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फ्रांस के फुटबॉल क्लबों को रेडकार्ड

१ नवम्बर २०१३

फ्रांस के राष्ट्रपति को आखिरकार एक गुट मिल गया है जिसे वह ना कह सकते हैं. समाजवादी नेता ने फुटबॉल क्लब मालिकों से कह दिया है कि सालाना 10 लाख यूरो से ज्यादा वेतन वाले खिलाड़ियों को 75 फीसदी टैक्स से छूट नहीं मिलेगी.

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तस्वीर: Reuters

राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने क्लबों के इस महीने से नहीं खेलने की धमकियों को साफ नजरअंदाज कर दिया. क्लबों के अधिकारियों के साथ मुलाकात के बाद ओलांद ने बयान जारी कर कहा, "सार्वजनिक वित्त को साफ सुथरा रखने की जरूरत इस कोशिश को उचित ठहराती है, जिसकी मांग इतना ऊंचा वेतन देने वाले कारोबार से की जा रही है."

उधर पेशेवर फुटबॉल क्लबों के संघ यूसीपीएफ ने अपने बयान में कहा है, "कई रचनात्मक प्रस्ताव देने के बावजूद क्लब प्रतिनिधियों की नहीं सुनी गई. यह टैक्स जो शुरूआती रूप में धनी लोगों के लिए था, वह हमारे मामले में कंपनियों को कर्ज में डाल देगा." इसके साथ ही कहा गया है, "ऐसी स्थिति में हम बातचीत के लिए अब भी तैयार हैं, पर क्लब नवंबर के आखिर तक खुद को एकजुट रखेंगे जब ब्लैकआउट(मैच नहीं खेल कर) करना तय हुआ है."

ओलांद का दो साल तक सुपर टैक्स पर बने रहने का फैसला उनकी सरकार के आर्थिक मोर्चे पर उठे दूसरे कदमों को वापस खींचने से अलग है. उन्होंने ट्रकों पर टैक्स का प्रस्ताव रखा था, लेकिन किसानों और ट्रक मालिकों के विरोध के बाद उसे वापस ले लिया.

Frankreich Fußballspieler Streik Michel Seydoux
तस्वीर: AFP/Getty Images

टैक्स में इजाफा

बजट मंत्री बर्नार्ड काजनोएव ने फ्रांस के एक टीवी चैनल से कहा कि प्रस्तावित "ईको टैक्स" तब तक के लिए निलंबित रहेगा जब तक कि सरकार इसे ठीक ढंग से लागू करने का तरीका नहीं निकाल लेती. फ्रांस पर यूरोपीय सहयोगियों का दबाव है कि वह अपने सार्वजनिक घाटे को कम करे. इसके लिए सरकार ने 2014 के बजट में टैक्स बढ़ाने के प्रस्ताव रखे हैं, लेकिन इससे लोगों में नाराजगी है. ओपिनियन पोल से पता चला है कि ओलांद की स्वीकार्यता का स्तर अब तक के फ्रांस के किसी भी राष्ट्रपति की तुलना में सबसे कम है.

समाजवादी सरकार ने बचत पर प्रस्तावित कर को भी वापस ले लिया है. शिक्षा के खर्च पर मिलने वाले टैक्स छूट को वापस लागू कर दिया है और कारोबार के टर्नओवर पर लगने वाले टैक्स की योजना भी छोड़ दी गई है. यह सब अलग अलग गुटों के विरोध के बाद हुआ. सबसे ज्यादा कमाई वालों पर 75 फीसदी टैक्स फ्रांसोआ ओलांद का सबसे बड़ा चुनावी वादा था और यह दूसरों की तुलना में सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल करने वाला भी रहा है.

पोल्स्टर ओपिनियन के इसी महीने हुए एक सर्वे से पता चला कि 85 फीसदी लोगों ने कहा है कि फुटबॉल क्लबों को छूट देने के बारे में न सोचा जाए. इस फैसले से लीग वन की 20 में से 14 क्लबों पर असर होगा. कतर के पैसे से चलने वाले पैरिस साँ जर्मां पर सबसे बुरा असर पड़ेगा, जबकि रूसी अरबपति के सहयोग वाले मोनैको को छूट मिलेगा क्योंकि वह फ्रेंच टैक्स कानून के अंदर नहीं आता.

खिलाड़ियों के फेर बदल पर 20 करोड़ यूरो से ज्यादा की रकम खर्च करने वाले पीएसजी को कतर स्पोर्ट्स इन्वेस्टमेंट्स ने 2011 में खरीद लिया. उम्मीद की जा रही है कि उन्हें करीब 2 करोड़ यूरो का टैक्स देना होगा. यह रकम बाकी सभी क्लबों पर लगे टैक्स की करीब आधी है.

एनआर/एमजे(रॉयटर्स)