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फ्रैंकफर्ट मोटर शो में ग्रीन कारों की धूम

१२ सितम्बर २०१३

ग्रीन और स्मार्ट कार के साथ ही इलेक्ट्रोमोबाइल का संसार ड्राइवर और बाहरी दुनिया से तालमेल बढ़ा रहा है, रास्तों को हरा भरा रखने की कोशिश रंग ला रही है. फ्रैंकफर्ट मोटर शो आईएए शुरू हो गया है.

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तस्वीर: JOHANNES EISELE/AFP/Getty Images

बिजली से चलने वाली कारों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल और कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़ी गाड़ियों का पूरा संसार फ्रैंकफर्ट कार शो के 65वें संस्करण में देखने, छूने और महसूस करने के लिए हाजिर है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने गुरुवार को इसकी औपचारिक शुरूआत की.

पेट्रोल या डीजल इंजन के साथ ही इलेक्ट्रिक मोटर वाली हाइब्रिड कार और नई पुरानी विशुद्ध इलेक्ट्रिक कारें करीब करीब हर कंपनी के स्टैंड पर हैं. कार बनाने वाली बड़ी कंपनियां इलेक्ट्रिक कारों के बाजार में भी मजबूत इरादों के साथ उतरी हैं. फोल्क्सवागन, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडिज बेंज के साथ ही उनके मुकाबिल रेनॉ, निसान, सिट्रोएन और ओपेल भी इलेक्ट्रिक कारों के बाजार में अपनी पहुंच दिखाने को बेताब हैं. कुछ जानकारों का तो मानना है कि कारों के लिए "विटामिन ई" यानी इलेक्ट्रिसिटी उद्योग का मुक्तिदाता बन कर उभरी है. फ्रैंकफर्ट में ग्रीन कारें इसलिए भी माहौल के साथ फिट नजर आ रही हैं क्योंकि जर्मन सरकार ने 2020 तक 10 लाख इलेक्ट्रिक कारों को सड़कों पर दौड़ाने का लक्ष्य रखा है.

Merkel IAA 12.09.2013
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने गुरुवार को आईएए की औपचारिक शुरूआत की.तस्वीर: Reuters

ऊंची कीमत बनी बाधा

केवल जर्मन कार कंपनियों ने ही 2016 तक इलेक्ट्रिक कारों के 16 नए मॉडल उतारने की तैयारी की है. जर्मन कार कंपनियों के संघ के प्रमुख मथियास विसमन ने यह जानकारी देते हुए कहा, "एक बार बुनियादी ढांचा तैयार हो जाए तो फिर अगले साल हम पांच अंकों में बिक्री की बात कर रहे होंगे." विसमन इलेक्ट्रिक कारों के बड़े समर्थक हैं लेकिन फिर भी ज्यादातर इलेक्ट्रिक कारों की कमियों की तरफ ध्यान दिलाते हैं. ऊंची कीमत और रिचार्ज सुविधा की कमी इन कारों के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा है. इन कारों की बिक्री का आंकड़ा ही सारी कहानी कह देता है. इस साल जर्मनी में अब तक 2,900 इलेक्ट्रिक कारें दर्ज हुई हैं. पूरे कार बाजार में उनकी हिस्सेदारी महज 0.165 फीसदी है.

35,000 यूरो का सबसे सस्ता मॉडल

हाल ही में एक सर्वे के जरिए पता चला कि 80 फीसदी से ज्यादा कारें हर दिन 50 किलोमीटर से भी कम सफर तय करती हैं. यह जरूर है कि ज्यादातर लोग नियमित रूप से लंबे सफर पर और छुट्टियों के दौरान इनका ज्यादा दूरी के लिए इस्तेमाल करते हैं. इलेक्ट्रिक कारों को ना खरीदने के पीछे इनकी कीमत का भी बड़ा मसला है. बीएमडब्ल्यू की नई आई3 हैचबैक फ्रैंकफर्ट मोटर शो की स्टार कारों में है. इसका सबसे सस्ता मॉडल 35 हजार यूरो का है. इसी तरह फोल्क्सवागन की छोटी इलेक्ट्रिक मिनीकार की कीमत 27 हजार यूरो है. सामान्य लोगों के लिए दोनों ही कारें महंगी हैं.

IAA Frankfurt 2013 Dieter Zetsche Daimler
मर्सिडीज बेंज के प्रमुख डीटर सेत्शे का कहना है कि बहुत जल्द स्वतंत्र ड्राइविंग का सपना सच होगा.तस्वीर: Reuters

जर्मन सरकार इलेक्ट्रिक कारों के लिए लक्ष्य तो तय कर रही है लेकिन चुनावी मौसम होने के बावजूद ऐसी कारों के खरीदारों को लुभाने के लिए कोई वादा नहीं किया गया है. इस मामले में चीन जरूर आगे है. वहां सरकार इलेक्ट्रिक कार खरीदने वालों को करीब 7,000 यूरो का बोनस दे रही है. चीन ने 2020 तक अपनी सड़कों पर 50 लाख इलेक्ट्रिक कारों को दौड़ाने का लक्ष्य रखा है.

स्वतंत्र ड्राइविंग का सपना

छह साल तक बिक्री में गिरावट देखने के बाद कारों के बाजार में अब कुछ सुधार होता दिख रहा है लेकिन फिर भी इलेक्ट्रिक कारों का बाजार जोर पकड़ेगा या नहीं यह कहना मुश्किल है. इलेक्ट्रिक कारों की रफ्तार बढ़ने से पहले कार बनाने वाली कंपनियां नेटवर्क से जुड़ने पर ध्यान लगा रही हैं. इंटरनेट खाने पहनने वाली पीढ़ी चलते फिरते भी अपने मनोरंजन और सूचना जगत की पहुंच में रहना चाहती है. कार में चलते चलते, टीवी देखना, ईमेल पढ़ना लिखना, गाना या फिल्म डाउनलोड करना और इस तरह के इंटरनेट पर होने वाले तमाम काम इसमें शामिल हैं और कंपनियों का ध्यान फिलहाल इसी पर है. मर्सिडीज बेंज की एस क्लास लिमोजिन की पीछली सीट पर बैठे कार कंपनी के प्रमुख डीटर सेत्शे कहते हैं, "मर्सिडीज बेंज की सोच के साथ बहुत जल्द स्वतंत्र ड्राइविंग का सपना सच हो सकेगा."

एनआर/आईबी (डीपीए)

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