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फोंसेका से तमगे और सम्मान छिने

१४ अगस्त २०१०

श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने पूर्व सेनाध्यक्ष और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी सरत फोंसेका को सम्मान के बिना बर्खास्त करने की सैनिक अदालत की सलाह को मंजूरी दे दी है.

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सरत फोंसेकातस्वीर: AP

श्रीलंका सरकार के एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने सैनिक अदालत के इस फैसले की पुष्टि कर दी है कि जनरल फोंसेका को उनके रैंक, मेडल और अन्य सैन्य सम्मानों से वंचित कर दिया जाए. विवादास्पद ट्रिब्यूनल ने फोंसेका को सेना में रहते हुए राजनीति में दखल का दोषी पाया.

राजपक्षे द्वारा विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर के बाद 59 वर्षीय फोंसेका ने 40 साल के सैन्य करियर के दौरान पदकों और सम्मान के अलावा सरकारी पेंशन और जनरल टाइटल के इस्तेमाल का हक भी खो दिया है.

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राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षेतस्वीर: AP

पिछले साल तमिल विद्रोहियों के खिलाफ जीत में फोंसेका ने श्रीलंका की सेना का नेतृत्व किया था. इस जीत के साथ देश में तमिल टाइगर्स लिट्टे द्वारा चलाया जा रहा हथियारबंद संघर्ष समाप्त हुआ और लगभग 25 साल चले गृहयुद्ध की समाप्ति हुई, जिसमें लगभग एक लाख लोगों के मारे जाने का अनुमान है. विद्रोहियों को हराने के लिए उन्हें विशेष सम्मान दिया गया.

तमिल विद्रोहियों को कुचलने के लिए बहुमत सिंहल आबादी राष्ट्रपति और सेनाप्रमुख को हीरो मानने लगी लेकिन सैनिक सफलता को राजनीतिक सफलता में बदलने का उनका सपना नाकामयाब रहा. लड़ाई समाप्त होने और राष्ट्रपति चुनावों में राजपक्षे के खिलाफ खड़े होने के बाद दोनों के संबंध बिगड़ गए. इस साल जनवरी में हुए चुनावों में फोंसेका राष्ट्रपति राजपक्षे को हराने में विफल रहे और दो सप्ताह बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

हालांकि शुक्रवार को सुनाए गए फैसले में फोंसेको को कैद की सजा नहीं मिली है, लेकिन वे फिलहाल सैन्य हिरासत में रहेंगे. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर एक दूसरा कोर्ट मार्शल चल रहा है. एक नागरिक अदालत में उनपर सेना के भगोड़ों को नौकरी देने का आरोप है जिसके लिए 20 साल तक की कैद की सजा हो सकती है.

अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध न्यायाधिकरण में खुशी से गवाही देने की बात कहकर भी फोंसेका ने सरकार को क्रुद्ध कर दिया है. महिंदा राजपक्षे इस तरह की जांच की विरोध कर रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ओ सिंह