने की कोशिश करते हैं.

एमजी/एएम (रॉयटर्स)