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फेसबुक से मिली श्रद्धा को फिल्म

२९ अप्रैल २०१३

हिंदी फिल्मों के जाने-माने खलनायक शक्ति कपूर की पुत्री श्रद्धा कपूर को बचपन में अपने पिता का विलेन का किरदार निभाना जरा भी पसंद नहीं था. डॉयचे वेले की श्रद्धा कपूर के साथ बातचीत के कुछ अंश

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तस्वीर: DW

वर्ष 2010 में तीनपत्ती के जरिए अपना फिल्मी सफर शुरू करने वाले श्रद्धा ने 2011 लव का द एंड नामक फिल्म में भी काम किया. लेकिन यह दोनों फिल्में बॉक्स आफिस पर खास कमाल नहीं दिखा सकीं. अब अपनी तीसरी फिल्म आशिकी 2 से उनको काफी उम्मीदें हैं. इसी शुक्रवार को रिलीज हुई यह फिल्म 90 के दशक में बनी महेश भट्ट की मशहूर फिल्म आशिकी का सीक्वल है. इसके अलावा वह करण जौहर की फिल्म गोरी तेरे प्यार में काम कर रही हैं.

क्या आप बचपन से ही फिल्मों में काम करना चाहती थीं ?

हां, मेरी पूरी पारिवारिक पृष्ठभूमि फिल्मी दुनिया से जुड़ी है. मेरे पिता ने 700 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और मां ने एक फिल्म किस्मत में. इसके अलावा मेरी दो मौसियां-तेजस्विनी कोल्हापुरे और पद्मिनी कोल्हापुरे भी अभिनेत्री हैं. मेरे पिता ने पढ़ने के लिए मुझे बोस्टन भेजा था. लेकिन अभिनय में दिलचस्पी होने की वजह से मैंने एक साल बाद ही पढ़ाई छोड़ दी.

आपको पहली फिल्म कैसे मिली थी ?

बोस्टन में एक साल की पढ़ाई के बाद मैं गर्मी की छुट्टियों में भारत आई थी. तीनपत्ती के निर्देशक अंबिका हिंदूजा ने उसी समय मुझे फेसबुक पर देखा. उन्होंने मुझे ऑडिशन के लिए बुलाया. ऑडिशन के बाद उन्होंने अपनी फिल्म के लिए मुझे चुन लिया.

पिता के मशहूर विलेन होने का आप पर कैसा प्रभाव पड़ता था ?

बचपन में मुझे उनका यह किरदार एकदम पसंद नहीं था. लोग उनके बारे में बुरी बातें करते थे. उससे मैं काफी अपसेट हो जाती थी.लेकिन बाद में मां ने समझाया वह तो महज अभिनय कर रहे हैं. फिर भी लोगों की टिप्पणियां नागवार गुजरती थीं. बाद में जब वह कॉमेडी रोल करने लगे तो मुझे बेहद मजा आता था.

आशिकी 2 की भूमिका कैसे मिली ?

मेरी सादगी ने मुझे यह भूमिका दिलाई. निर्देशक मोहित सूरी एक दिन मेरे घर आए थे. मैंने तब कोई मेकअप वगैरह नहीं किया था और चश्मा पहन रखा था. उनको मेरी यह सादगी जंच गई. उन्होंने कहा भी सादगी की वजह से ही वह मुझे यह भूमिका दे रहे हैं. मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि रोमांटिक फिल्म में काम करने की मेरी दिली इच्छा थी.

फिल्म में आपकी भूमिका कैसी है ?

इसमें मैंने एक निम्न मध्य वर्ग की मराठी लड़की की भूमिका निभाई है. मां की वजह से आधी मराठी तो मैं हूं ही. इसलिए इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई. जहां तक फिल्म की बात है इसे आशिकी के सीक्वल के तौर पर देखना सही नहीं है. यह फिल्म अलग दौर की कहानी है. उम्मीद है कि दर्शकों को मेरा अभिनय पसंद आएगा. मैं बचपन से आशिकी के गाने गुगुनाते हुई बड़ी हुई हूं. इसलिए इस फिल्म में काम करना एक रोमांचक अनुभव रहा.

घर में पिता-माता का रवैया आपके साथ कैसा रहता है ?

पिता जी कुछ सख्त मिजाज के हैं. निजी तौर पर उनमें मेरी सुरक्षा की भावना रहती है. लेकिन पेशेवर तौर पर वह मुझे काफी आजादी देते हैं. मां तो मेरी सबसे अच्छी मित्र हैं. हमारे रिश्ते ऐसे हैं कि मुझे उन लोगों से कभी कुछ छिपाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. दिलचस्प बात यह है कि जब हम मां-बेटी को कोई ऐसी बात करनी होती है जो पिता जी नहीं समझ सकें तो हम मराठी में बात करते हैं.

फिल्मों का चयन कैसे करती हैं ? क्या घर में इस पर विचार-विमर्श करती हैं ?

मैं पटकथा और कहानी देख कर ही फिल्में चुनती हूं. किसी रेस में शामिल होने की बजाय मैं चुनिंदा फिल्में करना चाहती हूं. कोई भी फिल्म हाथ में लेने से पहले मैं अपने पिता और परिवार के सदस्यों से भी विचार-विमर्श करती हूं.

आगे की क्या योजना है ?

अगलो महीने टी सीरीज की फिल्म आई लव यू न्यू ईयर रिलीज होगी. इसके अलावा करण जौहर की फिल्म गोरी तेरे प्यार की शूटिंग चल रही है. यशराज फिल्म्स के साथ भी तीन फिल्मों का अनुबंध है. फिलहाल इनमें व्यस्त हूं. बिना सोचे-समझे फिल्में साइन नहीं करना चाहती हूं.

इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः आभा मोंढे