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फॉकलैंड पर फिर विवाद

३ जनवरी २०१३

ब्रिटेन और अर्जेंटीना फॉकलैंड द्वीप के मालिकाना हक पर लड़ाई लड़ चुके हैं. इस साल वहां के नागरिक फैसला करेंगे कि वे कहां रहना चाहते हैं. अर्जेंटीना की राष्ट्रपति ने हक पर जोर देने के लिए अखबारों में विज्ञापन दिया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जनमत संग्रह से पहले अर्जेंटीना किसी भी हालत में हार मानने को तैयार नहीं. राष्ट्रपति क्रिस्टीना किर्षनर ने दो ब्रिटिश अखबारों द गार्डियन और द इंडेपेंडेंट में खुली चिट्ठी लिख कर ब्रिटेन पर उपनिवेशवाद का आरोप लगाया है और दक्षिण अटलांटिक के द्वीप को वापस करने के लिए बातचीत शुरू करने की मांग की है. उन्होंने ब्रिटेन से 1965 के संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को मानने की मांग की है कि जिसमें बातचीत के लिए कहा गया है. फॉकलैंड में होनेवाले जनमत संग्रह का इसमें कोई जिक्र नहीं किया गया है. अपनी चिट्ठी में किर्षनर ने सीधे ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को संबोधित किया है.

चिट्ठी संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को भी संबोधित है. किर्षनर ने लिखा, "ठीक 180 साल पहले 3 जनवरी को ब्रिटेन ने 19वीं सदी वाली खुली औपनिवेशिक कार्रवाई में अर्जेंटीना से इस द्वीप को जबरदस्ती छीना था." राष्ट्रपति ने लिखा कि औपनिवेशिक सत्ता ब्रिटेन आज तक उसे वापस करने और अर्जेंटीना के क्षेत्रीय पूर्णता की गारंटी करने से मना कर रहा है. फॉकलैंड ब्रिटेन से 14,000 किलोमीटर दूर है.

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अर्जेंटीना की राष्ट्रपति किर्षनरतस्वीर: AP

ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और फॉकलैंड सरकार ने चिट्ठी पर प्रतिक्रिया दी है. कैमरन के प्रवक्ता ने कहा है कि फॉकलैंड के लोगों ने ब्रिटिश रहने की साफ इच्छा जाहिर की है और अर्जेंटीना की सरकार को अपने अधिकार का आदर करना चाहिए. फॉकलैंड की सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "हम उपनिवेश नहीं हैं. ब्रिटेन के साथ हमारा रिश्ता इच्छा से है." इस चिट्ठी पर ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने कहा है, "इस विवाद में तीन पक्ष हैं, सिर्फ दो नहीं, जैसा कि अर्जेंटीना दिखाता है."

अर्जेंटीना और ब्रिटेन फॉकलैंड द्वीप समूह के स्वामित्व पर सालों से झगड़ा कर रहे हैं. 31 साल पहले इस पर दोनों देशों के बीच छह हफ्ते तक लड़ाई हुई थी जिसमें दोनों ओर से 900 से ज्यादा सैनिक मारे गए. अर्जेंटीना में माल्विनास नाम से मशहूर यह द्वीप समूह 19वीं सदी से ब्रिटेन के कब्जे में है. यहां बड़ा तेल भंडार होने का अनुमान है.

फॉकलैंड युद्ध की 30वीं वर्षगांठ पर दोनों देशों के बीच भारी विवाद हुआ जिसके बाद द्वीप के प्रशासन ने 2013 में इस बात पर जनमत संग्रह कराने का फैसला लिया कि लोग अर्जेंटीना का हिस्सा बनना चाहते हैं या ब्रिटेन के साथ रहना चाहते हैं. जनमत संग्रह में ब्रिटेन के पक्ष में स्पष्ट फैसला होने की उम्मीद की जा रही है.

किर्षनर ने अपनी चिट्ठी में जनमत संग्रह का जिक्र नहीं किया है लेकिन लिखा है, "अर्जेंटीना के नागरिकों को रॉयल नेवी ने निकाल दिया है और ब्रिटेन ने लोगों को बसाने की प्रक्रिया शुरू की है जैसा दूसरे उपनिवेशों में किया गया."

एमजे/एजेए (डीपीए)

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